ममता और नीतीश को जल्दी चुनाव का क्यों सता रहा है डर, मुंबई की मीटिंग में करेंगे चर्चा
नई दिल्ली
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का कहना है कि लोकसभा चुनाव जल्दी हो सकते हैं। ऐसी आशंका सबसे पहले नीतीश कुमार ने ही जून में दोहराई थी और कहा था कि यह जरूरी नहीं है कि लोकसभा के चुनाव अगले साल ही हों। ऐसा भी हो सकता है कि इन्हें पहले ही करा लिया जाए और इस साल भी ये हो सकते हैं। इसी को आगे बढ़ाते हुए ममता बनर्जी ने पिछले दिनों कहा था कि सरकार पहले ही चुनाव करा सकती है क्योंकि वह तीन राज्यों में हार के बाद लोकसभा चुनाव में नहीं उतरना चाहती।
उनकी इस आशंका के बाद नीतीश कुमार ने एक बार फिर से कहा कि चुनाव जल्दी हो सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि ममता बनर्जी और नीतीश कुमार चाहते हैं कि विपक्ष की मुंबई में 31 अगस्त और 1 सितंबर को होने वाली मीटिंग में भी जल्दी चुनाव की संभावना पर चर्चा की जाए। इस बार की बैठक में INDIA गठबंधन के दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर भी बात हो सकती है, जो एकता की सबसे अहम कड़ी होगा। यही वजह है कि नीतीश और ममता जल्दी चुनाव पर चर्चा चाहते हैं ताकि आगे सीटों के बंटवारे पर बात हो सके और चुनाव की तैयारियों में भी सारे दल जुट सकें।
इस मीटिंग में INDIA गठबंधन का लोगो, मुख्यालय और संयोजक फाइनल हो सकते हैं। कयास हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को ही संयोजक बनाया जा सकता है, जबकि 11 अन्य दलों से सह-संयोजक हो सकते हैं। हालांकि पेच सीटों पर ही फंसेगा क्योंकि बिहार, बंगाल, यूपी जैसे राज्यों में क्षेत्रीय दल खासे मजबूत हैं और कांग्रेस भी आसानी से त्याग नहीं करना चाहेगी। पिछले दिनों अखिलेश यादव और ममता बनर्जी तो इस बात पर सहमत भी दिखे थे कि कांग्रेस को ऐसे राज्यों में क्षेत्रीय दलों को ही सपोर्ट करना चाहिए, जहां वह कमजोर है।
भाजपा और मोदी सरकार के इन कदमों से भी बढ़ी आशंका
जल्दी चुनाव होने का डर नीतीश और ममता बनर्जी जैसे नेताओं को इसलिए भी सता रहा है क्योंकि भाजपा की तैयारी भी तेज है। चर्चा है कि वह जल्दी ही लोकसभा उम्मीदवार भी तय करना शुरू कर देगी। यही नहीं जिस तरह एलपीजी गैस के दामों में 200 रुपये की कटौती की गई है और तमाम योजनाओं का खुद पीएम नरेंद्र मोदी उद्घाटन कर रहे हैं, उससे भी ऐसे कयास लग रहे हैं। भाजपा संसदीय दल की बैठकों में भी पीएम नरेंद्र मोदी सांसदों को लगातार संदेश देते रहे हैं कि वह जनता के बीच जाएं और सरकार की योजनाओं का प्रचार करें। साफ है कि भाजपा महीनों पहले से ही चुनावी मोड में है और इसी से विपक्ष की आशंकाओं को बल मिल रहा है।