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सुप्रीम कोर्ट ने समस्त स्कूलों और शिक्षा संस्थानों को छात्राओं को ‘फ्री’ सैनेटरी पैड उपलब्ध कराने के दिए आदेश

 नईदिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने सभी स्कूलों और शिक्षा संस्थानों को छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड यानी नैपकिन मुहैया कराने का आदेश दिया है. सभी राज्य सरकारों को छात्राओं की सुरक्षा और स्वच्छता का इंतजाम करना होगा. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदी वाला की पीठ ने जया ठाकुर की इस जनहित याचिका पर कहा कि सभी राज्य मेंसुरल पीरियड्स के दौरान स्वच्छता को लेकर अपनी योजना बताएं.

केंद्र सरकार की ओर से भारत की एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि वैसे तो स्वास्थ्य सेवा राज्य सूची का विषय है. लेकिन 2011 से इसके लिए केंद्रीय योजनाएं भी हैं. हमने इसके तहत अपनी योजनाएं और उनका पूरा ब्योरा अपने नोट के जरिए कोर्ट को सौंप दिया है.

SC ने मांगा छात्राओं की सुरक्षा, सुविधा और सेहत की योजनाओं का ब्योरा
चीफ जस्टिस की पीठ ने सभी सरकारों से छात्राओं के लिए मासिक धर्म के दौरान सुविधा और सेहत स्वच्छता के लिए बनाई गई योजनाओं पर खर्च होने वाले धन का भी ब्योरा मांगा है. यानी राज्य सरकारें बताएं कि उनकी योजना क्या है और वो उन पर केंद्र की राष्ट्रीय स्वास्थ्य योजना का कोष खर्च रहे हैं या अपने राजस्व से. इस कवायद का दशक से ज्यादा बीत चुका है. अब हिसाब दें कि मासिक धर्म के दौरान छात्राओं की सुविधा और सेहत को लेकर उन्होंने क्या, कहां, कितना और कैसे धन खर्च किया है?

कक्षा 6 से 12वीं तक की छात्राओं मुफ्त मिलेगा सैनिटरी पैड
देश भर के स्कूलों में कक्षा 6 से 12वीं तक में पढ़ने वाली छात्राओं को मुफ्त सैनिटरी पैड मुहैया कराने का निर्देश देने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार हफ्ते में यूनिफार्म पॉलिसी बनाने के निर्देश दे दिए हैं. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदी वाला की पीठ ने कहा कि इस गंभीर मसले पर आवश्यक है कि केंद्र सरकार राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को भी शामिल करे.

तीन महीने में रिपोर्ट देगी केंद्र सरकार
इस सिलसिले में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार मामलों के मंत्रालय में सचिव सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों के साथ बातचीत करने के लिए नोडल अधिकारी होंगे. सभी के साथ विचार विमर्श के बाद केंद्र सरकार तीन महीने में अपडेट स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेगी.

हर साल 2.3 करोड़ लड़कियां छोड़ देती हैं स्कूल
बता दें कि एक सामाजिक संस्था दसरा ने 2019 में माहवारी के कारण स्कूल छोड़ देने वाली लड़कियों पर एक रिपोर्ट दी थी. रिपोर्ट के मुताबिक हर साल 2.3 करोड़ लड़कियां माहवारी के दौरान स्वच्छता के लिए जरूरी सुविधाएं न होने की चलते स्कूल छोड़ देते हैं. मुफ्त सैनेटरी पैड, सुरक्षा और स्वच्छता मिलने से स्कूल छोड़ने वाली लड़कियों की संख्या में न सिर्फ कम होगी बल्कि यह समस्या पूरी तरह खत्म भी हो सकती है.

भारत में 60 फीसदी महिलाएं पीड़ित
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2 करोड़ 30 लाख महिलाएं और लड़कियों को पीरियड्स होते हैं। स्टडी के अनुसार, 71 फीसदी लड़कियां पीरियड्स शुरू होने से पहले इसके बारे में नहीं जानती हैं।

मेंस्ट्रुअल हेल्थ इन इंडिया| कंट्री लैंडस्केप एनालिसिस की रिपोर्ट में- जयपुर और राजस्थान की स्कूल जाने वाली लड़कियों ने पहली बार पीरियड्स के दौरान होने वाले उतार-चढ़ाव के बारे में बताया। उनका डाटा इस तरह है-

  • 25% लड़कियां शॉक में थीं।
  • 30% लड़कियां डर से परेशान थीं।
  • 69% लड़कियां अवसाद में थी।
  • 22% स्कूल गर्ल्स के मन में अपराधबोध का भाव आया।
  • 22% लड़कियां चिड़चिड़ी हो गई थीं।
  • 70% महिलाओं ने बताया कि उनके घर की आर्थिक स्थिति इतनी ठीक नहीं थी कि वो पैड्स खरीद सकें।
  • भारत की 88% महिलाएं पैड्स की जगह पुराना कपड़ा, राख, बालू और फूस जैसी चीजें इस्तेमाल करती हैं।

फर्स्ट पीरियड को कहते हैं मिनार्की
पहली बार पीरियड्स को मिनार्की कहते हैं। यह 10-13 साल की उम्र में शुरू होते हैं। टीनऐज में जब ओवरी में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन हॉर्मोन बनाते हैं तब ओवरी एग रिलीज करती है। इन हार्मोन की वजह से यूट्रस की परत मोटी हो जाती है। एग जब फर्टिलाइज नहीं होता तो यह लेयर टूट जाती है तब पीरियड्स आते हैं।

प्री मेन्स्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS)
पीरियड्स शुरू होने से 3 से 4 दिन पहले शरीर में हार्मोनल बदलाव होते हैं। प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन की कमी होने से पीरियड्स में पेट-पीठ और कमर में दर्द, मूड स्विंग्स, थकान, चिड़चिड़ापन, गैस होना, टिशू में पानी जमा होना, चक्कर आना और बेहोशी तक की समस्या होती है। कई महिलाओं को डिप्रेशन और टेंशन होती है।

पीरियड्स में क्यों होता है दर्द?
पीरियड्स के दौरान महिलाओं के पेल्विक एरिया, पेट के निचले हिस्से (पेडू), कमर में काफी दर्द होता है और ब्लॉटिंग होती है। इसका प्रभाव उनकी मेंटल हेल्थ, लाइफस्टाइल और काम पर भी पड़ता है। पीरियड्स के दौरान प्रोस्टाग्लैन्डिन हॉर्मोन निकलता है जिससे यूट्रस पर दबाव पड़ता है जिसकी वजह से पेट दर्द और ब्लॉटिंग होती है।

पीरियड्स आने पर स्कूल जाना बंद कर देती हैं लड़कियां
NGO डासरा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर साल करीब 2 करोड़ 30 लाख लड़कियां पीरियड्स आने पर स्कूल जाना बंद कर देती हैं।

2016 में YouGov ने BBC के सर्वे में खुलासा हुआ, 52% महिलाएं पीरियड पेन या क्रैम्प्स से गुजरती हैं, जिससे काम प्रभावित होता है। 10 में से 9 महिलाओं ने बताया कि उन्हें भी पीरियड्स क्रैम्प की शिकायत हुई है ।

पीरियड्स में क्यों होता है चिड़चिड़ापन?
पीरियड के दौरान शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन बनना कम हो जाता है। इसका असर दिमाग के केमिकल पर भी पड़ता है। सेरोटोनिन हॉर्मोन भी कम निकलता है। सेरोटोनिन खुशी के लिए जिम्मेदार है। इसी वजह से महिलाएं तनाव और डिप्रेशन में रहती हैं।

हेवी ब्लीडिंग है तो डॉक्टर को दिखाएं
पीरियड्स में कई महिलाओं को हैवी ब्लीडिंग होती है। इसे मैनोरेजिया कहते हैं। सामान्य रूप से पीरियड्स में 5 से 6 दिन तक ब्लीडिंग होती है। लेकिन इस कंडीशन में 7 दिन या इससे भी ज्यादा ब्लीडिंग होती है। अगर आपको हर दो घंटे में पैड्स बदलने पड़ते हैं और ब्लीडिंग के साथ काफी क्लॉटिंग होती है तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

मैनोरेजिया की वजह से कई बार एनीमिया भी हो जाता है। एनीमिया ज्यादा हो तो कई बार प्रेगनेंसी की दौरान महिला की मौत हो जाती है। हेल्दी फूड से आप खून की कमी को दूर कर सकती हैं। गायनोकोलॉजिस्ट से जानें मैनोरेजिया की वजह से क्यों होता है एनीमिया और इस दौरान कौन सी हेल्दी डाइट लेनी चाहिए।

भारत में 60 फीसदी महिलाएं पीड़ित
मेंस्ट्रुअल हेल्थ इन इंडिया| कंट्री लैंडस्केप एनालिसिस की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 35 करोड़ महिलाएं और लड़कियां पीरियड्स होती हैं। स्टडी के अनुसार, 71 फीसदी लड़कियां पीरियड्स शुरू होने से पहले इसके बारे में नहीं जानती हैं।

पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग की वजह से एनीमिया होता है?
नॉर्मल पीरियड्स साइकिल 4 से 7 दिन होता है, लेकिन अगर बड़े ब्लड क्लॉट आते हैं और 6 या इससे ज्यादा पैड बदलने पड़ते हैं तो यह हैवी मेंसेंस के लक्षण हैं। इसकी वजह से शरीर में खून की कमी होती है। इस वजह से भारत की 66.6% महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं। एक तिहाई महिलाएं पहले से ही आयरन सप्लीमेंट लेती हैं।

कब जानें कि हैवी ब्लीडिंग हो रही है?
पूरे पीरियड साइकिल में अगर मेन्स्ट्रुअल कप में 80mL ब्लड इकट्ठा हो रहा है या 6 से ज्यादा पैड बदलने पड़ते हैं, तो इसका मतलब कि पीरियड्स में आपको हेवी ब्लड फ्लो होता है।

डायटीशियन सुनीता ने बताया कि एनीमिया की शिकार महिलाएं अगर डाइट ठीक रखें तो इस समस्या से निजात पा सकती हैं। खाने में शामिल करें ये चीजें और खून की कमी करें दूर।

नट्स और ड्राई फ्रूट्स
खजूर, किशमिश और अखरोट में आयरन, कैल्शियम और मैग्नीशियम की प्रचुर मात्रा होती है। ये खून की कमी दूर करते हैं और इम्यून सिस्टम को भी मजबूत बनाते हैं।

फलियां
बींस, चना, सोयाबीन और मटर पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इसमें फोलेट, मैग्नीशियम और पोटैशियम काफी मात्रा में होता है। महिलाओं के लिए यह बेहद फायदेमंद है।

ब्रोकली
यह केवल आयरन की कमी में ही फायदेमंद नहीं है। इसमें इंडोल, ग्लूकोसाइनोलेट्स और सल्फोराफेन होता है। यह तत्व शरीर के रोग प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने के साथ कैंसर से लड़ने में मदद करता है।

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