छत्तीसगढराज्य

रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के सस्टेनेबल मॉडल से उद्यमियों के लिए खुले तरक्की और खुशहाली के नये रास्ते

रायपुर
ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए एवं सस्टेनेबल मॉडल की संकल्पना साकार हो रही है, रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में। रीपा के एक नवाचार से कैसे लोगों की जिंदगी बदलती है और खुशहाली के रास्ते खुलते हैं। इसकी एक बानगी ग्राम अमलीडीह के रीपा गौठान में देखने को मिली, जहां रीपा की अधोसंरचना अंतर्गत विभिन्न वर्क शेड बनाये गये हैं और वहां विभिन्न समूहों, उद्यमियों को कार्य करने के लिए एक अच्छा स्थान उपलब्ध कराया गया है। रीपा के प्रोडक्ट सी-मार्ट में भी उपलब्ध रहेंगे। जिससे उद्यमियों के उत्पाद को मार्केट उपलब्ध हो रहा है, जनसामान्य की उम्मीदें पूरी हो रही हैं और तरक्की के नये रास्ते खुल रहे हैं। ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में शासन की यह योजना प्रभावी है।

रीपा गौठान अमलीडीह की श्रीमती लक्ष्मी वैष्णव ने बताया कि जय माँ गायत्री स्वसहायता समूह में सहभागिता से सभी महिलाएं वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण कर रही हैं और साथ ही आरूग जैविक कीटरोधक नीमास्त्र एवं आरूग जैविक टॉनिक द्रव्य जीवमृत का निर्माण कर रहे हैं। अब तक गौठान में 4 लाख 94 हजार 36 क्विंटल गोबर की खरीदी हुई है। जिससे 1 लाख 88 हजार 380 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का निर्माण हुआ है। वर्मी कम्पोट की बिक्री से लाभांश राशि 8 लाख रूपए तथा केंचुआ संवर्धन एवं बिक्री से 2 लाख रूपए प्राप्त हुए हैं। इतना अच्छा कार्य मिलने पर महिलाओं ने शासन को धन्यवाद दिया है।

जय गंगा मैया स्वसहायता समूह की श्रीमती पूर्णिमा साहू ने बताया कि रीपा में कैरी बैग निर्माण की मशीन दी गई है और हमने कैरी बैग बनाना शुरू कर दिये हैं। हमें उम्मीद है कि इससे हमारी आय बढ़ेगी और हमारा घर-परिवार अच्छे से चलेगा। रीपा के कारपेंटर वर्क शॉप में कार्य कर रहे श्री शिवराज साहू ने बताया कि उन्हें अब तक सोफा एवं दीवान की बिक्री से 25000 रूपए की आय हुई है। उन्हें फर्नीचर बनाने के लिए लगातार आॅर्डर मिल रहा है। रीपा में समूह की महिलाओं को पंचगव्य साबुन, एवं गौ फिनाइल बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। यहां गौठान में साहीवाल, राखी एवं जर्सी गाय का पशुपालन भी किया जा रहा है। इसके अंतर्गत डेयरी उद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्कशेड में मुगीर्पालन, बकरी पालन, मशरूम उत्पादन जैसी गतिविधियों भी संचालित हैं। सामुदायिक बाड़ी में पत्तागोभी, केला, बरबट्टी, कांदाभाजी, भाटा, भिण्डी की सब्जी से भी आमदनी हो रही है।

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