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एमपी में बीजेपी की ऐतिहासिक जीत के बाद क्या बना रहेगा शिवराज का राज ?

भोपाल

मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए रविवार को हुई मतगणना के बाद विधानसभा की जो तस्वीर उभरी है, उसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) को स्पष्ट बहुमत मिलने के कारण अब सत्ता की ताजपोशी किसके सिर पर होगी, यह फैसला पार्टी हाईकमान को जल्द करना होगा. चुनाव आयोग की ओर से मतगणना के परिणाम आधिकारिक तौर पर राजभवन को आज मिल जाएंगे. इसके साथ ही नई सरकार के गठन की औपचारिक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी. ऐसे में बीजेपी नेतृत्व के मन में यदि मौजूदा सीएम शिवराज के चेहरे को ही आगे बढ़ाने को लेकर कोई संशय नहीं है, तो इसकी घोषणा भी आज शाम तक ही कर दी जाएगी. अगर ऐसा नहीं है, तब फिर 'CM Face' के फैसले को लेकर थोड़ा समय लगना लाजमी है.

विधानसभा की मौजूदा स्थिति

चुनाव आयोग ने रविवार को दिन भर चली मतगणना के बाद देर रात विधानसभा की सभी 230 सीटों पर परिणाम घोषित कर दिए थे. इसके मुताबिक बीजेपी को 163, कांग्रेस को 66 और भारत आदिवासी पार्टी को 1 सीट मिली. बीजेपी ने शाम 5 बजे तक घोषित हुए चुनाव परिणामों के आधार पर ही बहुमत के जादुई आंकड़े (116) को हासिल कर लिया था. जबकि कांग्रेस शाम होते होते 55 के अंक पर ही अटक गई.

अगला सीएम कौन?

चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद अब सीएम पद के दावेदारों की नूराकुश्ती तेज हो गई है. सबसे पहला नाम सीएम शिवराज सिंह चौहान का ही है. बीजेपी की जीत में जिस प्रकार से महिला मतदाताओं ने अहम भूमिका निभाई, उसमें शिवराज सरकार की लाडली लक्ष्मी और लाडली बहना योजनाओं की अग्रणी भूमिका रही. इसका श्रेय श‍िवराज को मिलना तय है. साथ ही 3 बार उनके सीएम रहते बीजेपी को चुनावी जंग में पूर्ण बहुमत मिलने की उपलब्धि भी गौरतलब है. शारीरिक तौर पर भी श‍िवराज फिट हैं, ऐसे में जानकारों का मानना है कि महज 5 महीने बाद लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी नेतृत्व नया चेहरा लाने का जोखिम नहीं लेगा.

इसके साथ ही एक दलील यह भी दी जा रही है कि बीजेपी एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में Fresh Face देकर नए नेतृत्व को उभारने का संदेश देकर लोकसभा चुनाव में इसका लाभ लेना चाहेगी. इसे देखते हुए सीएम पद के दावेदारों में ज्योतिरादित्य सिंध‍िया, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल और कैलाश विजयवर्गीय का नाम चर्चा में है. हालांकि चुनाव परिणाम घोष‍ित होने के बाद सिंधिया ने इस रेस में शामिल न होने की बात कही है, लेकिन अंदरखाने उनका दावा पुख्ता होने के सच से इंकार नहीं किया जा सकता है. पिछले चुनाव में बीजेपी को चंबल इलाके में सिंधिया के कारण जो नुकसान हुआ था, उसकी भरपाई भी इस चुनाव में उन्होंने कर दी है.

ये भी हैं रेस में

वहीं तोमर, पटेल और विजयवर्गीय को पैराशूट उम्मीदवार के तौर पर बीजेपी ने चुनाव मैदान में उतारा था. चुनाव के समय यह चर्चा खूब रही कि इन नेताओं को बीजेपी नेतृत्व ने पार्टी को जिताने के एवज में चुनाव के बाद पुरस्कृत करने के भरोसे के साथ भेजा था.

ऐसे में विजयवर्गीय को तमाम राज्यों के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के लिए तारणहार बनने का पुरस्कार मिलने की उम्मीद है, वहीं पटेल को ओबीसी चेहरे के नाम पर किस्मत चमकने का भरोसा है. हालांकि इस लड़ाई में दिमनी सीट पर बीएसपी से कांटे के मुकाबले में पराजय के खतरे को किसी तरह पार करने के कारण तोमर का दावा थोड़ा कमजोर पड़ सकता ह‍ै. तोमर को चुनाव से पहले उनके बेटे के कथित वीडियो कांड से भी उबरना होगा.

चुनाव के चर्चित वादे और योजनाएं

कांग्रेस और बीजेपी ने चुनाव में जनता के साथ जमकर बड़े बड़े वादे किए. बीजेपी और कांग्रेस, ग्रामीण मतदाताओं में नाराजगी होने की हकीकत से वाकिफ थे, इसलिए दोनों दलों की भावी योजनाओं के केंद्र में किसान ही रहे. एक तरफ कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ की तर्ज पर किसानों के लिए न्याय योजना को लागू कर कर्ज माफी, सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली और गेहूं धान की खरीद पर बोनस देने का वादा किया. वहीं बीजेपी ने किसानों की कर्ज माफी के बजाय कर्ज के कारण दिवालिया हुए किसानों की ब्याज माफी को हथियार बनाया.

बीजेपी ने किसानों को गेहूं और धान की एमएसपी पर बोनस के साथ खरीद की गारंटी देकर कांग्रेस के वादे को फीका साबित कर दिया. इसके अलावा ग्रामीण एवं शहरी इलाकों में गरीब महिलाओं को लाडली लक्ष्मी और लाडली बहना योजना के तहत मिल रहे पैसे को बढ़ाकर देने का वादा करते हुए यह प्रचारित भी किया कि अगर कांग्रेस सत्ता में आ गई तो महिलाओं को पैसा देने वाली योजनाएं कमलनाथ सरकार बंद कर देगी. जैसा कि 18 महीने की सरकार में कुछ योजनाएं बंद की गई थी.

यही वजह रही कि नकद राशि मिलना बंद न हो, इसके लिए महिलाओं ने बीजेपी को जमकर वोट दिया, साथ ही किसानों ने भी कमल नाथ सरकार द्वारा कर्ज माफी का वादा पूरा नहीं किए जाने, और इसके उलट कर्जदार किसानों पर ब्याज का बोझ बढ़ने से नाराज होकर कांग्रेस के वादों पर भरोसा नहीं किया.

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