देश

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिए ऐसा आदेश?- आवेदन के लास्ट डेट के बाद नहीं दे सकते भर्ती नियमों में ढील

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिए गए एक फैसले में कहा है कि किसी भी पद पर भर्ती के लिए जारी विज्ञापन के नियमों और पात्रता मानदंडों में आवेदन के आखिरी दिन के बाद बदलाव नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में ये भी कहा कि ऐसे मामलों में आवेदित पद के लिए पात्रता मानदंडों में तब तक छूट नहीं दी जा सकती, जब तक कि नियमों या पद के विज्ञापनों में उक्त छूट की परिकल्पना नहीं की गई हो।

कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी व्यवस्था दी है कि अगर इस तरह के किसी भी नियम या पात्रता मानदंड में छूट दी जाती है तो उसे वैध ठहराने के लिए व्यापक रूप से बदलाव के बारे में आवेदकों के बीच प्रचारित किया जाना चाहिए। जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट का फैसला पलट दिया। खंडपीठ हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ कुछ आवेदकों की अपील पर सुनवाई कर रही थी।

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश सरकार के तहत जूनियर ऑफिस असिस्टेंट (जेओए) के पद पर भर्ती से संबंधित विवाद के मामले में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें सामान्य भर्ती और पदोन्नति नियम, 2014 द्वारा निर्धारित अंतिम तिथि के बाद जेओए के पद के लिए आवश्यक पात्रता योग्यता में छूट देने की राज्य सरकार की कार्रवाई को बरकरार रखा गया था।

सरकार के कदम का बचाव करते हुए हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि विज्ञापन के मूल नियम, जिन्होंने पद के लिए आवश्यक पात्रता योग्यता निर्धारित की थी, भ्रामक और अस्पष्ट थे। इसलिए अभ्यर्थियों से आवेदन प्राप्त करने के लिए भर्ती प्रक्रिया में राज्य सरकार द्वारा दी गई "छूट" का आदेश वैध था।

हाई कोर्ट के इस फैसले परिणाम यह हुआ कि जिन अभ्यर्थियों को प्रारंभ में मूल नियमों के तहत अयोग्य ठहराया गया था। छूट आदेश के अनुसार वे पात्र माने गए और उसके अनुसार फिर योग्यता सूची तैयार की गई। इससे यह हुआ कि जो उम्मीदवार मेरिट लिस्ट में निचले पायदान पर थे, वो छूट की वजह से नए उम्मीदवारों के जुड़ने से मेरिट लिस्ट से फाइनली बाहर हो गए। इसे उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के उदाहरणों को रेखांकित करते हुए दोहराया कि पात्रता मानदंड, जब तक कि मौजूदा नियमों या विज्ञापन में अन्यथा प्रदान न किया गया हो, उम्मीदवार को विज्ञापन में निर्दिष्ट आवेदन प्राप्त करने की अंतिम तिथि तक पूरा करना होगा। कोर्ट ने कहा कि कानून तय कर चुका है कि यदि मौजूदा नियम पात्रता मानदंड में ढील देने की शक्ति प्रदान करते हैं, तो इसका प्रयोग केवल तभी किया जा सकता है जब ऐसी शक्ति विज्ञापन में आरक्षित रखी गई हो।

इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि जब ऐसी शक्ति का प्रयोग किया जाए तो उसका व्यापक प्रचार होना चाहिए ताकि जिन व्यक्तियों को ऐसी शक्ति के प्रयोग से लाभ होने की संभावना हो, उन्हें आवेदन करने और प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिल सके। कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले मे यह स्पष्ट नहीं होता कि आवेदन प्रक्रिया के किसी भी चरण में विज्ञापन में निर्दिष्ट आवश्यक पात्रता योग्यता में छूट देने की शक्ति सुरक्षित रखी गई है और ना ही पात्रता मानदंडों में ढील देने के निर्णय को व्यापक रूप से प्रचारित किया गया है। इसलिए, अदालत हिमाचल प्रदेश स्टाफ सेलेक्शन कमीशन के बदलाव को अनुचित और ग़लत मानते हुए खारिज करती है।

 

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button