योग्य नेताओं की इतनी बड़ी लिस्ट कि दिल्ली तक होगा मंथन
भोपाल
मध्य प्रदेश में चली भाजपा की सुनामी में पार्टी के इतने नेता जीत कर आए हैं कि इस बार किसे मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी, किसे नहीं इस पर पार्टी और उसके दिग्गज नेताओं को भोपाल से लेकर दिल्ली तक मंथन करना होगा। कमलनाथ की सरकार गिरने और भाजपा की सरकार बनने के बाद जो मंत्रिमंडल आया बना था, वह तात्कालिक राजनीतिक परिस्थितियों अनुसार समझौते का मंत्रिमंडल था, लेकिन इस बार भाजपा के सामने ऐसी कोई मजबूरी नहीं हैं कि वह इस तरह का मंत्रिमंडल बनाने को बाध्य हो। इसलिए इस बार यह तय माना जा रहा है कि भाजपा अब तक का सबसे मजबूत मंत्रिमंडल बनाएगी।
ये मंत्री आए थे कांग्रेस से
कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आने वाले नेताओं में से 9 विधायकों को मंत्री बनाया गया था। जिसमें अधिकांश ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़े हुए नेता थे। प्रद्युम्न सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसोदिया, बृजेंद्र सिंह यादव, गोविंद राजपूत, बिसाहुलाल सिंह, प्रभुराम चौधरी, तुलसी सिलावट, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव और हरदीप सिंह डंग
इस बार ये मंत्री हारे
नरोत्तम मिश्रा, महेंद्र सिंह सिसौदिया, कमल पटेल, गौरीशंकर बिसेन, सुरेश धाकड़, रामखेलावन पटेल, राजवर्धन दत्तीगांव, अरविंद भदौरिया, प्रेमसिंह पटेल, राहुल सिंह लोधी, भारत सिंह कुशवाह और रामकिशोर कांवरे चुनाव हार गए।
समझौते में कुछ ऐसा था मंत्रिमंडल
2020 में बनी भाजपा की सरकार के मंत्रिमंडल में हर क्षेत्र और जातियों का संतुलन नहीं बन सका था। इसमें ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के प्रद्युम्न सिंह तोमर, बृजेंद्र सिंह यादव, महेंद्र सिंह सिसोदिया के साथ ही नरोत्तम मिश्रा, डॉ. अरविंद भदौरिया, भारत सिंह कुशवाहा मंत्री थे। जबकि सागर जिले से तीन मंत्री बनाए गए, जिसमें गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह और गोविंद राजपूत थे। इन तीन के अलावा बुंदेलखंड से बृजेंद्र प्रताप सिंह और चुनाव से कुछ महीने पहले राहुल सिंह लोधी को यहां से मंत्री बनाया गया।
ग्वालियर-चंबल और बुंदेलखंड में विधानसभा की 60 सीटें आती हैं, इनमें से भाजपा की सरकार में 11 विधायक मंत्री बने थे। वहीं रीवा संभाग में भाजपा ने पिछले चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था, यहां से राम खेलावन पटेल मंत्री बने, बाद में राजेंद्र शुक्ल को मंत्री बनाया गया था। शहडोल संभाग से बिसाहूलाल सिंह और मीना सिंह को मंत्री बनाया गया था। महाकौशल जैसे बड़े क्षेत्र से करीब तीन साल तक राम किशोर कांवरे ही एक मात्र मंत्री थे, बाद में गौरीशंकर बिसेन को भी मंत्री बनाया गया। भोपाल और नर्मदापुरम संभाग से कमल पटेल, प्रभुराम चौधरी, विश्वास सारंग ही मंत्री पद पा सके थे। इसी तरह निमाड से विजय शाह और प्रेम सिंह पटेल मंत्री थे। मालवा क्षेत्र से तुलसी सिलावट, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, उषा ठाकुर, मोहन यादव, जगदीश देवडा, ओमप्रकाश सकलेचा और हरदीप सिंह डंग।
ये भी हो सकता है प्रयोग
भाजपा अब नई जनरेशन को मौका देने में जुटी हुई है। इसका असर 2023 के मंत्रिमंडल के गठन में भी दिख सकता है। शिवराज कैबिनेट में आधा दर्जन मंत्री ऐसे भी हैं जो 2003 से लगातार मंत्री हैं। इस बार भी वे चुनाव जीत कर आए हैं। ये सभी पांच से आठ बार के विधायक हैं। जानकारों की मानें तो ऐसे कुछ मंत्रियों को इस बार साइड लाइन किया जा सकता है। इस बार नए और युवा चेहरों को मौका मिल सकता है।
असरकारक नहीं रहा अंतिम विस्तार
चुनाव के ऐन वक्त पर हुए मंत्रिमंडल विस्तार में मंत्री बनाए गए दो चेहरे चुनाव हार गए। खरगापुर से राहुल लोधी और बालाघाट से गौरीशंकर बिसेन चुनाव हार गए है। संयोग देखिए गौरीशंकर की बजाए उनकी बेटी मौसम बिसेन को टिकट दिया गया था, ऐन वक्त पर गौरीशंकर बिसेन को फार्म बी देकर उम्मीदवार बनाया गया था। जो तीन मंत्री बनाए गए थे, उनमें से सिर्फ राजेंद्र शुक्ल चुनाव जीते हैं।