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तालिबान ने TTP आतंतियों पर कार्रवाई से किया इनकार, कहा- पाकिस्तान की समस्या, खुद निपटें.. डूरंड लाइन पर झटका

तालिबान
तालिबान के वरिष्ठ नेता सुहैल शाहीन ने रविवार को स्पष्ट रूप से इनकार किया है, कि पाकिस्तानी तालिबान, जिसका नाम तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) है, उसके आतंकवादी अफगानिस्तान में रहते हैं। सुहैल शाहीन ने कहा, कि प्रतिबंधित संगठन पाकिस्तान के आदिवासी इलाकों में मौजूद है और इसलिए टीटीपी इस्लामाबाद की जिम्मेदारी है, "हमारी नहीं।" तालिबान का ये बयान पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि टीटीपी के आतंकवादी लगातार पाकिस्तान पर हमले करते रहते हैं और भारी संख्या में सैनिकों को मारते रहते हैं। पाकिस्तान ने कई बार तालिबान से टीटीपी के खिलाफ एक्शन लेने के लिए भी कहा, लेकिन तालिबान टीटीपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करता है। Taliban on Pakistan तालिबान ने टीटीपी से झाड़ा पल्ला अगस्त 2021 में काबुल के पतन के बाद से, उत्साहित टीटीपी ने पाकिस्तान के सुरक्षा बलों और नागरिकों के खिलाफ घातक हमले किए हैं।

 इस्लामाबाद ने तालिबान के नेतृत्व वाली अंतरिम अफगान सरकार से टीटीपी आतंकवादियों पर लगाम लगाने और समूह के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए बार-बार कहा है। पाकिस्तान का आरोप है, कि टीटीपी पाकिस्तान के खिलाफ हमले करने के लिए अफगान धरती का इस्तेमाल करता है। वरिष्ठ पाकिस्तानी अधिकारियों ने अफगानिस्तान में टीटीपी के कथित गढ़ों को खत्म करने के लिए सीमा पार कार्रवाई की धमकी दी है, जिससे दोनों देशों के बीच संबंधों में और खटास आ गई है। सुहैल शाहीन ने अरब न्यूज़ को दिए एक इंटरव्यू में रहा, कि "टीटीपी अफगानिस्तान में नहीं है, जैसा कि मैंने कहा, कि हमारी प्रतिबद्धता है कि हम किसी को भी अफगानिस्तान की धरती का उपयोग (आतंकवाद के लिए) नहीं करने देंगे।" उन्होंने आगे कहा, कि "वे पाकिस्तान के अंदर, कबायली इलाकों में हैं। इसलिए, पाकिस्तान के अंदर, यह उनकी ज़िम्मेदारी है, हमारी नहीं।" डूरंड लाइन मानने से भी तालिबान का इनकार इसके अलावा, तालिबान ने पाकिस्तान के साथ लगने वाली सीमा रेखा, जिसका निर्धारण ब्रिटिश जमाने में हुआ था और जिसे डूरंड लाइन कहा जाता है, उसे भी मानने से इनकार कर दिया है। पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच विवाद की एक और जड़ डूरंड रेखा है, जो 2 हजार 640 किलोमीटर की सीमा रेखा है।

1947 में पाकिस्तान के आज़ाद होने के समय से लेकर आज तक, यह रेखा अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के बीच सीमा के रूप में कार्य करती है। जबकि पाकिस्तान का कहना है कि डूरंड रेखा दोनों राज्यों के बीच आधिकारिक सीमा है, अफगानिस्तान ने ऐतिहासिक रूप से इसे खारिज कर दिया है। सुहैल शाहीन, जो संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि के रूप में भी काम करते हैं, ने यह पूछे जाने पर, कि क्या वह डूरंड रेखा को दोनों राज्यों के बीच की सीमा के रूप में मान्यता देते हैं, तो उन्होंने कहा, कि "इसे सीमा नहीं कहा जाता है, इसे सिर्फ एक रेखा कहा जाता है। तो, यह बताने के लिए पर्याप्त है कि इसकी स्थिति क्या है।" वहीं, पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के साथ अफगानिस्तान के संबंधों के बारे में पूछे जाने पर वरिष्ठ तालिबान नेता ने कहा, कि उनका देश सुरक्षा बलों के साथ नहीं, बल्कि देशों के साथ संबंध बनाए रखता है। आपको बता दें, कि टीटीपी 2000 के दशक में सबसे मजबूत स्थिति में था और उसने 2007 में शरिया कानून का सख्त मॉडल लागू करते हुए, जो अब पाकिस्तान का उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत है, उसके कुछ हिस्सों पर नियंत्रण कर लिया। उस दौरान, उग्रवादियों ने आतंक का राज फैलाया, राजनेताओं, गायकों, सैनिकों और विरोधियों की हत्या की और उनके सिर काट दिये। उन्होंने महिला शिक्षा पर प्रतिबंध लगा दिया और लगभग 200 लड़कियों के स्कूलों को नष्ट कर दिया।
 

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