विदेश

विद्रोह के दो महीने बाद वैगनर चीफ प्रिगोझिन का प्लेन क्रैश, प्रिगोझिन समेत 10 की मौत

 मॉस्को

हजारों की संख्या में हथियारबंद लड़ाके रूस की सड़कों पर नजर आ रहे थे. ये लड़ाके रूस की सेना के खिलाफ विद्रोह कर रहे थे. वैगनर आर्मी के इन लड़ाकों ने कुछ ही देर में रूस के दक्षिणी शहर रोस्तोव को कब्जे में ले लिया. इसके बाद ये लड़ाके रूस की राजधानी मॉस्को की तरफ निकल पड़े. जिसने भी ये तस्वीर देखी, वह हैरत में था. सवाल उठने लगे कि क्या दुनिया के सबसे शक्तिशाली नेताओं में एक व्लादिमीर पुतिन की रूस में ही पकड़ ढीली पड़ गई है.

पुतिन ने इस गृह युद्ध की स्थिति को बातचीत से निपटाना ठीक समझा. राष्ट्रपति पुतिन ने बेलारूस के राष्ट्रपति की मदद से 24 घंटे में ही इसे टाल दिया था. बेलारूस के राष्ट्रपति अलेक्जेंडर लुकाशेंको की मध्यस्थता के बाद वैगनर आर्मी चीफ येवगेनी प्रिगोझिन ने लड़ाकों को पीछे हटाने का ऐलान कर दिया था. लेकिन पुतिन ने कठोर शब्दों में संदेश दिया, ''हमारी पीठ में छुरा घोंपा गया और उन्हें इसकी सजा मिलेगी. हम अपने लोगों की सुरक्षा के लिए लड़ रहे हैं. हथियारबंद बागियों को हम करारा जवाब देंगे.''

प्लेन क्रैश और प्रिगोझिन की मौत

इस घटना को 2 महीने का समय बीत गया. 23 अगस्त को रूस से एक और खबर आई. वैगनर आर्मी चीफ येवगेनी प्रिगोझिन का प्लेन क्रैश हो गया. इस हादसे में प्रिगोझिन समेत 10 लोगों के मारे जाने की खबर है. प्रिगोझिन उसी वैगनर आर्मी के चीफ थे, जिसने जून में रूसी सेना के खिलाफ विद्रोह किया था. खास बात ये है कि कभी प्रिगोझिन को पुतिन के सबसे करीबी नेताओं में एक माना जाता था. येवगेनी प्रिगोझिन पुतिन के रसोइये के तौर पर जाने जाते थे.

विश्वासघात को कभी नहीं भूलता- पुतिन

प्रिगोझिन की मौत के बाद सोशल मीडिया पर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं. वेस्टर्न मीडिया में भी प्रिगोझिन की मौत के पीछे पुतिन का हाथ बताया जा रहा है. सोशल मीडिया पर पुतिन का एक पुराना वीडियो भी वायरल हो रहा है. इसमें पुतिन से इंटरव्यू में पूछा गया,  ''क्या आप माफ करने में सक्षम हैं? इस पर पुतिन कहते हैं, हां, लेकिन हर किसी को नहीं. इस पर उनसे पूछा जाता है कि आपके लिए किसे भूलना असंभव है. इस पर पुतिन कहते हैं, विश्वासघात को.

CIA ने जताई थी प्रिगोझिन की हत्या की आशंका

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बुधवार को कहा कि उन्हें उन रिपोर्टों पर आश्चर्य नहीं है, जिसमें वैगनर चीफ येवगेनी प्रिगोझिन की प्लेन क्रैश में मौत की बात कही जा रही है. उन्होंने इस घटना के पीछे राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को बताया.

जानकारों का कहना है कि यह घटना पुतिन के लिए दूसरों को चेतावनी देने का एक तरीका हो सकती है जो उन्हें धोखा दे सकते हैं. या रूसी सेना को अपना समर्थन दिखाने का एक तरीका हो सकता है. दरअसल, प्रिगोझिन ने जून में रूसी रक्षा मंत्री और सेना पर गंभीर आरोप लगाते हुए विद्रोह किया था.

व्हाइट हाउस की ओर से कहा गया है कि बाइडेन को प्लेन क्रैश के बारे में जानकारी दी गई है. बाइडेन ने कहा कि उन्हें वास्तव में नहीं पता कि क्या हुआ है. हालांकि, उन्होंने कहा कि वे हैरान नहीं हैं. उन्होंने कहा, रूस में ऐसा बहुत कुछ नहीं होता है जिसके पीछे पुतिन न हों. बाइडेन और CIA डायरेक्टर विलियम्स बर्न्स ने पिछले महीने प्रिगोझिन की बगावत के बाद उनके लिए संभावित खतरे की संभावना जताई थी.

बाइडेन ने पिछले महीने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा था कि अगर मैं उसकी जगह होता, तो मैं सावधान रहता कि मैं क्या खाऊं. मैं अपने मेनू पर नजर रखूंगा. लेकिन सब मजाक कर रहे हैं…मुझे नहीं लगता कि हममें से कोई भी निश्चित रूप से जानता है कि रूस में प्रिगोझिन का भविष्य क्या है?

 क्या है वैगनर ग्रुप, क्यों की थी बगावत?

वैगनर एक प्राइवेट आर्मी है. वैगनर आर्मी रूसी सेना के साथ मिलकर यूक्रेन में युद्ध लड़ रही है. यह पिछले कई सालों से सैन्य और खुफिया ऑपरेशन्स को लेकर विवादों में भी रहा है. वैगनर आर्मी चीफ येवगेनी प्रिगोझिन कभी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सबसे खास होते थे. लेकिन कुछ समय से प्रिगोझिन और रूसी सेना के बीच टकराव चल रहा था. प्रिगोझिन ने 23 जून को रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने दावा किया था कि रूसी रक्षा मंत्री ने यूक्रेन में वैगनर आर्मी पर रॉकेट से हमले का आदेश दिया. प्रिगोझिन ने कहा था कि वे इस हमले का बदला रूसी रक्षा मंत्री से लेंगे और इसमें रूसी सेना हस्तक्षेप न करे. इसके बाद प्रिगोझिन ने अपने लड़ाकों के साथ यूक्रेन से लौटकर रूस की सीमा में मार्च शुरू कर दिया था.

कौन थे प्रिगोझिन?

  येवगेनी प्रिगोझिन पुतिन के रसोइये के तौर पर जाने जाते थे. प्रिगोझिन का जन्म 1961 में लेनिनग्राड (सेंट पीट्सबर्ग) में हुआ. प्रिगोझिन 20 साल की उम्र में ही मारपीट, डकैती और धोखाधड़ी समेत कई मामलों में वांछित हो गए. इसके बाद उन्हें 13 साल की सजा सुनाई गई. हालांकि, उन्हें 9 साल में ही रिहा कर दिया गया.

प्रिगोझिन ने जेल से रिहा होने के बाद हॉट डॉग बेचने के लिए स्टॉल लगाना शुरू किया. इसमें सफलता मिलने के बाद उन्होंने महंगा रेस्तरां खोला. येवगेनी का रेस्तरां इस कदर फेमस हो गया कि लोग इसके बाहर लाइन लगाकर इंतजार करने लगे. लोकप्रियता बढ़ी तो खुद रूसी राष्ट्रपति पुतिन विदेशी मेहमानों को इस रेस्तरां में खाना खिलाने ले जाने लगे. यही वो दौर था जब येवगेनी पुतिन के करीब आए. इसके बाद येवगेनी को सरकारी अनुबंध दिए जाने लगे. प्रिगोझिन की भूमिका हमेशा संदिग्ध रही है, और उन्होंने लंबे समय से किसी भी राजनीतिक भूमिका से इनकार किया

Pradesh 24 News
       
   

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