युवाओं में कैंसर का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, खासकर पाचन तंत्र से जुड़े मामलों में
वॉशिंगट
कैंसर आजकल केवल वृद्ध लोगों की समस्या नहीं रह गया है, बल्कि यह तेजी से युवाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। हाल ही में 44 देशों के कैंसर रजिस्ट्री डेटा की समीक्षा में यह तथ्य सामने आया है कि आंत और पाचन तंत्र से जुड़े 13 प्रकार के कैंसर के शुरुआती मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, खासकर 50 साल से कम उम्र के लोगों में। यह वृद्धि विशेष रूप से उच्च और मध्यम आय वाले देशों में देखी जा रही है, जहां जीवनशैली और खानपान में बदलाव इसके प्रमुख कारण हो सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि युवाओं में बढ़ रहे कैंसर के मामलों की मुख्य वजहें मोटापा, निष्क्रियता, डायबिटीज, स्मोकिंग, एल्कोहल का सेवन, प्रदूषण और पश्चिमी देशों में रेड मीट का अत्यधिक सेवन हो सकती हैं। उनका यह भी माना कि कुछ अज्ञात कारक जैसे खाद्य पदार्थों में मिलाए जाने वाले रासायनिक तत्व भी इस समस्या को बढ़ा रहे हैं, जिनका अभी तक सही ढंग से पता नहीं चला है।
विशेषज्ञों के अनुसार, कैंसर के अधिकतर मामले पेट और पाचन तंत्र से जुड़े होते हैं। उनका कहना है कि हर साल अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और जापान में कोलोरेक्टल कैंसर के मामलों में औसतन दो फीसदी की वृद्धि हो रही है। ब्रिटेन में यह दर तीन फीसदी है, जबकि कोरिया और इक्वाडोर में यह बढ़ोतरी 5% तक पहुंच गई है। ओगिनो इसे मुद्रास्फीति के जैसे बढ़ते आंकड़ों से तुलना करते हुए बताते हैं कि अगर यह वृद्धि जारी रही तो अगले 10-20 सालों में इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
मोटापा अब एक सामान्य समस्या बन चुका है, जो कैंसर के जोखिम को और बढ़ा रहा है। डॉ. एलिजाबेथ प्लैट्ज़, जो जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की महामारी विज्ञानी हैं, मानती हैं कि यह रिव्यू इस बात को उजागर करता है कि युवा पीढ़ी भी अब कैंसर के शिकार हो रही है। वे कहती हैं कि मोटापा अब एक आम समस्या बन चुका है, जो पहले दुर्लभ था, और यह अब युवाओं में भी तेजी से बढ़ रहा है। वर्तमान समय में, कैंसर एक ऐसी बीमारी बन गई है जो न केवल बुढ़ापे बल्कि युवाओं में भी फैल रही है। युवा वर्ग में इसकी बढ़ती घटनाओं को देखते हुए, विशेषज्ञों का कहना है कि स्वस्थ जीवनशैली, नियमित शारीरिक गतिविधि, और संतुलित आहार को प्राथमिकता देना आवश्यक है, ताकि इस जानलेवा बीमारी से बचा जा सके।