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गाजर में छिपा है विटामिन बी, प्रोटीन, कैल्शियम और आयरन

एग्जाइंटी और घबराहट आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी का आम हिस्सा बन गई है. ये न सिर्फ आपकी मानसिक सेहत को प्रभावित करती हैं, बल्कि शारीरिक परेशानियों का कारण भी बन सकती हैं. लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है, कुछ आसान उपायों को अपनाकर आप इन समस्याओं को कम कर सकते हैं.

1. बॉक्स ब्रीदिंग

पहला उपाय है बॉक्स ब्रीदिंग (Box Breathing). इस सांस वाले व्यायाम में आप चार सेकंड की गिनती में सांस अंदर लेते हैं, चार सेकंड रोकते हैं, फिर चार सेकंड में सांस छोड़ते हैं और अंत में चार सेकंड फेफड़ों को खाली रखते हैं. इसे बॉक्स ब्रीदिंग कहते हैं. यह तनावग्रस्त होने पर सहानुभूति तंत्र (fight-or-flight response) को कम करके पर आराम और पाचन तंत्र को एक्टिव करके एग्जाइंटी को कम करने में मदद करता है. आप हर घंटे 15 बार बॉक्स ब्रीदिंग का अभ्यास कर सकते हैं. याद रखें कि ज्यादा एग्जाइंटी के दौरान कुछ भी न खाएं क्योंकि इससे सिर्फ इमोशनल ईटिंग और पाचन तंत्र में अधिक तनाव पैदा होगा.

2. मूंग दाल खिचड़ी

एक बार शांत हो जाने के बाद आप मूंग दाल खिचड़ी खा सकते हैं. इसमें चावल, कुछ सब्जियां और ऊपर से थोड़ा सा घी डाला जाता है. आयुर्वेद में इसे 'स्थूल' (gross) पदार्थ माना जाता है. मूंग दाल खिचड़ी अपनी भारी और स्थिर प्रकृति के कारण शरीर को बैलेंस करने में मदद करती है. आप ताजे ब्रेड पर एवोकाडो या दही में एक चम्मच शहद मिलाकर खा सकते हैं. इसके अलावा आप बेक्ड शकरकंद या उबली गाजर जैसी जड़ वाली सब्जियां भी खा सकते हैं. ये चीजें आपको जमीनी से जुड़े रहने में मदद करती हैं.

3. नंगे पैर चलना

नंगे पैर चलना आपके पैरों के तलवों से छिद्रों के माध्यम से नेगेटिव एनर्जी को बाहर निकालने और जमीन से जुड़ने में मदद करता है. आयुर्वेद में शिरोधारा, तक्रधारा, नस्यम और यहां तक ​​कि अभ्यंगम जैसे उपचार एग्जाइंटी और डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं. साथ ही आयुर्वेदिक दवाएं जैसे सरस्वतारिष्ट भी दिमाग के विकास, याददाश्त, शक्ति को बढ़ाने और डिप्रेशन के लक्षणों को कम करने में मददगार होती हैं.

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