धार्मिक

जाने कब है सावन पूर्णिमा? व्रत और स्नान-दान अलग-अलग दिन, मुहूर्त और चंद्रोदय समय

हिन्दू पंचांग में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है. वह भी सावन पूर्णिमा तिथि तो रक्षाबंधन त्योहार के लिए भी जानी जाती है. इस साल सावन पूर्णिमा की तिथि दो दिन है, इस व​जह से सावन पूर्णिमा व्रत और सावन पूर्णिमा स्नान-दान अलग-अलग दिन होंगे. ऐसे में लोगों को सावन पूर्णिमा को लेकर कंन्फ्यूजन हो सकता है कि व्रत कब रखें और सावन पूर्णिमा का स्नान कब किया जाए.  जब भी पूर्णिमा ति​थि दो दिन हो तो उसमें यह देखना उचित रहता है कि पूर्णिमा तिथि में चंद्रोदय किस दिन है. जिस दिन चंद्रोदय होगा, उस दिन ही पूर्णिमा का व्रत रखा जाएगा. पूर्णिमा का स्नान और दान उदयाकाल ति​थि में की जाती है.

सावन पूर्णिमा तिथि कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन पूर्णिमा ति​थि की शुरूआत 30 अगस्त बुधवार के दिन सुबह 10 बजकर 58 मिनट से होगी. उससे पूर्व सूर्योदय हो चुका होगा. सावन पूर्णिमा तिथि का अंत 31 अगस्त गुरुवार को सुबह 07 बजकर 05 मिनट पर होगा.

सावन पूर्णिमा व्रत किस दिन रखा जाएगा?
सावन पूर्णिमा तिथि में चंद्रोदय 30 अगस्त को शाम 06:35 पी एम पर होगा. इस आधार पर सावन पूर्णिमा का व्रत 30 अगस्त को रखा जाएगा. इस व्रत में चंद्रमा की पूजा करते हैं और अर्घ्य देते हैं. इस वजह से चंद्रमा का पूर्णिमा तिथि में होना आवश्यक है.

सावन पूर्णिमा का स्नान-दान कब से होगा?
इस बार सावन पूर्णिमा का स्नान और दान 31 अगस्त को होगा क्योंकि सावन पूर्णिमा की उदयातिथि यानि पूर्णिमा का सूर्योदय 31 अगस्त को सुबह 05:58 ए एम पर होगा. उस दिन ब्रह्म मुहूर्त से सावन पूर्णिमा का स्नान-दान प्रारंभ हो जाएगा.

सावन पूर्णिमा 2023 स्नान-दान मुहूर्त
सावन पूर्णिमा का स्नान और दान सुकर्मा योग में होगा. उस दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रात: 04:29 ए एम से 05:13 ए एम तक है. सुकर्मा योग सुबह से लेकर शाम 05:16 पी एम तक है. हालांकि उस दिन पूरे समय पंचक है.

सावन पूर्णिमा 2023 पर क्या दान करें?
पूर्णिमा का दिन चंद्रमा को समर्पित होता है. इस वजह से सावन पूर्णिमा को स्नान करने के बाद चंद्रमा से जुड़ी वस्तुओं का दान करना अच्छा होता है. 31 अगस्त को पूर्णिमा स्नान के बाद आप अपने सामर्थ्य के अनुसार चावल, सफेद वस्त्र, चीनी, सफेद चंदन, दूध, खीर आदि का दान कर सकते हैं.

सावन पूर्णिमा का महत्व
सावन पूर्णिमा व्रत के दिन भगवान सत्यनारायण और चंद्रमा की पूजा करते हैं. शाम के समय में माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है. चंद्रमा की पूजा करने से सुख, शांति और समृद्धि आती है, सत्यनारायण भगवान के आशीर्वाद से परिवार की उन्नति होती है. माता लक्ष्मी धन-वैभव प्रदान करती हैं. सावन पूर्णिमा को स्नान और दान करने से पुण्य मिलता है. उस दिन भाई बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन त्योहार मनाया जाता है.

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button