हिमाचल में कांग्रेस की ऐसी किरकिरी क्यों कराई, बागी ने बताई पूरी बात
शिमला
हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ज्यादा पुरानी नहीं है, मात्र 14 महीने पहले उत्तर भारत में कांग्रेस को जश्न मनाने की वजह देने वाली देवभूमि की ये कांग्रेस सरकार अब लड़खड़ाने लगी है. सीएम सुक्खू के सुख भरे दिन अब लदने वाले हैं और लगता है कि कुर्सी पर जमें रहने के लिए उन्हें तगड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है.
हिमाचल प्रदेश: वीरभद्र सिंह के बेटे ने मंत्री पद से दिया इस्तीफा
हिमाचल प्रदेश में असंतोष का ये बुलबुला यूं ही नहीं फूटा है. इस असंतोष की नींव तो तब ही पड़ गई थी जब चुनाव जीतने के बाद राज्य में सरकार बनाने की बारी आई. पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद कांग्रेस राज्य में सरकार बनाने की स्थिति में आई तो ये मौका पार्टी के लिए कई परेशानियां लेकर आई.
सीएम पद की दावेदारी के लिए कई नाम सामने आए. एक दावेदार तो स्वयं वीरभद्र की पत्नी प्रतिभा सिंह थीं. वो रेस में सबसे आगे चल रही थीं.
वीरभद्र के रणनीतिकार को बीजेपी ने बनाया राज्यसभा कैंडिडेट
इसी बीच राज्यसभा चुनाव का समय आ गया. इस दौरान दो घटनाक्रम और हुए. इस राज्यसभा चुनाव के लिए बीजेपी ने पर्याप्त संख्याबल न रहने के बावजूद हर्ष महाजन को उम्मीदवार बना दिया. यहां हर्ष महाजन की पृष्ठभूमि भी जाननी जरूरी है. हर्ष महाजन को कांग्रेस के पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह का रणनीतिकार कहा जाता है.
हर्ष महाजन 2022 में विधानसभा चुनावों से ठीक पहले कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आ गए थे. तब उनका ये दांव भले ही प्रभावशाली न रहा हो, लेकिन इस बार हर्ष महाजन ने बीजेपी आलाकमान से मिले सहयोग के दम पर कांग्रेस के कद्दावर अभिषेक मनु सिंघवी को राज्यसभा चुनाव में मात दे दिया.
जी-23 वाले आनंद शर्मा मनमसोस कर रह गए
राज्यसभा चुनाव की रेस में कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश से अभिषेक मनु सिंघवी को उतार दिया. पार्टी सिंघवी की जीत को लेकर बेफिक थी. सामान्य परिस्थितियों में 40 विधायकों के साथ सिंघवी की जीत को लेकर कोई दुविधा भी नहीं थी. लेकिन यहां अंदर ही अंदर कुछ चल रहा था. माना जा रहा है कि सीनियर कांग्रेस लीडर आंनद शर्मा भी राज्यसभा जाना चाहते थे. आनंद शर्मा शिमला से आते हैं, लिहाजा हिमाचल से बतौर राज्यसभा उम्मीदवार उनकी दावेदारी को नैतिक समर्थन भी हिमाचल कांग्रेस में मिल रहा था.
लेकिन गौरतलब है कि आनंद शर्मा कांग्रेस कभी कांग्रेस के असंतुष्टों के उस जी-23 ग्रुप का हिस्सा थे जिन्होंने पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की बात उठाई थी और अध्यक्ष पद के चुनाव की मांग की थी. लिहाजा आलाकमान ने उनकी महात्वाकांक्षाओं को तवज्जो नहीं दी. और आनंद शर्मा खुन्नस में ही रह गए.
राज्यसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को मिली करारी हार के बाद अब सुक्खविंदर सिंह सुक्खू की सरकार का गिरना लगभग तय हो चुका है। 40 के मुकाबले 25 के भारी अंतर के बावजूद भाजपा ने जिस तरह कांग्रेस को मात दी है वह पार्टी के रणनीतिकारोंं के लिए बड़ा झटका और कभी ना भूल सकने वाला सबक है।
भाजपा ने बाजी पलटने के लिए एक बार फिर कांग्रेस के ही एक पुराने मोहरे का इस्तेमाल किया। भाजपा की ओर से राज्यसभा का चुनाव जीतने वाले हर्ष महाजन ही वह शख्स हैं जो कभी कांग्रेस के मजबूत सिपाही थे और अब पहाड़ी राज्य में कमल खिलाने के लिए मेहनत कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी रहे हर्ष महाजन तीन बार विधायक और एक बार मंत्री रहे हैं। चंबा के रहने वाले हर्ष महाजन के पिता देशराज महाजन भी कांग्रेस के नेता थे।
2022 विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हर्ष महाजन को भगवा कैंप ने हिमाचल में 'चाणक्य' के तौर पर इस्तेमाल किया। हर्ष को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद से ही यह आशंका जताई जा रही थी कि पहाड़ी राज्य की सियासत में कुछ गर्माहट दिख सकती है। हर्ष महाजन वीरभद्र के बड़े रणनीतिकार और अहम सहयोगी थे। उनका कांग्रेस के छोटे कार्यकर्ताओं से लेकर सभी बड़े नेताओं के बीच संपर्क है। हर्ष महाजन ने अपने पुराने परिचय का इस्तेमाल करते हुए कांग्रेस के बागी गुट को अपने साथ जोड़ लिया।
सोमवार को जब राज्यसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती चल रही थी तो मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के मीडिया में आए बयानों ने साफ कर दिया था कि उन्हें जमीन खिसक जाने का अहसास हो चुका है। शाम को परिणाम आए तो वही हुआ जिसका डर था। दोनों ही दलों को 34-34 वोट मिले थे। बाद में पर्ची ने भी भाजपा का साथ दिया और भगवा कैंप ने वह कर दिया जिसकी कल्पना हिमाचल से बाहर बैठे बहुत से सियासी पंडित नहीं कर पाए थे।
शिमला में बाहरी हो गए सिंघवी
इसका नतीजा ये हुआ कि हिमाचल प्रदेश की कुछ शक्तियों ने अभिषेक मनु सिंघवी को बाहरी कहना शुरू कर दिया और उनकी दावेदारी का अंदर ही अंदर विरोध होने लगा. सीएम सुक्खू विरोध की इस लहर का भांप नहीं पाए और गच्चा खा गए.
चुनाव हारने के बाद सिंघवी स्वयं कहा कि ये एक तरह से कांग्रसे बनाम कांग्रेस की ही लड़ाई बन चुकी थी. क्योंकि जिन 6 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की उन्होंने डिनर और नाश्ता उन्हीं के साथ किया था, फिर भी वे उनकी मंशा को नहीं समझ सके.
बगावत के संकेत देते रहे विधायक
दिलचस्प ये है कि जिन 6 विधायकों (सुजानपुर-राजेंद्र राणा, धर्मशाला-सुधीर शर्मा, लाहौल स्पीति-रवि सिंह ठाकुर, हमीरपुर-इंद्र दत्त लखनपाल, गगरेट-चैतन्य ठाकुर, कुटलैहड-देवेंद्र भुट्टो) ने बीजेपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की है उन्हें स्वर्गीय वीरभ्रद सिंह के कैंप का माना जाता है.राज्य की राजनीति पर निगाह रखने वाले लोग बताते हैं कि राजेंद्र राणा, सुधीर शर्मा जैसे असंतुष्ट विधायकों से संवाद न होने की वजह से ये खेल हुआ है. सीएम सुक्खू यहां भारी चूक कर गए. मंत्री न बन पाए की वजह से ये नेता शुरू से ही नाराज चल रहे थे और सोशल मीडिया पोस्ट से ऐसा संकेत देने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन सीएम का तंत्र इनसे संवाद स्थापित नहीं कर पाया. राज्य कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह तो पहले ही अलग मुद्रा में थीं.
इस बीच, CM सुक्खू और मनु सिंघवी ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस की है। मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा, ''कांग्रेस के 6 विधायकों ने अपना इमान बेच दिया। उन्होंने कहा कि कोई इमान ही बेच दे तो हम क्या कर सकते है।'' इसी के साथ कहा, ''हमारे 34 विधायकों ने नैतिकता और चरित्र का परिचय दिया है और बहुमत का फैसला विधानसभा में होगा।'' इस दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने हर्ष महाजन को जीत की बधाई दी। उन्होंने कहा कि क्रॉस वोटिंग करने वाले 9 विधायक कल रात तक हमारे साथ थे।
इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के नेता जय राम ठाकुर ने कहा कि कांग्रेस राज्यसभा चुनाव हार गई है और पार्टी के उम्मीदवार हर्ष महाजन को चुनाव जीतने के लिए बधाई दी। हिमाचल प्रदेश के एलओपी और हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा, "इतने बड़े बहुमत के बावजूद, कांग्रेस राज्यसभा सीट हार गई… मैं हर्ष महाजन को एक बार फिर बधाई देता हूं।"