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5 दर्जन मुस्लिम देश अपने ही जाल में फंसे, गाजा केस में निशाने पर क्यों

तेल अवीव

गाजा पट्टी पर इजरायली हमलों का आज 89वां दिन है। इजरायली फौज के ताजा हमलों में चार फिलिस्तीनी सैनिक मारे गए हैं। इसके साथ ही IDF की भीषण बमबारी में अब तक 8,000 से अधिक बच्चों और 6,000 महिलाओं समेत करीब 22,000 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 19 लाख लोग विस्थापित हुए हैं।  इजरायली हमलों में गाजा पट्टी में स्वास्थ्य और खाने-पीने का संकट समेत अन्य बुनियादी ढांचे ध्वस्त हो चुके हैं। इन सबको देखते हुए दक्षिण अफ्रीका, जो नरसंहार कन्वेंशन पर हस्ताक्षरकर्ता है, ने हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) से इजरायल को युद्ध अपराधी करार देने और गाजा में हो रहे नरसंहार की जांच कराने की गुहार लगाई है।

दक्षिण अफ्रीका की इस मुहिम से पांच दर्जन ऐसे मुस्लिम देशों, जो इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) और अरब लीग के सदस्य देश हैं, के सामने नई चुनौती और अवसर दोनों खड़े हो गए हैं। इन देशों के अंदर भी इजरायल के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग हो रही है लेकिन अब तक ऐसे देश इजरायल के खिलाफ खुलकर सामने आने से बचते रहे हैं। हालांकि, यह लंबे समय से प्रतीक्षित कदम है, जो मिडिल-ईस्ट में चल रहे संघर्ष का समाधान कर सकता है और इलाके में मानवाधिकारों का संरक्षण कर सकता है।

धर्मसंकट में क्यों मुस्लिम देश?
इस्लामिक सहयोग संगठन और अरब लीग के सदस्य आज धर्मसंकट में हैं। वो खुलकर इजरायल के खिलाफ कोई भी कदम उठाने से बच रहे हैं , जबकि पांच साल पहले इस्लामिक सहयोग संगठन ने म्यांमार के रोहिंग्या मुसलमानों के कथित नरसंहार के खिलाफ गाम्बिया के मामले का समर्थन किया था। अब जब गाजा में फिलिस्तीनियों का कत्ले-आम हो रहा है, तब उन्हीं इस्लामिक सहयोग संगठन और अरब लीग के देशों से उसी तरह का समर्थन किए जाने की उम्मीद की जा रही है।

अगर ये मुस्लिम देश इजरायल के खिलाफ और दक्षिण अफ्रीका के समर्थन में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रुख करते हैं तो इजरायल के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। ऐसे में अरब लीग और ओआईसी को तत्काल यह स्पष्ट करना चाहिए कि एक संगठन के रूप में वे स्पष्ट रूप से आईसीजे में दक्षिण अफ्रीका के आवेदन का समर्थन करते हैं या नहीं। अगर ये देश दक्षिण अफ्रीका के आवेदन का समर्थन नहीं करते हैं तो उन्हें अपने-अपने देशों में लोगों का भारी विरोध झेलना पड़ सकता है क्योंकि उन मुस्लिम देशों में लंबे समय से इजरायल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की जा रही है।

दक्षिण अफ्रीका के आवेदन का समर्थन किया तो क्या?
यहां यह बात गौर करने वाली है कि ICJ में दक्षिण अफ्रीका का आवेदन मात्र आरोप नहीं है; यह 84 पेज का एक व्यापक दस्तावेज़ है जो आईसीजे की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है। यह विस्तृत तथ्यात्मक और कानूनी विश्लेषण पर आधारित है। दक्षिण अफ़्रीका का यह कदम, जैसा कि इजरायल का दावा है, किसी आतंकवादी संगठन के साथ सहयोग या मानहानि या यहूदी विरोधी कार्रवाई नहीं है; यह नरसंहार कन्वेंशन के तहत दायित्वों का एक हिस्सा है। यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय और न्याय एवं मानवाधिकार के सिद्धांतों के प्रति जिम्मेदारी का एक महत्वपूर्ण कार्य है और इससे भविष्य में होने वाले और अधिक जान-माल के नुकसान को रोक सकता है।

अरब लीग में कौन-कौन से देश
बता दें कि अरब लीग में फिलहाल 22 सदस्य देश हैं> इसके तहत अल्जीरिया, बहरीन, कोमोरोस, जिबूती, मिस्र, इराक, जॉर्डन, कुवैत, लेबनान, लीबिया, मॉरिटानिया, मोरक्को, ओमान, फिलिस्तीनी प्राधिकरण, कतर, सऊदी अरब, सोमालिया, सूडान, सीरिया, ट्यूनीशिया, संयुक्त अरब अमीरात और यमन आते हैं।

इस्लामिक सहयोग संगठन क्या और उसमें कितने देश
इस्लामिक सहयोग संगठन एक अंतर-सरकारी संगठन है। पहले इसका नाम इस्लामिक सम्मेलन का संगठन था। इसकी स्थापना 1969 में हुई थी। इसमें 57 सदस्य देश हैं। इनमें से 48 मुस्लिम बहुल देश हैं। सदस्य देशों में अफगानिस्तान, अल्जीरिया, बांग्लादेश, किस्तान, फिलिस्तीन, कतर, सऊदी अरब, ईरान, इराक, संयुक्त अरब अमीरात, उज़्बेकिस्तान, जॉर्डन, मोरक्को, मोज़ाम्बिक, ब्रुनेई दारुस्सलाम, सूडान, सीरिया, ताजिकिस्तान, बुर्किना फासो, जिबूती, मिस्र, गैबॉन, गाम्बिया, गिनी, इंडोनेशिया, नाइजर, नाइजीरिया, ओमान, पासेनेगल, सोमालिया, तुर्की, ट्यूनीशिया, तुर्कमेनिस्तान, यमन शामिल हैं।

 

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