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किसानों की कमाई में जीरे की छौंक, कम खेती से कीमत 150% तक बढ़ी

नई दिल्ली

पाटन के मेहराम भाई के पास 6 एकड़ जमीन है, लेकिन खेती के लिए अपना ट्रैक्टर नहीं था। अपना ट्रैक्टर खरीदना मेहराम भाई का बहुत पुराना सपना था। पैसों की कमी की वजह से वह अपना यह सपना पूरा नहीं कर पा रहे थे और किराए के ट्रैक्टर से खेती करते थे। इस साल जीरे की फसल में मेहराम भाई को जबरदस्त मुनाफा हुआ है और वह ट्रैक्टर खरीदने के लिए पैसे जुटा चुके हैं।

जीरा बेचकर कमाए ₹8.65 लाख
दरअसल, मेहराम भाई ने अपने खेत में लगभग 27 क्विंटल जीरा की खेती की और लगभग ₹32,000 प्रति क्विंटल की दर पर इसकी बिक्री की। इस तरह, 27 क्विंटल जीरा को बेचकर उन्होंने करीब ₹8.65 लाख कमा लिए हैं। मेहराम कहते हैं, "मैं बहुत खुश हूं क्योंकि मेरे पास ट्रैक्टर खरीदने के लिए पैसे हो गए हैं। अब मैं अपना कई साल पुराना सपना साकार कर सकूंगा।"

कीमतों में जबरदस्त उछाल
पिछले कुछ समय से जीरा की कीमतों में जबरदस्त इजाफा हुआ है। पिछले साल से तुलना करें तो जीरा की कीमतें 150% से अधिक बढ़ गई है। पिछले साल इसी समय जीरा की कीमत ₹19,000-₹21,000 प्रति क्विंटल थी।  इस साल वर्तमान में कीमत लगभग ₹32,000-₹33,000 प्रति क्विंटल है। बता दें कि आमतौर पर फरवरी-मार्च में यह रबी फसल काटी जाती है। इसके बाद बिक्री की प्रक्रिया शुरू होती है।

कीमतों ने चौंकाया
इस साल जीरा की बढ़ती कीमतों ने किसानों को चौंकाया है। आर्थिक रूप से कमजोर जीरा उत्पादकों ने पैसे कमाने के लिए अपनी फसल बेच दी, लेकिन जो किसान संपन्न थे और उन्हें जीरे के बुनियादी सिद्धांतों की समझ थी, उन्होंने अपनी फसल को कुछ और समय के लिए रोके रखा। गुजरात में ज्यादातर जीरा किसान जानते थे कि इस फसल की खेती का बुआई क्षेत्र पिछले वर्षों की तुलना में कम हो गया है। गुजरात के भुज जिले के अंजार एफपीसी के सीईओ नयन मयात्रा ने बताया, "हमारे FPO यानी किसान उत्पादक संगठन के कई किसान मेंबर ने पिछले 1-2 वर्षों में जीरा बोना बंद कर दिया है क्योंकि उन्हें मूल्य निर्धारण के आउटलुक से अन्य फसलें अधिक फायदेमंद लगती हैं।"

क्या कहते हैं सरकारी आंकड़े
आंकड़ों के मुताबिक 2020-21 फसल वर्ष में जीरा उत्पादन 450,000-475,000 टन होने का अनुमान लगाया गया था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 20% कम था। हालांकि, 2021-22 में उत्पादन 35% गिरकर लगभग 300,000 टन हो गया। यह औसत उत्पादन पिछले कुछ वर्षों के 500,000 टन से 40% कम है।

फरवरी-मार्च के दौरान राजस्थान और गुजरात में बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और तापमान में बार-बार बदलाव के कारण कई क्षेत्रों में जीरे की उपज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। गुजरात के राधनपुर में बनास एफपीओ के अध्यक्ष करशन भाई जडेजा के मुताबिक जीरे की औसत उपज 4-5 क्विंटल प्रति एकड़ है। बढ़ती कीमतों की वजह से 10 एकड़ या उससे अधिक भूमि वाले किसान सचमुच करोड़पति बन गए हैं।

 

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