‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर बनाई गई समिति की पहली बैठक 23 सितंबर को
नईदिल्ली
'एक राष्ट्र, एक चुनाव' के मद्देनजर केंद्र की ओर से बनाई गई समिति की पहली बैठक 23 सितंबर को होगी। पूर्व राष्ट्रपति और समिति के अध्यक्ष रामनाथ कोविंद ने खुद मीडियाकर्मियों को जानकारी देते हुए कहा, 'समिति की पहली बैठक 23 सितंबर को होगी।' इससे पहले तीन सितंबर को समिति के अध्यक्ष को शीर्ष अधिकारियों ने प्रारंभिक जानकारी दी थी।
केंद्रीय कानून मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों ने पूर्व राष्ट्रपति से मुलाकात की थी। वहीं दूसरी ओर इस बात को लेकर भी अटकलें तेज हैं कि 18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के विशेष सत्र के दौरान 'एक देश एक चुनाव' का बिल संसद में पेश किया जा सकता है। ऐसे में दावा किया जा रहा है कि 'वन नेशन, वन इलेक्शन' को लेकर गठित समिति जल्द ही अपनी रिपोर्ट केंद्र को सौंप सकती है।
केंद्र सरकार ने एक राष्ट्र, एक चुनाव को लेकर अहम कदम उठाया है। सरकार ने इस संबंध में एक समिति का गठन किया है। पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को इस समिति का अध्यक्ष बनाया गया है।
'एक देश एक चुनाव' प्रस्ताव के तहत लोकसभा (भारतीय संसद के निचले सदन) और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने का सुझाव दिया गया है। इसका मतलब है कि चुनाव पूरे देश में एक ही चरण में होंगे। मौजूदा समय में हर पांच साल बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए हर 3 से 5 साल में चुनाव होते हैं।
विशेष सत्र में बिल लाने की अटकलें
‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ को लेकर ये अटकले लगाई जा रही हैं कि मोदी सरकार 18 सितंबर से बुलाए गए विशेष सत्र में इससे जुड़े बिल का प्रस्ताव ला सकती है. इस बीच चुनाव को लेकर एक स्टडी की रिपोर्ट जारी हुई है, जिसके मुताबिक, देश के तीनों टायर, लोकसभा से लेकर पंचायत स्तर का चुनाव कराने पर कुल 10 लाख करोड़ खर्च आने का अनुमान है. वहीं सभी चुनाव एक साथ या एक सप्ताह के अंदर कराने पर इसके खर्च में 3 से 5 लाख करोड़ की गिरावट हो सकती है.
2024 लोकसभा चुनाव पर इतना खर्च होने का अनुमान
सार्वजनिक नीतियों के शोध-आधारित विश्लेषक एन भास्कर राव के अनुसार, केवल 2024 के लोकसभा चुनाव पर 1.20 लाख करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान हैं. राव की स्टडी में कहा गया है कि 2024 चुनाव में खर्च होने वाले कुल रुपये में चुनाव आयोग की ओर से 20 प्रतिशत खर्च बैठ सकता है. वहीं अगर सभी विधानसभा चुनाव एक साथ करवाए जाए तो इस पर 3 लाख करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं. बता दें देश में कुल 4500 विधानसभा सीटें है.