रायपुर
रायपुर शहर के बीचों-बीच घनी आबादी से घिरा साढ़े छह सौ साल पुराना कंकाली तालाब अब अपने अलग ही सौंदर्य से शहरवासियों को आकर्षित करेगा। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की राज्य के एतिहासिक धरोहरों के संरक्षण-संवर्धन की नीति पर अमल करते हुए नगर निगम रायपुर में इस तालाब का जीणोर्धार और सौंदर्यीकरण का काम कराया है।
श्री बघेल ने आज भेंट-मुलाकात कार्यक्रम के दौरान एक करोड़ 34 लाख रुपए की लागत से हुए तालाब सौंदर्यीकरण कार्यों का लोकार्पण किया। कंकाली तालाब में साढ़े तीन सौ वर्ग मीटर धौलपुर लाल पत्थर से सौंदर्यीकरण किया गया है। फसाड लाईट और फ्लड लाईट में इन पत्थरों का सौंदर्य तालाब को नई पहचान दे रहा है। तालाब में 28 बड़े खंभो पर बिजली की जगमगाहट भी की गई है। घाट एवं पचरी मरम्मत कर रंगाई-पुताई का काम भी किया गया है। तालाब के चारो ओर लगभग साढ़े चार सौ मीटर स्टेनलेस स्टील की रेलिंग भी लगाई गई है।
माँ कंकाली मंदिर लगभग 650 वर्ष पुराना है। प्राचीन समय में जब तालाब की खुदाई की गई, उस समय नर कंकाल मिलने के कारण इसका नाम कंकाली मंदिर पड़ा। इस मंदिर की स्थापना मां कंकाली के आदेशानुसार महंत कृपाल गिरी जी ने की। यह मंदिर सन्यासियों के साधना का केन्द्र रहा है इस तालाब की मान्यता है कि यहां स्नान करने से चर्म रोग, खाज, खुजली सभी ठीक हो जाते है। मंदिर से कुछ ही दूरी पर कंकाली मठ स्थित है, जो साल में एक दिन दशहरा पर खुलता है, वहीं पर नागा सन्यासी मां कंकाली की उपासना करते थे।