प्रदेश में बारिश ने दी थी बड़ी राहत रोपनी में आयी तेजी, एक सप्ताह और बारिश हुई तो किसानों को बड़ी राहत
राँची
झारखंड में मानसून एक बार फिर कमजोर पड़ने लगा है। कमजोर पड़ते मानसून का असर खेती पर नजर आने लगा है। झारखंड के कई जिलों में धान रोपनी में परेशानी आयी है। झारखंड में खरीफ की फसल पिछड़ गयी। रांची के 18 प्रखंडों में रोपनी पूरी नहीं हुई है। अबतक के हालात देखें तो मात्र 29.8 फीसदी ही धान की रोपनी हुई है।
लक्ष्य के आसपास भी नहीं हुई है रोपनी
रांची चिले में 1.71 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती का लक्ष्य है। हालात यह है कि अबतक 50,958 हेक्टेयर भूमि पर ही हाइब्रीड की विभिन्न प्रजाति के धान के बिचड़े लगे हैं। मोटे अनाज में ज्वार, बाजरा और मड़ुआ की 4660 हेक्टर भूमि पर खेती की तैयारी है। खरीफ फसल में तिलहन में मूंगफली, तिल, सोयाबीन और सूर्यमुखी की खेती होती है। 18 प्रखंड में 38 हजार हेक्टेयर भूमि पर किसान दलहन की खेती करते हैं। इस बार मक्का को छोड़ अन्य दलहन-तिलहन की फसलों की खेती में कमी नजर आ रही है। बारिश की आंख मिचौली से किसान परेशान है और इसका असर ना सिर्फ धान पर बल्कि दूसरी फसलों पर भी नजर आने लगा है।
रांची जिले के किस प्रखंड में कितनी रोपनी
रांची जिले में प्रखंड के अनुसार हालात समझने की कोशिश करें तो चान्हो में 15, सोनाहातू में 55 प्रतिशत, बेड़ो में 28 फीसदी तक रोपनी हो सकी है। अनगड़ा में यह 25 फीसदी है। किसानों को उम्मीद थी कि अभी एक और सप्ताह बारिश होती तो फसलों के लिए मौसम अच्छा हो जाता। अगर अगले एक सप्ताह अच्छी बारिश रही तो रोपनी का आंकड़ा 80 फीसद के आंकड़े को पार कर सकता है। 25 जुलाई को जिले में सिर्फ आठ फीसदी ही रोपनी हुई थी, परंतु एक अगस्त से दो दिन झमाझम बारिश और इसके बाद से रुक-रुककर हर दिन हो रही बारिश से खेत भरने लगे थे। आठ अगस्त तक रोपनी बढ़कर 29.8 फीसदी हो गई थी।