सरकार की कन्यादान योजना का लाभ लेने के लिए शादीशुदा लोगों खुद को अविवाहित बताकर शादी के लिए पंजीयन करा डाले
मुरैना
सरकार की कन्यादान योजना का लाभ लेने के लिए शादीशुदा लोगों खुद को अविवाहित बताकर शादी के लिए पंजीयन करा डाले। जब इन पंजीयनों की जांच कराई गई तो महज चार जोड़े ही पात्र पाए गए और 22 जोड़े या तो शादीशुदा थे, या फिर नाबालिग। जिसकी वजह से पहाड़गढ़ जनपद की ओर से कराया जा रहा मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह सम्मेलन निरस्त करना पड़ा। यह विवाह सम्मेलन सोमवार को आयोजित होने वाला था, लेकिन इससे पहले ही पंजीयनों की जांच में मामला स्पष्ट हो गया। जिसके बाद जनपद सीईओ ने इस सम्मेलन को स्थगित घोषित कर दिया। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत बधु को शासन की ओर से 50 हजार रुपये का चेक दिया जाता है। इस योजना का अनुचित लाभ उठाने के लिए शादी शुदा लोगों ने फिर से मंडप में बैठकर सात फेरे लेने की योजना बना ली।
विवाह व निकाह योजना के 26 पंजीयन
जनपद पंचायत में विवाह व निकाह योजना के लिए कुल 26 पंजीयन किए गए थे। जिसके चलते 11 मार्च को पहाड़गढ़ के शासकीय माध्यमिक विद्यालय इस कन्यादान विवाह, निकाय सम्मेलन का आयोजन किया जाना था, विवाह से पहले जनपद पंचायत ने सभी आवेदकों की पात्रता की जांच कराई। जिसमें पाया गया कि जिनके पंजीयन हुए है उनके विवाह तो पहले ही हो चुके है। 26 में से 21 जोड़े ऐसे थे, जिनके विवाह पहले ही हो चुके थे, वहीं एक युवक की उम्र 21 साल पूरी नहीं हो रही थी। जिसके चलते इन 22 पंजीयनकर्ताओं को अपात्र घोषित कर दिया गया। वहीं जनपद पंचायत सीईओ ने आदेश निकालते हुए सोमवार को आयोजित होने वाले विवाह सम्मेलन को भी निरस्त घोषित कर दिया।
पांच से कम जोड़ें होने पर नहीं हो सकता है विवाह सम्मेलन
पंचायत पंचायत में विवाह के लिए आए जोड़ों की पात्रता की जांच करने के आदेश जनपद सीईओ ने पंचायत सन्वयकों को दी थी। जिस पर उनके नाम पतों पर जाकर जांच शुरू की गई थी। जिसमें 26 कन्याओं की शादी सम्मेलन से पहले ही हो चुकी थी। वहीं एक आवेदन में दूल्हा की उम्र 21 साल से कम निकली। ऐसे में 26 में से 22 अपात्र घोषित होने के बाद इसे निरस्त किया गया, नियमानुसार किसी भी शादी सम्मेलन के लिए कम से कम पांच जोड़े पात्र होना जरूरी है। तभी विवाह सम्मेलन आयोजित किया जा सकता है। पहाड़गढ़ में 22 अपात्र मिलने के बाद महज चार ही शेष कन्याएं विवाह योग्य पाई गई। जिनका सम्मेलन में विवाह नहीं हो सकता था।