देश

ऐसा 100 सालों में कभी नहीं हुआ, पहली बार इतना सूखा होगा अगस्त; कब सुधरेंगे हालात

 नई दिल्ली

वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि भारत में 1901 के बाद से इस वर्ष अगस्त के सबसे अधिक शुष्क रहने का अनुमान है। यह स्पष्ट रूप से अल नीनो स्थितियों के तीव्र होने का नतीजा है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, इस साल का मॉनसून 2005 के बाद से सबसे अधिक शुष्क हो सकता है, जिसमें 13 प्रतिशत बारिश की कमी दर्ज की गई है।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के एक अधिकारी ने बताया कि अगस्त में अब तक 32 प्रतिशत बारिश की कमी और अगले तीन दिन में देश के एक बड़े हिस्से में बारिश की कम गतिविधियां होने का अनुमान है। इसके चलते भारत 1901 के बाद से सबसे शुष्क अगस्त दर्ज किये जाने की राह पर है। अगस्त में 254.9 मिमी बारिश होती है, जो मॉनसून के मौसम के दौरान होने वाली बारिश का लगभग 30 प्रतिशत है। मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार भारत में अगस्त 2005 में 25 प्रतिशत, 1965 में 24.6 प्रतिशत; 1920 में 24.4 प्रतिशत; 2009 में 24.1 प्रतिशत और 1913 में 24 प्रतिशत बारिश की कमी दर्ज की गई।

क्या अल-नीनो है वजह?
IMD प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि अगस्त में सामान्य से कम बारिश का मुख्य कारण अल नीनो (दक्षिण अमेरिका के निकट प्रशांत महासागर में पानी का गर्म होना) के अलावा 'मैडेन जूलियन ऑसिलेशन' (एमजेओ) का प्रतिकूल चरण है। एमजेओ एक समुद्री-वायुमंडलीय घटना है जो दुनियाभर में मौसम की गतिविधियों को प्रभावित करती है। अल नीनो आमतौर पर भारत में कमजोर होती मॉनसूनी हवाओं और शुष्क मौसम से जुड़ा है।

महापात्र ने कहा, 'एमजेओ के अनुकूल चरण के कारण कम दबाव प्रणाली न होने पर भी बारिश होती है। एमजेओ के अनुकूल चरण के कारण जुलाई में सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई थी।' दक्षिण चीन सागर के ऊपर विकसित होने वाली कम दबाव वाली प्रणालियां आमतौर पर पश्चिम की ओर बढ़ती हैं, वियतनाम और थाईलैंड को पार करने के बाद उत्तरी बंगाल की खाड़ी तक पहुंचती हैं। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ने कहा, 'सितंबर के अगस्त जितना खराब रहने की उम्मीद नहीं है।' वरिष्ठ मौसम विज्ञानी ने कहा कि अगस्त में भारी बारिश की कमी का मुख्य कारण अल नीनो है।

कब सुधरेंगे हालात?
अगस्त खत्म होने में दो दिनों का ही समय बाकी है और मंगलवार तक इस महीने देश में 160.3 मिमी बारिश हुई है। आमतौर पर यह आंकड़ा 241 मिमी होता है। अब आशंकाएं ये भी जताई जा रही हैं कि बारिश की इतनी भारी कमी के चलते मॉनसून सीजन (जून से सितंबर) बारिश की कमी के साथ खत्म न हो जाए। ऐसे में जानकार सितंबर में अच्छी बारिश की उम्मीद लगा रहे हैं।

एक अन्य मीडिया रिपोर्ट में IMD निदेशक के हवाले से बताया गया, 'हम 2 सितंबर के बाद मॉनसून के दोबारा तैयार होने की उम्मीद कर रहे हैं। तब उत्तरी बंगाल की खाड़ी में साइक्लोनिक सर्कुलेशन बनने की संभावनाएं हैं। यह कम दबाव के क्षेत्र में बदल सकता है, जिसके चलते पूर्व, मध्य और दक्षिण भारत में बारिश हो सकती है।'

Pradesh 24 News
       
   

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button