2024 के टिकट बंटवारे से पहले MVA में खींचतान, कांग्रेस ने 41 सीटों पर की समीक्षा
नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव होने में अब एक साल से भी कम समय रह गया है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल पिछले चुनावों में हार-जीत की समीक्षा और आगामी चुनावों के लिए सहयोगी दलों के साथ कड़ी सौदेबाजी में जुट गए हैं। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सहयोगी पार्टी कांग्रेस ने राज्य की 48 संसदीय सीटों में से 41 सीटों पर समीक्षा पूरी कर ली है और कहा है कि 2024 में वह अधिकतम सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने शनिवार को एक बैठक में कहा कि कांग्रेस के पास सभी निर्वाचन क्षेत्रों में संगठनात्मक ताकत है और पार्टी का बड़ा आधार है और हाल के दिनों में भी कांग्रेस पर लोगों का विश्वास और मजबूत हुआ है। दरअसल, पड़ोसी राज्य कर्नाटक में कांग्रेस की वापसी से पार्टी उत्साहित है और वह इसका फायदा लोकसभा चुनावों में सहयोगी दलों पर दवाब बनाकर अधिक से अधिक सीटों पर दावेदारी जता कर उठाना चाह रही है। हालांकि, कांग्रेस नेता ने कहा है कि सीट बंटवारे पर एमवीए के घटक दलों के बीच बातचीत के दौरान सीट आवंटन पर भी चर्चा की जाएगी और गठबंधन का लक्ष्य भाजपा को हराना है।
इससे पहले, शिवसेना (यूबीटी) ने उन सभी 19 सीटों पर चुनाव लड़ने की मंशा जताई है, जिस पर उसने 2019 के लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज की थी। बता दें कि 2019 में, कांग्रेस और एनसीपी ने मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ा था। तब कांग्रेस ने 25 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन सिर्फ चंद्रपुर सीट पर ही जीत दर्ज कर पाई थी, जबकि 23 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली एनसीपी ने चार सीटें जीतीं थीं। उस समय संयुक्त शिवसेना भाजपा के साथ गठबंधन में थी और उसने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिसमें से 18 पर जीत दर्ज की थी। बीजेपी ने 25 सीटों पर चुनाव लड़कर 23 पर जीत हासिल की थी। पिछले साल, जून 2022 में शिवसेना में विभाजन के बाद, उद्धव ठाकरे गुट के पास लोकसभा में सिर्फ छह सांसद (महाराष्ट्र से पांच सांसद और दमन दीव से एक सांसद) रह गए हैं। इस तरह कुल मिलाकर, एमवीए के पास इस समय 11 सांसद हैं। बीजेपी के पास 23 और एकनाथ शिंदे की शिवसेना के पास 13 सांसद हैं। इस राज्य में दो निर्दलीय सांसदों का समर्थन भी एनडीए को प्राप्त है।
महाराष्ट्र में सीट बंटवारे पर कांग्रेस का नया और कड़ा रुख पार्टी के राज्य प्रमुख नाना पटोले की कार्यशैली के बारे में उठाए जा रहे सवालों से भी मेल खाता है, जिनके बारे में दो पूर्व मंत्रियों विजय वड्डेटीवार और सुनील केदार ने एक पखवाड़े पहले पार्टी नेतृत्व के सामने इस मुद्दे को उठाया था। इस नेताओं ने आरोप लगाया था कि पटोले एमवीए के प्रति कड़ा रुख अख्तियार किए हुए हैं।
दरअसल, महाराष्ट्र कांग्रेस इकाई में भी इस मुद्दे पर आंतरिक विभाजन है। पटोले के नेतृत्व वाला पार्टी का एक धड़ा चाहता है कि कांग्रेस ही एमवीए का नेतृत्व करे। इसके पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि कांग्रेस राष्ट्रीय पार् है और उसे उसी रूप में भूमिका निभाते हुए अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए। उस धड़े के एक नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "एनसीपी और शिवसेना (यूबीटी) की तुलना में कम सीटों पर बात नहीं बन सकती है।" उधर, एनसीपी के अजित पवार ने कहा है कि कौन कितनी सीट पर लड़ेगा, यह अभी तय नहीं है लेकिन यह तय है कि सभी मिलकर बीजेपी को हराने के लिए चुनाव लड़ेंगे।