भोपालमध्यप्रदेश

तबादला की आस और अच्छी पोस्टिंग के प्रयास में आईपीएस अफसरों का इंतजार

भोपाल

आईपीएस अफसरों के बहुप्रतिक्षित तबादला आदेश को लेकर प्रदेश में यही स्थिति बन चुकी है। पिछले तीन महीनों से तबादला की आस और अच्छी पोस्टिंग के प्रयास में बैठे जिलों के आईपीएस अफसरों को लेकर जिलों की जनता को भी इंतजार हैं कि उनके यहां का नया पुलिस कप्तान कौन होगा।

यह स्थिति प्रदेश के दो दर्जन से ज्यादा जिलों में हो चुकी है। पुलिस महकमे के अलावा पूरे जिला प्रशासन और  राजनीतिक गलियारों से निकल कर अब यह चर्चा आम हो चुकी है कि तीन साल पूरे करने वाले अफसर तुम कब जाओगे।  इन सभी चर्चाओं के बीच इस लंबे इंतजार का असर पुलिस अफसरों के काम-काज के साथ ही सिस्टम पर भी दिखाई देने लगा है।

छिंदवाड़ा, नरसिंहपुर प्रभारी के भरोसे
मध्य प्रदेश कॉडर में एसपी रेंक के अफसरों की भरमार होने के बाद भी संवेदनशील जिलों में शुमार नरसिंहपुर और राजनीतिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण जिला छिंदवाड़ा प्रभारी पुलिस अधीक्षकों के भरोसे चल रहा है। नरसिंहपुर और छिंदवाड़ा के एसपी प्रतिनियुक्ति पर चले गए हैं। अब दोनों ही जिलों में नए पुलिस अधीक्षकों को पदस्थ करना है, लेकिन यह भी दो महीने से नहीं हो सका है।

तीन महीने से डीआईजी कर रहे एसपी का काम
प्रदेश के आधा दर्जन जिलों में पदस्थ एसपी और पुलिस कमिश्नर सिस्टम में पदस्थ एक अफसर एक जनवरी को एसपी से डीआईजी के पद पर पदोन्नत हो गए हैं, लेकिन काम वे सभी अभी एसपी रेंक का ही कर रहे हैं। इसके चलते इनके जिलों में सभी अफसर और जनता एवं नेता यह जानते हैं कि जल्द ही एसपी का तबादला होगा। इसमें सागर, रीवा, सीधी, विदिशा, कटनी, राजगढ़ के साथ ही इंदौर के एक डीसीपी डीआईजी बन चुके हैं। इनके साथ ही करीब डेढ़ दर्जन पुलिस अधीक्षकों को नवंबर तक तीन साल पूरे हो रहे हैं। कई अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक और डीएसपी के साथ ही पुलिस निरीक्षकों भी तीन साल के इस फेरे में आ रहे हैं।

एसपी से लेकर उपनिरीक्षक को अच्छी पोस्टिंग की चाह
विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तीन साल यह उससे ज्यादा का समय एक ही जिले में बिताने वाले पुलिस अधीक्षकों के साथ ही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, डीएसपी , निरीक्षक और उपनिरीक्षकों तक के तबादले होने हैं। सरकार ने यह तय किया है कि नवम्बर 2023 तक जिन्हें भी तीन साल का समय हो रहा है, उन्हें बदला जाएगा। हालात यह हो चुके हैं कि एसपी से लेकर उपनिरीक्षक को यही लगता है कि उनका दो-चार दिन में ही तबादला हो जाएगा।

जिनको लगता है कि उनका तबादला तीन साल वाली परिधि में आकर होना है, वे अच्छी पोस्टिंग पाने के प्रयास में जुटे हुए हैं। यह स्थिति बनने से उनके कामकाज पर सीधा असर पड़ रहा है। जिलों में होने वाले आम जनता के कामों और अन्य कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी के बीच यह तनाव भी उनके काम पर असर डाल रहा है। हालात ऐसे बन गए हैं कि हर अफसर एक दूसरे से तबादलों को लेकर सबसे पहले चर्चा करता है। कुछ बड़े अफसर कुछ उलझे हुए कामों को आने वाले नए अफसर पर टालने के लिए उसे पेंडिंग रख रहे हैं।

Pradesh 24 News
       
   

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