एक पद-एक टिकट का था फॉर्मूला, फिर क्यों प्रियांक को बनाया मंत्री
बेंगलौर
कर्नाटक से दिल्ली तक एक हफ्ते चली उठा-पटक के बाद कांग्रेस पार्टी ने आखिरकार कर्नाटक में सरकार बना ली। सिद्धारमैया के साथ डिप्टी डीके शिवकुमार सहित आठ मंत्रियों ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। मंच पर कांग्रेस ने विपक्षी एकजुटता दिखाने की कोशिश भी की लेकिन, पार्टी पर परिवारवाद के सवाल फिर उठने लगे हैं। उदयपुर चिंतन शिविर में पार्टी ने एक पद-एक टिकट का फॉर्मूला अपनाने को कहा था। खुद राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान इसकी पैरवी की। तो क्या इस वादे के बावजूद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक को मंत्री बनाकर पार्टी ने अपने ही नियमों को ताक पर रख दिया? पार्टी नेताओं का मानना है कि इसकी भी काट ढूंढ ली है। समझते हैं कैसे।
कर्नाटक में विपक्षी नेताओं के जमघट के बीच सिद्धारमैया ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ डिप्टी सीएम के तौर पर डीके शिवकुमार सहित मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक और सात अन्य लोग मंत्री के तौर पर कैबिनेट में शामिल हुए। प्रियांक के अलावा डॉ जी परमेश्वर, केएच मुनियप्पा, केजे जॉर्ज, एमबी पाटिल, सतीश जारकीहोली, रामलिंगा रेड्डी और बीजेड ज़मीर अहमद खान कैबिनेट में शामिल हुए।
एक पद-एक टिकट फॉर्मूला
कांग्रेस पार्टी ने उदयपुर चिंतन शिविर में ऐलान किया था कि वह एक पद-एक टिकट फॉर्मूला अपनाएगी। इतना ही नहीं भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने भी इसका समर्थन किया था और ऐलान किया था कि पार्टी का हर नेता इस नियम के अनुसार ही चलेगा। ऐसे में क्या कर्नाटक में परिवारवाद नियमों पर भारी पड़ गया? मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे प्रियांक को कर्नाटक कैबिनेट में जगह दी गई।
कैसे गहलोत ने वापस लिया था कांग्रेस अध्यक्ष से नाम
आपको याद होगा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए अशोक गहलोत का नाम लगभग तय माना जा रहा था, तब ऐन वक्त पर गहलोत ने राजस्थान सीएम पद पर रहते हुए अध्यक्ष की दौड़ से खुद को किनारे कर दिया था। उस वक्त भारत जोड़ो यात्रा के दौरान भी राहुल ने गहलोत को इशारों ही इशारों में एक पद के साथ चलने का संदेश दिया। तब खड़गे का नाम सामने आया और वह चुनाव जीतकर अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
पार्टी ने ऐसे निकाली काट
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि पार्टी में एक पद-एक टिकट फॉर्मूले का नियम बरकरार है। हालांकि चिंतन शिविर में पार्टी ने साफ किया था कि अगर कोई नेता दल में पांच साल या इससे ज्यादा वक्त तक अपनी सेवा जारी रखता है तो उसे पद दिया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि इस बदलाव के साथ पार्टी ने बड़े नेताओं के बेटों के लिए रास्ता साफ किया है। इसी के तहत खड़गे के बेटे को कर्नाटक कैबिनेट में जगह दी गई है।
कांग्रेस पर परिवारवाद के आरोप
भाजपा कांग्रेस पार्टी पर लंबे वक्त से परिवारवाद की राजनीति के आरोप लगाती रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा भाजपा के कई मंत्री भी कह चुके हैं कि कांग्रेस अभी भी परिवारवाद के जाल से निकल नहीं पाई है। इन्हीं आरोपों के बाद कांग्रेस ने चिंतन शिविर में एक पद-एक टिकट की बात कही थी।