पैरेंट्स की मेंटल हेल्थ सुधारने में युवा कर सकते हैं मदद
हाल के साल में युवाओं के अवसाद पर काफी चर्चा हुई है। हार्वर्ड के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ एजुकेशन में शोधकर्ता रिचर्ड वीसबॉर्ड कहते हैं- किशोरों की तरह माता-पिता भी अवसाद से घिरे हैं। बीते दिसंबर में मेकिंग केयरिंग कॉमन ने 750 पैरेंट्स के सर्वे में दावा किया गया था कि एक तिहाई किशोरों के पैरेंट्स तनाव अनुभव करते हैं। वीसबॉर्ड ने स्टडी केयरिंग फॉर केयरगिवर्स में दावा किया है कि अवसादग्रस्त माता-पिता के बच्चों में व्यवहार संबंधी, तनाव से निपटने, लोगों से जुड़ने, शैक्षणिक समस्या व मानसिक बीमारी की दर ज्यादा होती है। पैरेंट्स-बच्चे दोनों ही पीड़ित हैं, तो समस्या बढ़ सकती है, इसलिए पैरेंट्स की मानसिक सेहत पर भी ध्यान देना जरूरी है, इसका असर पूरे घर पर होगा।
किशोरों की बात सुनें
स्टडी में 40% किशोरों ने कहा कि वे चाहते हैं कि माता-पिता उनकी जिंदगी के बारे में चर्चा करें। उनकी प्रतिक्रिया भी जानें। की-होल से नहीं, दरवाजा खोलकर उन्हें देखें। बोस्टन चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल में बच्चों के मनोरोग विशेषज्ञ विलियम बियर्डस्ली इसे ‘फैमिली टॉक’ पहल के रूप में देखते हैं। इससे किशोरों को भावनात्मक समर्थन के लिए पैरेंट्स के पास जाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं, जो मजबूत रिश्ते का संकेत है।
माता-पिता दूसरों से मदद लें
एक्सपर्ट कहते हैं- मानसिक स्वास्थ्य विकारों से निपटने के लिए उनकी समझ होनी जरूरी है। किशोर चिंतित या उदास होते हैं तो पैरेंट्स को शांतिपूर्ण, प्रभावी मदद देने और अपनी चिंता को प्रबंधित करने में सहयोग की जरूरत होती है। अवसाद-चिंता का इलाज संभव है, इसके लिए कभी मदद लेनी पड़े तो परहेज न करें।
देखभाल करने वालों पर ध्यान दें
माता-पिता को भी मानसिक स्वास्थ्य देखभाल की जरूरत है। वीसबॉर्ड कहते हैं स्वास्थ्य केंद्रों, कार्यस्थलों व सामुदायिक संस्थानों के जरिए माता-पिता के मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने से पूरे परिवार को लाभ हो सकता है। बाल मनोचिकित्सक पामेला कैंटर कहती हैं, माता-पिता चाहे उदास हों या नहीं, हर स्थिति में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
चर्चा में ईमानदार रहें
अवसादग्रस्त पैरेंट्स के किशोर उनके व्यवहार के लिए खुद को दोषी मानते हैं। इसलिए पैरेंट्स को सीखना चाहिए कि बच्चों से बात करते वक्त अपने अनुभवों को लेकर ईमानदार रहें।
उद्देश्य तय करने में मदद दें
स्टडी में 26% किशोरों ने माना कि जीवन में उन्हें उद्देश्य महसूस नहीं हुआ, जबकि अवसाद से इसका संबंध है। बच्चों का जीवन अर्थपूर्ण बनाने में पैरेंट्स को मदद करनी चाहिए ताकि उनका समग्र रूप से कल्याण हो सके।