भोपालमध्यप्रदेश

उच्च शिक्षा विभाग का कारनामा, जिनकी परिवीक्षा अवधि खत्म होना है उन्हीं को लगाया सत्यापन में

31 मार्च तक परिवीक्षा अवधिक खत्म करने में आनन फानन में तैयार किया पैनल
भोपाल
उच्च शिक्षा विभाग को 31 मार्च तक प्रदेश के 513 कालेजों में पदस्थ प्रोफेसर और तीन साल पहले पदस्थ हुये असिस्टेंट प्रोफेसरों की परिवीक्षा अवधि खत्म करना है। इसके लिऐ विभाग ने सत्यापन के कार्य में तेजी दिखाना शुरू कर दिया है, जिसमें विभाग ने उन्हीं नव नियुक्त असिस्टेंट प्रोफेसरों को सत्यापन कार्य में लगा दिया है, जो स्वयं परिवीक्षा अवधि में चल रहे हैं। इससे विभाग में कानाफसी शुरू हो गई है, जिससे सीनियर प्रोफेसरों की एतराज हो रहा है।

विभाग ने तीन साल पूर्व करीब ढाई हजार असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्तियां की थीं। उनकी परिवीक्षा अवधि समाप्त करने के लिऐ विभाग ने 31 मार्च तक टाइम लिमिट तैयार की है। अभी तक प्रोफेसरों का सत्यापन कार्य पूर्ण नहीं हो सका है। इसलिए विभाग ने दस प्रोफेसरों का पैनल तैयार किया है, जो परिवीक्षा अवधि में आने वाले असिस्टेंट प्रोफेसरों के दस्तावेजों का सत्यापन करेंगे। क्योंकि विभाग के पास ज्यादा समय शेष नहीं है। इसलिए विभाग ने दस प्रोफेसरों के पैनल में चार असिस्टेंट प्रोफेसरों तक को शामिल कर लिया है।

यह है दस प्रोफेसरों का पैनल
डॉ नवस सिंह डॉ. श्यामा मुखर्जी कालेज, महेंद्र मेहरा एमएलबी, डॉ. नीता मिश्रा सीहोर कालेज, डॉ. नीतू यादव बरेली कालेज, डॉ राजीव शर्मा नर्मदापुरम कालेज, राजीव कुमार सिं सीहोर कालेज और डॉ डेनियल ग्लेन्स डैनी गीतजांलि कालेज है। इसमें असिस्टेंंट प्रोफेसर रीचा पारख स्टेट लॉ कालेज, अभिषेक सिंह नर्मदापुरम कालेज और डॉ पुष्पेंद्र कुमार तिवारी शामिल है। विभाग ने आदेश जारी करने में काफी गलतियां की हैं, जिसमें प्रोफेसरों के नाम के साथ उनके विषय भी बदल दिए हैं। अधिकारियों का कहना है कि कट-पेस्ट के कारण ऐसी त्रुटि हुई है।

अधिकारियों का कहना है कि सत्यापन कार्य के लिऐ प्राचार्यों से नाम मांगे गए थे। उन्होंने सीनियर प्रोफेसरों को दूसरे कार्य में व्यस्त बताते हुए असिस्टेंट प्रोफेसरों के नाम भेज दिए हैं। वैसे भी अगोपनीय कार्य होने के कारण असिस्टेंट प्रोफेसरों को शामिल किया गया है।

अभी तक साठ फीसदी कार्य हुआ है पूर्ण
अभी तक करीब 60 फीसदी प्रोफेसरों का पुलिस वेरीफिकेशन हो चुका है। शेष 40 फीसदी प्रोफेसरों का होना शेष है। इसलिए विभाग ने दस प्रोफेसरों का पैनल तैयार कर 31 मार्च तक परीविक्षा अवधि खत्म करेगा। इस दौरान असिस्टेंट प्रोफेसरों का पुलिस वेरीफिकेशन हो जाएगा। उनकी परिवीक्षा अवधि समाप्त कर दी जाएगी। शेष के लिए समयानुसार कार्य किया जाएगा।  

क्यों अटका वेरीफिकेशन
जीएडी के नियमानुसार नियुक्ति हासिल करने वाले व्यक्ति ने स्कूल और स्रातक और स्रातकोत्तर की डिग्री ली है। उस समय का पुलिस वेरीफिकेशन होना चाहिए। कई प्रोफेसरों ने स्कूल, स्नातक और स्नातकोत्तर के साथ अन्य जिलों में रहते हुए पीएचडी का कार्य किया है। इसलिये विभाग को एक प्रोफेसर का पांच-पांच जिलों से पुलिस वेरीफिकेशन कराना पड रहा है।

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