जनजातीय विद्यार्थियों ने मदर्स-डे पर कविता और चित्रों के जरिये माँ की ममता को किया बयाँ
भोपाल
"माँ के लिए मैं क्या लिखूं, माँ ने खुद मुझे लिखा है। माँ से बड़ा ना कोई शब्द है और ना ही अर्थ। एक माँ ही होती हैं जो निस्वार्थ भाव से प्रेम करती है।" ये पंक्तियाँ मंडला की जनजातीय छात्रा प्रतिमा मरावी ने लिखी हैं। जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संचालित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय में 12वीं कक्षा में अध्ययनरत प्रतिमा ने मातृ दिवस (मदर्स डे) पर अपनी माँ को ये पंक्तियाँ समर्पित की हैं।
प्रत्येक वर्ष मई के द्वितीय रविवार को मनाए जाने वाले 'मातृ दिवस' पर 'आजादी के अमृत महोत्सव' में सोमवार को जनजातीय विद्यार्थियों के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न जिलों के सी.एम. राइज विद्यालय, एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय, कन्या शिक्षा परिसर, आदर्श आवासीय विद्यालय, छात्रावास, आश्रम एवं मैपसेट केन्द्रों के जनजातीय विद्यार्थियों ने सहभागिता की। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों में माँ के प्रति स्नेह, सम्मान और प्रेम की भावना को मंच देना था। प्रमुख सचिव जनजातीय कार्य डॉ. पल्लवी जैन गोविल ने सभी विद्यार्थियों व सहियोगियों को मातृ दिवस की शुभकामनाएँ दीं और विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई कृतियों व रचनाओं की सराहना की।
ग्रीष्मकालीन अवकाश पर गए बच्चों ने घर से भेजी कृतियाँ
ग्रीष्मकालीन अवकाश में विद्यार्थियों ने अपने घर में कलाकृतियाँ तैयार कर व्हाट्सअप द्वारा अपनी कृतियाँ साझा कीं। सभी स्कूलों के बच्चों ने बड़े उत्साह से प्रतियोगिता में भाग लिया और आकर्षक चित्र एवं भाव-विभोर करने वाली कविताएँ लिखीं।