योगी, भागवत, अमृतानंदमयी जाएंगे वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस में
नई दिल्ली
थाईलैंड की राजधानी बैंकाक में होने वाले तृतीय विश्व हिन्दू सम्मेलन में इस वर्ष 60 से अधिक देशों में रहने वाले हिन्दू समुदाय की ढाई हजार से अधिक हस्तियां जुटेंगी और दुनिया को हिंदू समुदाय के मूल्य, रचनात्मकता और उद्यमशीलता की भावना के साथ साथ आर्थिक, शिक्षा, मीडिया, संगठनात्मक और राजनीतिक सहित विभिन्न क्षेत्रों में उनके अद्वितीय नेतृत्व और योगदान से परिचित कराया जाएगा।
वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस इस वर्ष 24 से 26 नवंबर को बैंकाक में आयोजित किया जाएगा जिसमें उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत और मां अमृतानंदमयी के साथ-साथ पूरी दुनिया से विभिन्न हिंदू संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसके साथ ही बौद्ध समाज के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है। वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस-2023 का विषय ‘जयस्य आयतनं धर्मः’ है, जिसका अर्थ है ‘धर्म, विजय का आधार’।
उल्लेखनीय है कि प्रथम वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस का आयोजन 2014 में दिल्ली में और दूसरी का 2018 में अमेरिका के शिकागो में हुआ था। वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस का आयोजन करने वाले वर्ड हिंदू फाउंडेशन के प्रबंधन ट्रस्टी एवं विश्व हिन्दू परिषद के संयुक्त महामंत्री स्वामी विज्ञानानंद ने यूनीवार्ता से बातचीत में कहा कि तीसरी वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस में दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में हिंदुओं के साथ हो रहे भेदभाव, अत्याचार एवं हिंसा तथा उससे निपटने के तरीकों के साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में हिंदुओं की उपलब्धियों पर भी विचार मंथन किया जाएगा।
स्वामी विज्ञानानंद ने कहा, “तीन दिवसीय वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस हिंदुओं के मूल्यों, रचनात्मकता और उद्यमशीलता की भावना को उसकी संपूर्ण जीवंतता और महिमा के साथ व्यक्त करने के लिए सात समानांतर विषयगत सम्मेलनों का आयोजन करेगा। सम्मेलन दुनिया भर में हिंदुओं के सामने आने वाले अवसरों और चुनौतियों और उनसे साहसपूर्ण ढंग से कैसे निपटा जाए, इस पर चर्चा और विचार-विमर्श का अवसर प्रदान करेगा।”
उन्होंने कहा कि ये सात विषयगत सम्मेलन ‘हिंदुओं के लिए रणनीतिक महत्व’ के क्षेत्रों पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे और हिंदू नेताओं, कार्यकर्ताओं और विचारकों के बीच सहयोग के अवसर प्रदान करेंगे। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन प्रतिभागियों को ‘नेटवर्क बनाने, विचारों का आदान-प्रदान करने, आत्मविश्वास से काम करने और भविष्य की कार्ययोजना तैयार करने’ का अवसर प्रदान करेगा।
स्वामी विज्ञानानंद ने कहा कि सात विषयगत सम्मेलनों में से प्रत्येक के निष्कर्षों को वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस के प्रतिनिधियों के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा ताकि परिणामों की गंभीर रूप से जांच की जा सके और साथ ही उनके विचार भी शामिल किए जा सकें। कांग्रेस के आयोजन के बाद, सम्मेलन आयोजित करने वाले संगठन क्रमशः निष्कर्षों के कार्यान्वयन की निगरानी और सहायता के लिए उत्तरदायी होंगे, और प्रगति पर अगले डब्ल्यूएचसी में रिपोर्ट करेंगे।
उन्होंने कहा कि 2014 से हर चार साल में एक बार आयोजित होने वाला वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस दिखाता है कि कैसे ‘वैश्विक हिंदू समुदाय’ के मूल्य, रचनात्मकता और उद्यमशीलता की भावना के साथ साथ आर्थिक, शिक्षा, मीडिया, संगठनात्मक और राजनीतिक सहित विभिन्न क्षेत्रों में समुदाय की महिलाओं और युवाओं का अद्वितीय नेतृत्व और योगदान अभिव्यक्ति पाता है।
स्वामी विज्ञानानंद ने कहा कि हिंदू दुनिया का एकमात्र धर्म है, जो सभी पंथों, संप्रदायों और मान्यताओं का सम्मान करना सिखाता है। यह जीव मात्र से प्रेम की शिक्षा देता है। इसके बावजूद हिंदुओं को हजारों साल तक यातनाओं को सहना पड़ा और आज भी दुनिया के विभिन्न देशों में भेदभाव का होना पड़ रहा है।
हिंदुओं के एकजुट होकर इसके खिलाफ आवाज उठाने से इस भेदभाव को रोकने में मदद मिलेगी और साथ ही विश्व में हिंदुओं के शांति और बंधुत्व के मूल चिंतन को फैलाने में भी मदद मिलेगी।
स्वामी विज्ञानानंद ने कहा, “दुनिया के लगभग 200 देशों में 1.2 अरब हिंदू रहते हैं और यह फोरम जाति, नस्ल, लिंग, भाषा या अन्य किसी भेदभाव के एकजगह एकजुट होकर विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान करता है। वर्ल्ड हिन्दू कांग्रेस-2023 हमें हिंदू होने का गौरव महसूस कराएगा और हमारे मन को अपने हिंदू धर्म के प्रति अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को निडर होकर निभाने के लिए प्रेरित करेगा।”
उन्होंने कहा कि पूर्वी एशिया के देशों से भारत के प्राचीन रिश्तों को देखते हुए बैंकाक में होने वाले वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस को अहम माना जा रहा है। केन्द्र सरकार भी एक्ट ईस्ट नीति के तहत पूर्वी एशियाई देशों के साथ संबंधों को सशक्त बनाने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि इसे सिर्फ हिंदुओं के प्रतिनिधियों तक सीमित रखा गया है, लेकिन बौद्ध धर्म के साथ हिंदू धर्म के घनिष्ट संबंधों को देखते हुए कुछ बौद्ध बुद्धिजीवियों और धर्मगुरूओं को भी आमंत्रित किया गया है।
उन्होंने बताया कि दिल्ली में हुए पहले वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस में तिब्बती बौद्ध धर्म गुरू दलाई लामा शिरकत कर चुके हैं। पहले कांग्रेस में 1800 और दूसरे कांग्रेस में 2400 से अधिक प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया था। इस बार प्रतिनिधियों की संख्या को 2500 तक सीमित रखा गया है। उन्होंने कहा कि दक्षिण अमेरिका, यूरोप से अफ्रीका और एशिया से ऑस्ट्रेलिया तक सम्मेलन में 60 से अधिक देशों के प्रतिनिधियों के भाग लेने की उम्मीद है। इन प्रतिनिधियों में व्यवसायी, पेशेवर, शिक्षाविद, मीडियाकर्मी और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले हिंदू समाज के प्रतिष्ठित लोग शामिल होंगे।