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आपसी समन्वय से ही जनता की सेवा का लक्ष्य हासिल होगा – पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह

  • आपसी समन्वय से ही जनता की सेवा का लक्ष्य हासिल होगा – पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह
  • डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह ने नव निर्वाचित सदस्यों को बजट निर्माण की बारीकियों
  • समझाई
  • प्रश्न पूछने से ही सरकार को पता चलता है कि शासन कैसा चल रहा है – पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीतासरन शर्मा
  • नव निर्वाचित सदस्यों के लिये प्रबोधन का दूसरा दिन

भोपाल

मध्यप्रदेश विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष व वर्तमान सदस्य डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह ने नव निर्वाचित सदस्यों को बजट निर्माण की बारीकियों को समझाते हुए कहा कि जनता की सेवा करना ही सबका लक्ष्य है। आपसी समन्वय से ही इसे हासिल किया जा सकता है। उन्होंने नव निर्वाचित सदस्यों को बजट निर्माण की प्रक्रियाओं की विस्तार से जानकारी दी। डॉ. सिंह ने आज सोलहवीं विधानसभा के नव निर्वाचित सदस्यों के लिये म.प्र. विधानसभा के मानसरोवर सभागार में चल रहे प्रबोधन कार्यक्रम के दूसरे दिन के पहले सत्र में बजट निर्माण संबंधी तकनीकी प्रक्रियाओं की जानकारी दी। म.प्र. विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर एवं संसदीय कार्य मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी नव-निर्वाचित विधायकों का मार्गदर्शन किया।

डॉ. राजेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि 'बजट प्रक्रिया/आय व्ययक, अनुदान की मांगों पर चर्चा, कटौती प्रस्ताव' महत्वपूर्ण तत्व हैं। राज्य सरकार द्वारा मुख्य, पूरक एवं लेखानुदान बजट विधानसभा से पारित कराया जाता है। सभी सदस्यों को चर्चा का अवसर मिलता है। बजट पर चर्चा का दिन विधानसभा अध्यक्ष तय करते हैं। वे कार्य मंत्रणा समिति के अध्यक्ष भी होते हैं। बजट कटौती प्रस्ताव रखने वाले सदस्यों को भी अपनी बात रखने का अवसर मिलता है। विभागीय बजट पर चर्चा होती है। सहयोगी वक्ता के रूप में लोकसभा के निदेशक पार्था गोस्वामी एवं मध्यप्रदेश विधानसभा के अपर सचिव वीरेन्द्र कुमार भी उपस्थित थे।

मुख्य वक्ता डॉ. सिंह ने कहा कि अनुदान मांगों पर चर्चा महत्वपूर्ण होती है, जिसमें सभी सदस्यों का मत लिया जाता है। विनियोग विधेयक के जरिये सरकार समेकित निधि से राशि आहरण कर सकती है। कोई भी सदस्य इसमें असहमति व्यक्त नहीं कर सकता। कभी-कभी वित्त विधेयक भी लाया जाता है, पर इसके लिये विधायकों का मतदान कराया जाता है।

द्वितीय सत्र में 'प्रश्नकाल एवं प्रश्नों से उद्भूत आधे घंटे की चर्चा' विषय पर अपने संबोधन में म.प्र. विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान सदस्य डॉ. सीतासरन शर्मा ने कहा कि प्रश्नकाल विधानसभा का एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय होता है। प्रश्नकाल सुबह 11 बजे से प्रारंभ होकर एक घंटे तक चलता है। इस एक घंटे के पूरा होने में यदि एक मिनट का समय भी शेष होता है, तो किसी एक सदस्य का नाम पुकार लिया जाता है। उन्होंने विधायकों से कहा कि वे प्रश्न अवश्य पूछें, क्योंकि प्रश्न लगाने से ही सरकार को भी यह पता चलता है कि शासन-प्रशासन कैसा चल रहा है। किसी भी सूरत में प्रश्नकाल को स्थगित नहीं किया जाना चाहिए। डॉ. शर्मा ने विधायकों को तारांकित, अतारांकित, परिवर्तनीय तारांकित व परिवर्तनीय अतारांकित प्रश्न लगाने की प्रकिया और विधानसभा सचिवालय को प्रश्न प्रस्तुत करने की प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी दी।

प्रश्नों से उद्भूत आधे घंटे की चर्चा विषय पर डॉ. शर्मा ने कहा कि इस आधे घंटे में तारांकित व अतारांकित दोनों प्रश्नों पर चर्चा हो सकती है। इसमें मतदान नहीं होता है, सदस्य अपनी बात रखते हैं, फिर विभागीय मंत्री जवाब देते हैं। अति महत्वपूर्ण विषय से जुड़े किसी बिन्दु पर इस आधे घंटे की चर्चा में सरकार, यदि अत्यंत आवश्यक हुआ, तो किसी शासकीय सेवक पर सख्त कार्यवाही की घोषणा भी कर सकती है।

 

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