डैमेज कंट्रोल करने कांग्रेस ने ‘बांट दिए’ पद, बीजेपी बागियों को पार्टी लाइन, अनुशासन और भविष्य बता रही
भोपाल
प्रदेश में सत्ता में बने रहने के लिए भाजपा और सत्ता में आने के लिए कांग्रेस ने अपना पूरा जोर लगा रखा है, लेकिन दोनों ही पार्टियों के लिए इस मंजिल की राह में उन्हीं के बागी और असंतुष्टों ने कांटे बिछा रखे हैं। दोनों ही पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से लेकर प्रदेश नेतृत्व तक इन बागियों और असंतुष्टों को यथासंभव साधने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। जहां एक तरफ कांग्रेस में रेवड़ी की तरह पद बांटे जा रहे हैं, वहीं भाजपा इन नेताओं को पार्टी का अनुशासन और पार्टी लाइन का पाठ पढ़ा रही है।
मध्य प्रदेश विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस डैमेज कंट्रोल करने में तेजी से जुट गई है। इस बार भी उसने नाराज लोगों को साधने के लिए पुराना ही फार्मूला अपनाया है। वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी नाराज नेताओं के कहने पर उनके समर्थकों को पद दिए जा रहे हैं। हालत यह है कि पिछले पांच दिनों में कांग्रेस ने डेढ़ सौ से ज्यादा पद अपने नेताओं के कहने पर उनके समर्थकों को दिए हैं।
हर नेता के कहने पर मिल रहा पद
पीसीसी चीफ कमलनाथ के कहने पर प्रदेश महासचिव और सचिव के पद पर नियुक्ति देने में काम तेजी से चल रहा है। इसमें प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अरुण यादव की सिफारिश पर नर्मदा प्रसाद शर्मा, सीता राम यादव सहित कई लोगों को पद दिए गए हैं। वहीं पूर्व मंत्री एवं भोजपुर से कांग्रेस उम्मीदवार राजकुमार पटेल की सिफारिश पर महेंद्र वर्मा को प्रदेश महासचिव बनाया गया। उनके भोजपुर में भी कुछ नेताओं को प्रदेश कांग्रेस में पद देकर जगह दी गई है। वहीं भोपाल जिले के सह प्रभारी रहे मनोज कपूर को भी प्रदेश महासचिव बनाया गया है, साथ ही उनको भोपाल जिले का प्रभारी भी बना दिया गया है। इसी तरह सागर संभाग के राम पराशर को प्रदेश महासचिव बनाते हुए उन्हें दमोह चुनाव का जिला प्रभारी बनाया गया है। इस तरह से कांग्रेस ने करीब 150 से ज्यादा नियुक्तियां कर दी है।भोपाल दक्षिण पश्चिम से टिकट मांग रहे संजीव सक्सेना को साधने के लिए उनके भाई प्रवीण सक्सेना को जिला अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं मो. अनीस खान को प्रदेश कांग्रेस कमेटी में सचिव का पद दिया गया है।
बागियों को पार्टी लाइन, अनुशासन और भविष्य बता रही भाजपा
पार्टी विद डिफरेंस कहने वाली भाजपा इस बार मध्यप्रदेश में कांग्रेस से ज्यादा अपनों से परेशान हैं। वजह साफ है, भाजपा में प्रत्येक विधानसभा में चुनाव लड़ने वालों की भरमार है। ऐसे हालात में प्रदेश में 50 से ज्यादा ऐसे नेता हैं जिन्होंने चुनाव लड़ने का मन बनाते हुए नामांकन जमा कर दिए हैं और मैदान में भाजपा के उम्मीदवारों के खिलाफ ताल ठोंक दी है। पार्टी संगठन इन बागियों से पार्टी लाइन, अनुशासन और भविष्य बताते हुए मैदान से हटने के लिए समझाइश दे रहा है, ताकि बीजेपी का अधिकृत उम्मीदवार चुनाव मैदान में जीत हासिल कर सके और भाजपा के वोटों का बंटवारा न हो।
सीएम-वीडी-हितानंद लगातार कर रहे हैं चर्चा
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा भोपाल से लगातार भाजपा के बागियों और असंतुष्टों से चर्चा कर रहे हैं। जो नेता पार्टी संगठन की बात से सहमत हैं, उन्हें भविष्य में इसका लाभ देने का वादा किया जा रहा है। और जो नेता नहीं मान रहे हैं, उसका विकल्प क्या हो, इस पर भी पार्टी संगठन ने काम शुरू कर दिया है। चुनाव प्रबंधन में लगे लोग इस बात का विश्लेषण कर रहे हैं कि यदि भाजपा का बागी चुनाव मैदान से नहीं हटता है तो उसका कितना असर भाजपा के प्रत्याशी पर होगा, इसको केंद्र में रखकर प्लानिंग की जा रही है।