छत्तीसगढराज्य

‘राष्ट्र गौरव का पुनर्जागरण’ विषय पर विष्णु शंकर जैन ने दिया संबोधित

रायपुर

अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि कहा कि छत्‍तीसगढ़ में मतांतरण पर अंकुश लगाने के लिए उन्होंने राज्य सरकार को कुछ सुझाव दिए हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव को सुझाव दिया गया है कि मतांतरण की शिकायत कोई भी कर सके कानून में इसका प्रविधान होना चाहिए। राज्य सरकार की ओर से लाए जाने वाले मतांतरण रोधी विधेयक को लेकर भी सुझाव दिए गए हैं।

रायपुर मेडिकल कॉलेज के सभागार में कुंदन लाल जैन स्मृति विचार मंच की ओर से राष्ट्र गौरव का पुनर्जागरण विषय पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी और श्रीकृष्ण जन्मभूमि मामले की सुनवाई फास्ट ट्रक कोर्ट में होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि इस समय हिंदू समाज से जैन को अलग बताने की साजिश चल रही है। सरकारी संपत्ति को वक्फ अपनी संपत्ति नहीं कह सकता। उन्होंने कहा कि कुछ नेता बांग्लादेश जैसी घटना देश में होने की बात कहते हैं। केंद्र सरकार को ऐसे बयान देने वालों पर कार्रवाई करनी चाहिए। पश्चिम बंगाल में हिंसा को देखते हुए केंद्र सरकार को राष्ट्रपित शासन लगा देना चाहिए। आत्मरक्षा के लिए हमें वैध तरीके से अपने पास हथियार रखने चाहिए।

उन्होंने कहा कि देश में रोहिंग्या दीमक की तरह घुसे हुए हैं, इन्हें बाहर करना होगा। कश्मीरी पंडितों को बसाना जरूरी है। कार्यक्रम की प्रस्तावना राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के क्षेत्रीय संघचालक डा. पूर्णेन्दु सक्सेना ने रखी। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय कुंदन लाल जैन ने विचारशील जीवन जिया है। सबको साथ लेकर चलना उनके चरित्र की महानता रही। उनका प्रयास रहा कि सभी एकजुट होकर समाज और देश के हित में कार्य करते रहे। कार्यक्रम का संचालन नंदन जैन और आभार प्रदर्शन चंदन जैन ने किया।

संस्कृति को पुनर्जीवित करने की जरूरत : विराग मुनिश्री
जैन समाज के गुरु विराग मुनिश्री ने विचार माला को संबोधित करते हुए कहा कि महावीर स्वामी ने अहिंसा को सबसे उच्चतम नैतिक गुण बताया। उनके बताए अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय), ब्रह्मचर्य जैसे पंचशील के सिद्धांत यदि आज विश्व अपना ले तो कहीं कोई समस्या नहीं रहेगी। लेकिन, आज विकट समय आ गया है।

विराग मुनिश्री ने रामायण के एक प्रसंग का जिक्र करते हुए बताया कि जब माता सीता ने हनुमान जी के कहने के बावजूद अशोक वाटिका से उनके साथ लौटने से मना कर दिया। यह फैसला उन्होंने संस्कृति की रक्षा के लिए लिया था। आज राम जैसा भाई नहीं, राम जैसा पुत्र नहीं। हमें जरूरत थी रामायण के चरित्रों को जिंदा करने की लेकिन हमने महाभारत के चरित्रों को जिंदा कर दिया।

आज संस्कृति को पुनर्जीवित करने की जरूरत है। हमें अपनी भाषा, संस्कृति को और मजबूत करना है। शीतयुद्ध बहुत हो गया अब आर-पार का समय है। संस्कारों को प्रकाशित करना है। रामराज्य लाना है। उन्होंने कहा कि जब अंग्रेज भारत में आए, तब जार्ज मैकाले को भारत भेजा गया, जिसने ब्रिटिश शासन को रिपोर्ट भेजी थी।

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button