आज महाशिवरात्रि पर भक्तों को दर्शन देने डेढ़ घंटे पहले जागे बाबा महाकाल, श्रंगार कर चढ़ाई गई भस्म
खंडवा/ उज्जैन
खंडवा जिले की तीर्थ नगरी ओंकारेश्वर में महाशिवरात्रि पर सुबह 3 बजे से ही शिव भक्तों की भीड़ जुटना शुरू हो गई। मां नर्मदा के घाटों पर श्रद्धालु स्नान कर ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं, यहां श्रद्धालुओं की लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं। इससे पहले तड़के 3 बजे मंदिर के पट खोले गए और प्रातः कालीन आरती की गई। हालांकि, भक्तों के लिए गर्भ गृह के पट 4 बजे खोले गए। सुबह 6 बजे तक भक्तों ने गर्भ गृह से बाबा ओंकार के दर्शन किए। इसके बाद भीड़ बढ़ने के कारण दर्शन की व्यवस्था गर्भ गृह के बाहर से कर दी गई। बता दें कि महाशिवरात्रि पर भगवान ओंमकार का फूल और बेलपत्र से आकर्षक श्रंगार किया गया और मंदिर परिसर को भी आकर्षक फूलों से सजाया गया है।
24 घंटे होंगे बाबा के दर्शन
भक्तों की भीड़ के कारण सुबह 6 बजे के बाद बाबा ओंकार के दर्शन गर्भ गृह से बंद कर दिए गए। मंदिर परिसर के मुख्य द्वार पर नंदीहाल के पास श्रद्धालुओं से पूजन सामग्री और जल एकत्र करवाया जा रहा है, जिससे बाबा ओंकार का जलाभिषेक हो रहा है। महाशिवरात्रि के कारण दर्शन की यह व्यवस्था 24 घंटे के लिए की गई है। शनिवार सुबह 3 बजे तक बाबा इसी तरह से भक्तों को दर्शन देंगे। इस दौरान करीब 3 लाख से अधिक श्रद्धालुओं बाबाद ओंकारेश्वर के दर्शन करेंगे।
खास हैं यहां की शयन आरती
बारह ज्योतिर्लिंगों में से ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का चतुर्थ स्थान है। यह एकमात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो किसी पवित्र नदी के तट पर स्थित है। ॐ आकार के पर्वत पर विराजमान होने के कारण ही यहां प्रकट हुए ज्योतिर्लिंग का नाम ओंकारेश्वर है। सनातन धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव अखिल ब्रह्मांड में विचरण करते हैं, लेकिन वे शयन के लिए माता पार्वती के साथ ओंकार पर्वत पर ही विराजते हैं। इसी कारण यहां की शयन आरती प्रसिद्ध है, जिसमें भगवान के लिए चौपड़ सजाया जाता है।
विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि पर्व की धूम पिछले नौ दिनों से जारी है। लेकिन, फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी शुक्रवार को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की मंगल बेला में बाबा महाकाल अपने भक्तों को आशीष देने के लिए डेढ़ घंटे पहले जागे। रात 2:30 बजे मंदिर के पट खोले गए, जिसके बाद भस्मआरती की शुरूआत हुई। रात 2:30 बजे बाबा महाकाल की भस्म आरती की शुरुआत होने के साथ ही मंदिर के पट 44 घंटे के लिए खुल गए और चार प्रहर की पूजा अर्चना भी शुरू हो गई।
महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित आशीष शर्मा ने बताया कि मंदिर मे शुक्रवार रात्रि 2:30 बजे मंदिर के पट खुलते ही पंडे पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित भगवान की प्रतिमाओं का पूजन किया। दूध, दही, घी, शक्कर और फलों के रस से बने पंचामृत से भगवान महाकाल का जलाभिषेक किया गया। प्रथम घंटाल बजाकर हरि ओम का जल अर्पित किया गया। कपूर आरती के बाद बाबा महाकाल को रजत का मुकुट रुद्राक्ष और पुष्पों की माला धारण करवाई गई। बाबा महाकाल का अलौकिक श्रृंगार कर ज्योतिर्लिंग को कपड़े से ढांककर भस्म रमाई गई। भस्म आरती में हजारों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दिव्य स्वरूप के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल की गूंज से गुंजायमान हो गया।
सीएम यादव ने पत्नी के साथ की बाबा महाकाल की पूजा
इधर, महाशिवरात्रि महापर्व पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पत्नी के साथ श्री महाकालेश्वर मंदिर में भगवान महाकाल के दर्शन किए। उन्होंने महादेव के एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग की पूजा अर्चना कर प्रदेश के विकास और प्रदेशवासियों के सुख समृद्धि की मंगल कामना की। श्री महाकालेश्वर मंदिर में पुजारीआकाश शर्मा ने विधि विधान से पूजा संपन्न कराई। इस अवसर पर विधायक अनिल जैन, संजय अग्रवाल, जगदीश पांचाल, मुकेश यादव सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित रहे।