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बेंगलुरु में जल संकट गहराता ही जा रहा, वहीं टैंकर माफिया इस संकट का फायदा में उठाने में जुटे

बेंगलुरु
बेंगलुरु में जल संकट गहराता ही जा रहा है। वहीं टैंकर माफिया इस संकट का फायदा में उठाने में जुटे हैं। राज्य सरकार ने 223 तहसीलों को सूखा प्रभावित घोषित कर दिया है। वहीं पानी की कमी की वजह से लोगों का जीवन पूरी तरह से बदल गया है। हाल यह है कि लोग मॉल में शौच जाने को मजबूर हैं। लोग खाना भी बाहर से मंगाते हैं और खाने केलिए भी घर के बर्तन का इस्तेमाल करने से बचते हैं। लोग डिस्पोजल में खाना इसलिए खा रहे हैं ताकि उन्हें बर्तन ना धोना पड़े। कई स्कूलों और कार्यलयों को ऑनलाइन कर दिया गया है। ऐसे में बेंगलुरु के लोगों को फिर से लॉकडाउन की याद आने लगी है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक बहुत सारे लोग अब एक दिन छोड़कर नहा रहे हैं जिससे कि पानी कोबचाया जा सके। पानी के इस्तेमाल पर कई प्रतिबंध लगने के बाद हाई राइज बिल्डिंगों में रहने वाले लोग भी टैंकर के भरोसे जी रहे हैं।  शैक्षिक संस्थानों में पानी की कमी की वजह से स्टूडेंट से कह दिया गया है कि वे घऱ से ही ऑनलाइन क्लास अटेंड करें।

बेंगलुरु के रहने वाले एक शख्स ने कहा, बर्तन धोने में लगने वाले पानी को बचाने के लिए अब हम डिस्पोजल में ही खाना खा लेते हैं। इसके अलावा हफ्ते में दो दिन बाहर से खाना ऑर्डर कर देते हैं। इससे घर का पानी बच जाता है। वॉशिंग मशीन का इस्तेमाल महीने में एक बार ही करते हैं। बहुत सारे लोग टॉइलेट या फिर नहाने के लिए मॉल चले जाते हैं। दूसरे राज्यों से आकर बेंगलुरु में नौकरी करने वाले लोग अपनी कंपनियों से वर्क फ्रॉम होम की इजाजत मांग रहे हैं जिससे कि वे अपने घर जाकर आराम से काम कर सकें।

बता दें कि बेंगलुरु को कावेरी नदी और भूगर्भ से ही जल मिलता था। सूखा पड़ने की वजह से झील और तालाब भी सूख गए हैं। भूगर्भ का जलस्तर काफी नीचे चला गया है। ऐसे में वॉटर बोर फेल हो गए हैं। बेंगलुरु में रोज करीब 28 सौ लाख लीटर पानी की जरूरत पड़ती है। वर्तमान में सप्लाई आधे की भी नहीं हो पा रही है। बेंगलुरु अत्यधिक शहरीकरण की मार झेल रहा है। बेंगलुरु की आबादी करीब 1,4 करोड़ है। उपमुख्यमंत्री ने खुद माना है कि पिछले 30 से 40 साल में इस तरह का सूखा कभी नहीं पड़ा। राज्य सरकार ने वाहनो को धोने और गार्डनिंग में पानी के इस्तेमाल तक पर प्रतिबंध लगा दिया है।

 

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