इंसानियत की कीमत चुकाई; नमाज विवाद के बाद आत्महत्या करने वाले कंडक्टर की पत्नी
आगरा बरेली
बरेली से कौशांबी जाते समय मिलिक गांव के पास रोडवेज बस रोकने और इस दौरान दो मुस्लिम यात्रियों द्वारा सड़क पर नमाज अदा किए जाने को लेकर बर्खास्त बस कंडक्टर मोहित यादव का शव तीन दिन पहले रेलवे ट्रैक पर पड़ा मिला था। इस घटना से दु:खी मोहित की पत्नी रिंकी का कहना है कि नौकरी जाने के बाद से ही उसके पति बहुत परेशान थे। उन्होंने अपनी इंसानियत की कीमत चुकाई है।
रिंकी के मुताबिक मोहित की नौकरी जाने के बाद 17 हजार रुपए की उनकी तनख्वाह आना बंद हो गई और इसी के साथ परिवार की बुनियादी जरूरतें पूरी करना भी मुश्किल हो गया। संघर्ष और चिंता के बीच मोहित सो भी नहीं पाता था और काफी कमजोर हो गया था। मोहित को दो महीने पहले रोडवेज से संविदा परिचालक के पद से बर्खास्त किया गया था। उस पर आरोप था कि उसने बरेली से कौशांबी जाते समय दो मुस्लिम यात्रियों को बस रोककर सड़क पर नमाज अदा कराई थी। मौत का कारण जानने के लिए पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया और उसे परिजनों के हवाले कर दिया।
घटना रविवार को आधी रात के बाद की है। थाना क्षेत्र के ग्राम नगला खुशाली निवासी 35 वर्षीय मोहित यादव पुत्र राजेंद्र सिंह यादव रविवार की शाम कस्बा घिरोर स्थित आवास पर जाने की बात कहकर घर से निकल था। रात 12:30 बजे के करीब उसका शव कोसमा रेलवे स्टेशन के निकट रेलवे ट्रैक पर कटा मिला। स्टेशन मास्टर की सूचना पर पुलिस पहुंची और युवक की पहचान कराई। युवक की मौत की खबर मिलते ही परिजनों में कोहराम मच गया। वहीं सूचना पर बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए। कैसे शव मिला और जान देने की बात पर हर कोई जानकारी करने लगा। पुलिस ने शव कब्जे में लिया और उसे पोस्टमार्टम के बाद सोमवार को परिजनों के हवाले कर दिया। पुलिस का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही सही जानकारी मिलेगी।
मरने से पहले बहन को किए कई कॉल
परिवारीजनों के अनुसार बर्खास्तगी के बाद से ही मोहित परेशान था। घिरोर पुलिस के मुताबिक मोहित ने मरने से पहले अपनी बहन को कई फोन कॉल किए और मरने की धमकी दी थी। कॉल डिटेल से इस बात का पता चला है। मृतक शराब पीने का आदी भी था, ये भी जानकारी सामने आयी है। घटना को लेकर कोई तहरीर पुलिस को नहीं दी गई है।