16 या 17 सितंबर, कब है अनंत चतुर्दशी? इस दिन जरूर करें ये कार्य
अनंत चतुर्दशी का पर्व हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है। यह हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो भगवान विष्णु (श्री हरि) की कृपा प्राप्ति के लिए समर्पित है। साथ ही, इस दिन को गणेश विसर्जन के पर्व के रूप में भी जाना जाता है, जब 10 दिनों की गणेश चतुर्थी पूजा का समापन होता है। इस दिन भक्तगण अपने घरों और मंडलों में स्थापित गणपति की मूर्तियों का विसर्जन करते हैं, जिसे श्रद्धा और उत्साह से मनाया जाता है।
अनंत चतुर्दशी शुभ मुहूर्त
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 16 सितंबर 2024 को दोपहर 3:10 बजे शुरू होगी और 17 सितंबर को सुबह 11:44 बजे समाप्त होगी। इस प्रकार, अनंत चतुर्दशी मंगलवार, 17 सितंबर को मनाई जाएगी। पूजा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
अनंत चतुर्दशी पूजा मुहूर्त: प्रातः 6:07 से सुबह 11:44 तक।
अनंत चतुर्दशी पर अवश्य करें यह कार्य
अनंत चतुर्दशी पर भगवान विष्णु की पूजा विशेष विधि-विधान से की जाती है। माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से व्यक्ति के सारे दुख, पाप, और कष्ट समाप्त होते हैं। पूजा की प्रक्रिया निम्नलिखित है:
प्रारंभिक तैयारी: इस दिन प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को साफ करके वहां एक चौकी स्थापित करें। चौकी पर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और उन्हें पीले फूल, चंदन, अक्षत, धूप-दीप, और नैवेद्य अर्पित करें।
अनंत सूत्र की तैयारी: एक कच्ची रेशम की डोरी लें और इसे हल्दी या केसर से रंग दें। इस डोरी में चौदह गांठ लगाएं। इसे "अनंत सूत्र" कहा जाता है। हर गांठ भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप का प्रतीक है।
भगवान विष्णु की पूजा: भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करें और "ॐ अनंताय नमः" मंत्र का जाप करें। इसके बाद अनंत सूत्र को भगवान के चरणों में अर्पित करें।
अनंत सूत्र धारण: पूजा के बाद, पुरुष इस अनंत सूत्र को अपने दाएं हाथ में बांधें और महिलाएं इसे अपने बाएं हाथ में धारण करें। यह सूत्र जीवन में सुरक्षा, समृद्धि और अनंत आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
विसर्जन: अनंत सूत्र को रात्रि में उतारकर, अगले दिन किसी पवित्र नदी या तालाब में प्रवाहित कर दें। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी प्रकार के पाप और दुख नष्ट हो जाते हैं और साधक को स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।