जब बेनजीर भुट्टो ने अपने भाषण में कहा था-‘जग, जग, मो-मो, हन-हन’, भारत में मच गया था हंगामा; जानें क्यों?
नई दिल्ली
पूरब की बेटी के नाम से जानी जाने वाली बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री थीं। वह किसी मुस्लिम देश की भी पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। 1988 में जब चुनाव हुए तो बेनजीर भारी मतों से जीतकर पहली बार पाकिस्तान की प्रधानमंत्री बनी थीं। हालांकि, दो साल से भी कम समय तक भुट्टो पीएम रह सकीं। उन्हें अगस्त 1990 में तत्कालीन राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने बर्खास्त कर दिया था।
बेनजीर भुट्टो सार्वजनिक मौकों पर कहा करती थीं कि उनके तीन आदर्श हैं। पहले उनके पिता जुल्फिकार अली भुट्टो, दूसरे फ्रांस की राष्ट्रवादी संत जॉन ऑफ ऑर्क और तीसरी भारत की प्रधानमंत्री रहीं इंदिरा गांधी। पहली बार प्रधानमंत्री बनने के बाद बेनजीर भुट्टो ने भारत के साथ रिश्ते सुधारने की भरपूर कोशिश की थी। दिसंबर 1988 में ही जब भुट्टो पहली बार पीएम बनीं थीं, तब उन्होंने भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और उनके पूरे परिवार का गर्मजोशी से स्वागत किया था। इससे दोनों देशों की कटुता मित्रता में तब्दील होती नजर आई थी।
हालांकि, यह मित्रता फिर कटुता में तब बदल गई, जब 1990 में भुट्टो ने चुनावी माहौल के बीच पाक अधिकृत कश्मीर में जाकर भारत के खिलाफ भाषण दिया। भुट्टो ने भारत खासकर कश्मीर के खिलाफ कई विवादित बयान दिए थे। साल 1990 में बेनजीर भुट्टो ने कश्मीर के राज्यपाल रहे जगमोहन को लेकर भी एक ऐसी टिप्पणी की थी और हाथों से उनके बारे में ऐसा इशारा किया था, जो काफी चर्चा में रहा था। ऐसे भाषण का सियासी लाभ भी बेनजीर भुट्टो को मिला और वह दोबारा चुनकर प्रधानमंत्री बनीं।
पाक अधिकृत कश्मीर में तब बेनजीर भुट्टो ने कहा था, "कश्मीर के लोगों को मौत का डर नहीं है क्योंकि वे मुसलमान हैं। कश्मीरियों में मुजाहिदीन का खून है। कश्मीर के लोग वकार (इज्जत) के साथ जिंदगी जीते हैं, जल्दी ही हर गांव से एक ही आवाज निकलेगी- आजादी। हर स्कूल से एक ही आवाज निकलेगी- आजादी। हर बच्चा चिल्लाएगा- आजादी, आजादी, आजादी।"
इतना कहकर भुट्टो ने तब हाथ से जो इशारा किया था, वो आतंकियों को उकसाने वाला था। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन गवर्नर जगमोहन को संबोधित करते हुए अपने दाहिने हाथ की खुली हथेली पर बाएं हाथ की मुट्ठी मारते हुए कहा था, ‘जग, जग, मो-मो, हन-हन’। बेनजीर भुट्टो का यह डायलॉग और ऐक्शन इतना आक्रामक था कि 1990 में उसे टीवी पर टेलिकास्ट होने से रोक दिया गया था।
21 जून, 1953 को कराची में जन्मीं भुट्टो के इस भाषण पर भारत में तब खूब हंगामा मचा था। वह बाद में 1993 से 1996 तक दोबारा पाकिस्तान की प्रधानमंत्री रही थीं। 1996 में उन्हें दोबारा भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया था। 11 साल बाद 27 दिसम्बर 2007 को एक चुनावी रैली के बाद उनकी हत्या कर दी गई थी।