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US ने बनाया सैटेलाइट जैमर, रूस-चीन की आसमानी आंख बंद करने की तैयारी, ऐसे करता है काम

वॉशिंगटन
 चीन और रूस की सैटेलाइट को युद्ध के दौरान जाम करने के लिए बनाए गए हथियार की तकनीकी खामियों को दूर कर लिया गया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी स्पेस फोर्स ने इसकी घोषणा की है। निर्धारित समय से दो साल की देरी के बाद इसकी डिलीवरी की उम्मीद जताई जा रही है। L3Harris टेक्नोलॉजीस सिस्टम एक काउंटर कम्युनिकेशन सिस्टम का हल्के वजन वाला और लाने ले जाने में आसान वर्जन है। इसे मीडोलैंड्स के नाम से जाना जाता है।

साल 2020 में इसे चालू घोषित किया गया था। नया मॉडल अपना सॉफ्टवेर अपडेट कर सकता है। साथ ही यह हल्की और कई अन्य फ्रीक्वेंसी को जाम करने में सक्षम है। मूल रूप से इसकी डिलीवरी 2022 में होनी थी। लेकिन अज्ञात तकनीकी समस्याओं के कारण इसमें देरी हुई है। स्पेस सिस्टम्स कमांड के मुताबिक पिछले महीने तक इसने सभी सिस्टम-लेलव वेरीफिकेशन पूरे कर लिए हैं। अगले साल से इसकी डिलीवरी हो सकती है।

अमेरिका तैनाती की कर रहा तैयारी

जनवरी और मार्च के बीच अंतरिक्ष बल यह आकलन करेगा कि प्लान किए गए 32 हथियारों में से पहले पांच को कब ऑपरेशनल घोषित किया जा सकता है। कमांड के मुताबिक उन्हें स्पेस फोर्स की इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर यूनिट, स्पेस डेल्टा 3 को सौंपा जाएगा। एल3हैरिस ने एक बयान में कहा, 'मीडोलैंड्स प्रणाली तकनीकी प्रदर्शन, तैनाती और रखरखाव के लिए सरल लॉजिस्टिक के मामले में महत्वपूर्ण अपडेट होगा। यद्यपि वेरीफिकेशन टेस्टिंग में अनुमान से ज्यादा समय लगा।'

चीन-रूस की सैटेलाइट को करेगा जाम

मीडोलैंड्स जैसे जैमर का उद्देश्य चीनी और रूसी स्पेस सिस्टम की बढ़ती संख्या का मुकाबला करना है। संघर्ष की स्थिति में यह अस्थायी रूप से इन्हें क्षति पहुंचाएगा। चीन अलग-अलग सेंसरों से लैस 300 से ज्यादा रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट का संचालन करता है। वहीं रूस दुनिया की कुछ सबसे सक्षम रिमोट-सेंसिंग सैटेलाइटों का संचालन करता है। लेकिन अमेरिका और चीन की तुलना में इसकी संख्या सीमित है।

Pradesh 24 News
       
   

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