हेल्थ जानने के लिए BMI नापना सबसे खराब तरीका
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन ने डॉक्टर्स को सलाह दी है कि स्वस्थ शरीर के पैमाने के रूप में बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) का इस्तेमाल न करें। अमेरिका में डॉक्टर्स के सबसे बड़े संगठन का कहना है कि यह अलग-अलग लोगों के शरीर की संरचना के बारे में समझने में विफल रहता है।
इसी वजह से डॉक्टर्स ने इसे लेकर नई नीति लागू करने के पक्ष में हाल में वोटिंग भी की। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में मेडिसिन के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. स्कॉट हेगन कहते हैं- बीएमआई फॉर्मूला श्वेत लोगों को ध्यान में रखकर बनाया गया था। नई नीति इस मॉडल से दूर जाने की दिशा में पहला कदम होगी। नई नीति में व्यक्ति की हाइट के अनुपात से ज्यादा वजन पर फोकस करने को कहा गया है। इसके अलावा विसरल फैट (आंतों और अंगों के आसपास जमा होने वाला फैट), बॉडी एडिपोसिटी इंडेक्स (हिप की परिधि), शरीर में फैट, हड्डी और मांसपेशियों का प्रतिशत जैसे कारकों के अलावा जेनेटिक व मेटाबोलिक फैक्टर्स जैसे ब्लड शुगर और थायरॉइड टेस्ट पर भी फोकस करने का सुझाव दिया गया है।
बीएमआई कोई जादुई नंबर नहीं
डॉ. हेगन कहते हैं कि बीएमआई सेहत जानने का बहुत ही खराब उपाय है। उच्च बीएमआई वाला भी कोई व्यक्ति पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है। कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के प्रो. जेनेट तोमियामा कहती हैं- बीएमआई कोई जादुई नंबर नहीं जो यह तय कर दे कि आप कितने सेहतमंद या बीमार हैं। दुनियाभर में बीएमआई के आधार पर समूहों की स्टडी करने वाले टेक्सास यूनिवर्सिटी में रिसर्च असिस्टेंट लिया गुटिन कहती हैं- नई नीति सस्ती और बेहतर नतीजे देने वाली भी है।
नई नीति ज्यादा बेहतर नतीजे देगी
ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी के वेक्सनर सेंटर में डायबिटीज एंड मेटाबॉलिज्म रिसर्च सेंटर की डायरेक्ट विला सुएह कहती हैं- बीएमआई के चलते ट्राइग्लिसराइड्स, यानी तथाकथित अच्छे कोलेस्ट्रॉल का कम स्तर, प्री डायबिटीज और लिवर फैट जैसे फैक्टर्स पर विचार ही नहीं किया जाता। ये अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ाते हैं। नई नीति ज्यादा बेहतर नतीजे देगी और डॉक्टर्स को समझने में आसानी होगी कि मरीज को किस तरह के उपचार की जरूरत है। बीएमआई सामान्य है तो भी दिल के रोग, बीपी और डायबिटीज का जोखिम रहता है।