राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण : राज्य मंत्री परमार
राज्य मंत्री परमार विज्ञान भवन में एक दिवसीय परिचर्चा में हुए शामिल
भोपाल
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सफल और प्रभावी क्रियान्वयन में शिक्षकों की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। शिक्षक राष्ट्र के भावी कर्णधारों में श्रेष्ठ मूल्य, संवेदन शीलता का निर्माण करने के भाव, मानसिकता और दृष्टिकोण के साथ कार्य करेंगे तो राष्ट्रीय शिक्षा नीति के उद्देश्यों की पूर्ति हो पाएगी। यह बात स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) एवं सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री इन्दर सिंह परमार ने बुधवार को विज्ञान भवन भोपाल में भारतीय नववर्ष उत्सव- सृजन 2023 के अवसर पर नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीति (स्व-शिक्षा) की आवश्यकता, प्रावधान एवं क्रियान्वयन की समीक्षा के परिप्रेक्ष्य में "स्वावलंबन से रोजगार ही आत्म-निर्भर स्वर्णिम भारत का आधार" विषयक एक दिवसीय परिचर्चा के समापन सत्र में कही। परिचर्चा सिस्टर निवेदिता तकनीकी शिक्षा समिति और म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा की गई।
राज्य मंत्री परमार ने कहा कि सरकार, समाज और शिक्षक तीनों मिल कर ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति अनुरूप शिक्षा को अभिप्रायपूर्ण बना सकते हैं। इसके लिए समाज में शिक्षकों के सम्मान को स्थापित करने की जिम्मेदारी समाज की है। उन्होंने कहा कि जन्म से 3 वर्ष तक शिशु के स्वभाव, आदत एवं रुचि को उसके घर-परिवार के लोग बेहतर समझते हैं। शिक्षकों को अभिभावकों के साथ समन्वय कर बच्चे के समग्र विकास में सहजता होगी। प्रदेश में शिक्षा नीति के अनुसरण में बाल वाटिका अंतर्गत पूर्व प्राथमिक शिक्षा में कक्षाओं को अरुण, उदय एवं प्रभात नाम दिया गया हैं। गरीब के बच्चों को भी सर्वसुविधायुक्त एवं बेहतर शिक्षा देने के लिए सीएम राइज स्कूल शुरू किए जा रहे हैं। बच्चों के समग्र मूल्यांकन की दृष्टि से पाठ्यक्रम के अलावा वर्ष भर अन्य गतिविधियों को महत्व देने का कार्य किया जाएगा। राज्य मंत्री परमार ने कहा कि मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा देने के उद्देश्य से 7 क्षेत्रीय भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित करने का कार्य किया जा रहा है, जिससे बच्चों में अपनी संवाद की भाषा में पढ़ने में रूचि एवं मातृभाषा पर गर्व जाग्रत हो। शिक्षा नीति के अनुपालन में प्रदेश में वर्ष भर में 50 घंटे की शिक्षक प्रशिक्षण नीति बनाई गई है। विद्यार्थियों को बेहतर और प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए कक्षा 5वीं एवं कक्षा 8वीं की बोर्ड परीक्षा ली जा रही है, जिससे बच्चे आगामी बोर्ड परीक्षाओं में बेहतर करने में सक्षम हों।
राज्य मंत्री परमार ने डॉ. आशा वर्मा रचित पुस्तक "स्वामी विवेकानंद करियर मार्गदर्शन योजना – मेरे अनुभव" का विमोचन भी किया।
शिक्षाविद डॉ. भगवंत राव जगताप, लक्ष्मी नारायण भाला, कुलपति आरजीपीवी डॉ. सुनील कुमार, विभिन्न शिक्षाविद्, अधिकारी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।