सुप्रीम कोर्ट की ED को सख्त हिदायत- जांच में सहयोग नहीं कर रहा कहकर गिरफ्तार नहीं कर सकते
नई दिल्ली
मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय यानी ED को गिरफ्तारी और पूछताछ की प्रक्रिया को लेकर हिदायत दी है। कोर्ट का कहना है कि समन के जवाब में सहयोग न करने के चलते ही किसी को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति को तब ही गिरफ्तार किया जा सकता है, जब जांच अधिकारी के पास यह मानने के के कारण हो कि व्यक्ति PMLA के तहत दोषी है।
अदालत ने रियल एस्टेट समूह M3M के खिलाफ जारी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पंकज बंसल और बसंत बंसल की गिरफ्तारी को अवैध ठहरा दिया। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एएएस बोपन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी। उन्होंने कहा कि धारा 50 के तहत जारी समन के जवाब में अगर गवाह सहयोग नहीं कर रहा है, तो धारा 19 के तहत उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। कोर्ट का कहना है कि अगर आरोपी ईडी की तरफ से पूछे गए सवालों का जवाब नहीं देता है, तो सिर्फ इसी के आधार पर जांच अधिकारी धारा 19 के तहत उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा कि धारा 19 के तहत किसी व्यक्ति तो तब ही गिरफ्तार किया जा सकता है, जब अधिकारी के पास यह मानने के कारण हों कि व्यक्ति PMLA के तहत अपराधों का दोषी है।
ED की सफाई
ईडी ने कोर्ट को बताया कि आरोपियों की तरफ से पूछताछ में गोलमोल जवाब दिए गए थे। हालांकि, कोर्ट ने इस कारण को अस्वीकार कर दिया। अदालत का कहना था कि ईडी तलब किए गए व्यक्ति हर हाल में कबूलनामा देने की उम्मीद नहीं कर सकती। साथ ही ईडी कबूलनामे के अलावा दिए किसी भी जवाब को गोलमोल भी नहीं बता सकती। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संतोष पुत्र द्वारकादास फाफत बनाम महाराष्ट्र सरकार के मामले का जिक्र किया। अदालत ने कहा कि संतोष के मामले में यह कहा गया था कि आरोपी अगर कबूल नहीं कर रहा है, तो इसे जांच में असहयोग नहीं माना जाएगा। साथ ही कोर्ट ने ईडी से यह भी कहा कि आरोपी को गिरफ्तारी के कारण लिखित में देने होंगे।