राजनीति

राहुल गांधी की सजा पर रोक लगेगी या नहीं? 20 अप्रैल को आएगा फैसला

  अहमदाबाद
   

मोदी सरनेम वाले केस में सूरत की सेशंस कोर्ट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाने की याचिका पर सुनवाई पूरी हो गई है. इस मामले में कोर्ट अब 20 अप्रैल को फैसला सुनाएगा.  

इस मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा. इससे पहले 23 मार्च को सूरत की एक कोर्ट ने राहुल को दोषी माना था और उन्हें दो साल की सजा सुनाई थी. मानहानि मामले में 23 मार्च को दो साल की सजा सुनाए जाने के बाद राहुल गांधी तीन अप्रैल को सूरत की सेशंस कोर्ट में पेश हुए थे. उन्होंने सूरत कोर्ट में एक मुख्य याचिका दाखिल की थी और दो आवेदन दायर किए थे.

राहुल के पक्ष में फैसला आया तो….

अगर सूरत की सेशंस कोर्ट राहुल गांधी के पक्ष में फैसला सुनाती है तो इससे उनकी लोकसभा की सदस्यता बहाल हो सकती है. राहुल की ओर से कन्विक्शन को रद्द करने की अपील की गई है. अगर कोर्ट कन्विक्शन रद्द कर देती है तो इससे उन्हें बड़ी राहत मिल सकती है.

इसे ऐसे समझिए कि लक्षद्वीप के एनसीपी सांसद मोहम्मद फैजल को 10 साल की सजा मिली थी. लोकसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता रद्द होने का नोटिफिकेशन जारी कर दिया था. हालांकि, बाद में केरल हाईकोर्ट ने मोहम्मद फैजल का कन्विक्शन रद्द कर दिया तो लोकसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता बहाल कर दी.

पर ऐसा नहीं हुआ तो…

अगर ऊपरी अदालत से राहुल गांधी को कोई राहत नहीं मिली तो फिर उनकी सांसदी बहाल नहीं होगी. इतना ही नहीं, राहुल गांधी के चुनाव लड़ने पर भी रोक लगी रहेगी.

जनप्रतिनिधि कानून के तहत, दो साल या उससे ज्यादा की सजा मिलने पर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर रोक रहती है. ये रोक सजा पूरी होने के बाद शुरू होती है. यानी, राहुल गांधी 8 साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. इसका मतलब हुआ कि अगर कोई राहत नहीं मिली तो राहुल गांधी के 2024 और फिर 2029 के लोकसभा चुनाव लड़ने पर भी संकट खड़ा हो जाएगा.

राहुल गांधी की क्यों गई सांसदी?  

राहुल गांधी ने 2019 में कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी की थी. इस मामले में सूरत पश्चिम से बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का केस दर्ज कराया था. सूरत की एक सेशंस कोर्ट ने राहुल गांधी को इस मामले में दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी. दोषी ठहराए जाने के एक दिन बाद लोकसभा सचिवालय ने उनकी सदस्यता को रद्द कर दी थी. राहुल गांधी केरल के वायनाड संसदीय क्षेत्र से सांसद थे.

क्या है मोदी सरनेम का विवाद?

राहुल गांधी ने कर्नाटक में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में कहा था कि नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? इसके बाद बीजेपी विधायक पूर्णेश ने मानहानि का केस करते हुए आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है? उनके इस बयान से हमारी और समाज की भावनाओं को ठेस पहुंची. इन्हीं की याचिका पर सुनवाई के बाद राहुल गांधी को IPC की धारा 499 और 500 के तहत कोर्ट ने दोषी करार दिया था.

राहुल ने दाखिल की थी दो याचिका

राहुल गांधी ने सूरत कोर्ट में एक मुख्य याचिका दाखिल की थी और दो आवेदन किए थे. मुख्य याचिका में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी गई थी जबकि दो आवेदनों में से पहली अर्जी दोषसिद्धि (Conviction) पर रोक लगाने की थी, वहीं दूसरी अर्जी सजा पर रोक लगाने से जुड़ी थी.

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button