केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मांडविया बोले, जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों से निपटने के लिए बने खाद्य सुरक्षा मानक
नई दिल्ली
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने गुरुवार को कहा कि दूषित खानपान, जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों और पोषण में असंतुलन की चुनौतियों से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर विस्तृत चर्चा के बाद सार्वभौमिक खाद्य सुरक्षा मानकों के साथ-साथ देश-केंद्रित मानक भी तैयार करने की जरूरत है। खाद्य सुरक्षा पर विस्तृत चर्चा और विचार-विमर्श के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की निर्णय लेने वाली संस्था विश्व स्वास्थ्य सभा की तर्ज पर एक वैश्विक मंच की आवश्यकता है। इस दो-दिवसीय सम्मेलन का आयोजन भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने जी-20 कार्यक्रम के रूप में पहली बार किया है। इसमें 40 से अधिक देशों के खाद्य नियामक विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे।
क्या कुछ बोले मांडविया?
जिस तरह आदतों से जुड़ी बीमारियां बढ़ रही हैं, जिस तरह हमें भोजन में मिलावट देखने को मिल रही है और जिस तरह से असंतुलित पोषक तत्व हमारे भोजन का हिस्सा बन रहे हैं, उस पर व्यापक चर्चा की जरूरत है। इस चर्चा के आधार पर हर देश अपनी रणनीति, पाठ्यक्रम और मानक तैयार कर सकता है।
'सुरक्षित भोजन और अच्छा स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक'
उन्होंने कहा कि संतुलित, सुरक्षित व पौष्टिक भोजन प्रिवेंटिव केयर के रूप में कार्य करता है और हमारे स्वास्थ्य व कल्याण को सुनिश्चित करता है। सुरक्षित भोजन और अच्छा स्वास्थ्य एक दूसरे के पूरक हैं।
मांडविया ने घरों में रसोई और योग के महत्व पर जोर दिया और कहा वे किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए प्रिवेंटिव केयर के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने वैश्विक खाद्य नियामकों से मानक बनाते समय जलवायु, मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और पौधों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखने को कहा।