संजय शेरपुरिया के साथ कभी लगाते थे दरबार, बुरा वक्त आया तो दिल्ली छोड़ भागे दोस्त; मोबाइल भी बंद
लखनऊ
कहते हैं कि बुरे वक्त में परछाईं भी साथ छोड़ जाती है। ऐसा ही कुछ हुआ है संजय शेरपुरिया के साथ। कल तक जो दोस्त अक्सर दरबार लगाते थे, उन्होंने उसके सितारे गर्दिश में आते ही मुंह मोड़ लिया। विभूतिखंड पुलिस ने जब इन्हें फोन मिलाया तो 12 दोस्तों के मोबाइल बंद मिले। उनके बारे में कर्मियों से पता चला कि शेरपुरिया की गिरफ्तारी होते ही वह दिल्ली से चले गये। शनिवार देर रात पुलिस ने उसके दिल्ली के दो और दफ्तरों को खंगाला।
विभूतिखंड पुलिस शेरपुरिया को रिमाण्ड अवधि में शनिवार को दिल्ली लेकर गई थी। उसने नोएडा और दिल्ली में शेरपुरिया के कई ठिकानों पर तलाशी ली। पुलिस ने उससे दिल्ली के एक थाने में एक घंटे तक पूछताछ की। कई सवालों का जवाब उसने दिया तो कई के जवाब वह टाल गया।
सफरदरगंज में आवास पर पहुंची पुलिस इंस्पेक्टर राम सिंह टीम के साथ शेरपुरिया को लेकर सफदरगंज स्थित आवास पर गए। घर में उसने आफिस बना रखा था। यहां तीन कर्मचारी मिले। पत्नी कंचन प्रकाश के बारे में पता चला कि वह शेरपुरिया से मिलने लखनऊ जेल गई थी, उसके बाद से उसका पता नहीं चला। वह कुछ करीबी रिश्तेदारों के ही सम्पर्क में है।
यूथ रूरल फाउण्डेशन का एक दफ्तर घर पर भी
दिल्ली में पता चला कि शेरपुरिया अपने यूथ रूरल फाउण्डेशन से जुड़े कई काम घर पर बने दफ्तर से ही करता था। घर पर ही उसने एक और दफ्तर बना रखा था। इसमें सिर्फ फाउण्डेशन से जुड़े काम ही देखे जाते थे। इसके लिये दो कर्मचारी भी रखे थे। पुलिस को एक रजिस्टर भी मिला है जिसमें उसने अपनी कम्पनी से बतौर ऋण लेने वाले लोगों के नाम लिख रखे थे। पुलिस इनसे भी पूछताछ करेगी।
यूपी में कई लोगों ने मदद का वादा किया
शेरपुरिया ने पुलिस को बताया कि गुजरात के कई परिचितों ने भी उसे यूपी जाकर अपना नेटवर्क तैयार करने को कहा था। इस पर ही एक बड़े राजनेता के सम्पर्क का उसने फायदा उठाया था। उनके कहने पर ही उसने गाजीपुर जिले को अपना केन्द्र बनाया था। इस बीच ही पीएम व अन्य मंत्रियों के साथ फोटो को सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद उसका रूतबा बढ़ गया था। इसका भी उसने खूब फायदा उठाया।