बिलासपुर.
कोयला उद्योग में एक दिवसीय हड़ताल का समूचे देश में मिलाजुला असर रहा।हड़ताल का आह्वान एटक ,एच एम एस ,इंटक एवं सीटु ने किया था। यह सर्व बिदित है कि 10 केन्द्रीय ट्रेंड युनियनों ने मिलकर सरकार की नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। साथ ही देश के किसानों ने एम एस पी को लेकर दिल्ली बार्डर पर हज़ारों की संख्या में डटे हैं। यह पहली बार है कि किसान संगठनों एव ट्रेड यूनियनों ने मिलकर संघर्ष करने के लिए मैदान में हैं।ऐसी परिस्थिति में अश्रु गैस की बौछार,दमन के सारे हथकंडे ,गोली का जबाब किसानों ने मज़बूती से दिया है। वहीं सभी उद्योगों के मज़दूरों ने हड़ताल में जमकर हिस्सेदारी किया है।आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ,सहायिका, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता,मध्याह्न भोजन कर्मी संघ ने आगे बढ़कर आंदोलन में हिस्सा लिया। हर प्रकार के मेहनतकश देश को बचाने के लिए 16 फ़रवरी को हड़ताल में रहे है। अगर कोयला उद्योग की बात करें तो अलग अलग कंपनियों में हड़ताल की अलग अलग स्थिति रही है। एस ई सी एल में 80 प्रतिशत से अधिक हड़ताल रही है। चारों यूनियनों के कंपनी के नेतागण ने मिलकर कम्पनी में तीन कन्वेंशन क्रमशः सोहागपुर ,बिश्रामपुर एवं गेवरा में चार चार क्षेत्रों को मिलाकर सफलतापूर्वक नेतृत्व किया था बड़ी संख्या में हर क्षेत्र की चारों यूनियनों के कार्यकर्ता कन्वेंशन में शामिल थे। प्रबंधन ने हड़ताल को विफल करने के लिए कोई ऐसा हथकंडा नहीं था जिसका इस्तेमाल न किया हो किन्तु उनके सारे हथकंडे विफल हो गए। एटक के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, मध्य प्रदेश के अध्यक्ष ,एस ई सी के केंद्रीय महासचिव हरिद्वार सिंह ने कहा 16 फ़रवरी को मज़दूरों में देखने लायक जज़्बा था। कोयला खदान के मज़दूरों ,किसानों ,मध्याह्न भोजन कर्मी अन्य उद्योगों के मज़दूरों ,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका ने हड़ताल कर जिला प्रशासन को चुनौती दिया।मज़दूरों के आंदोलन की आँधी के सामने सरकारी तिकड़म ध्वस्त हो गया मज़दूरों की जीत हुई।हरिद्वार सिंह ने कहा यह ट्रेड युनियन की एकता की जीत है मज़दूरों की एकता की जीत है।