विस के सवालों को गभींरता से नहीं ले रहे अफसरों पर हो कड़ी कार्रवाई – अध्यक्ष गिरीश गौतम
भोपाल
विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा है कि प्रदेश में विभिन्न विभागों के अफसर विधानसभा सवालों को गंभीरता से नहीं लेते हैं और इसका समय पर सटीक जवाब नहीं देते हैं। इसलिए मंत्री ऐसे मामलों पर कार्यवाही करें। जो अफसर जिम्मेदार पाए गए हैं, उनके विरुद्ध शीघ्र एक्शन हो। अध्यक्ष ने ये निर्देश वन मंत्री को विधानसभा में प्रश्नोत्तर काल के दौरान तब दिए जब एक सवाल के जवाब में यह बात सामने आई कि विधायक आलोक चतुर्वेदी को अफसरों ने पहले अतिक्रमणकारी बता दिया था और अब उसी मामले में किए गए दूसरे सवाल में उन्हें व उनके परिजनों को अतिक्रामक नहीं माना है।
बुधवार को सदन समवेत होने पर प्रश्नोत्तर काल के दौरान विधायक आलोक चतुर्वेदी ने राजस्व एसडीओ छतरपुर के सूरजपुर वनखंड में भूमि मामलों की जांच और किसानों, भूमि स्वामियों के विरुद्ध दर्ज अतिक्रमण के मामलों को लेकर सवाल किया। चतुर्वेदी ने सदन में कहा कि इस मामले में पूर्व में अफसरों ने उन्हें और उनके परिवार के लोगों को सूरजपुर वनखंड की भूमि पर अतिक्रामक बताया था और इससे उनकी व परिवार की बदनामी हुई है।
विधायक की छवि धूमिल करने का काम अफसरों ने किया है। अब सरकार की ही दूसरी जानकारी में वे अतिक्रामक नहीं हैं तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है? उसके विरुद्ध कार्यवाही की जाए। इसके जवाब में वन मंत्री विजय शाह ने कहा कि विधायक और उनका परिवार अतिक्रामक नहीं हैं। इस मामले में पूर्व में जो जानकारी आई थी वह राजस्व विभाग से प्राप्त नहीं थी।
वन विभाग ने अपनी जानकारी भेजी थी। इस बार राजस्व विभाग की भी जानकारी है। इस पर विधायक ने कहा कि इसमें गलती सरकार की है। विधानसभा अध्यक्ष गौतम ने तब इसमें हस्तक्षेप करते हुए वन मंत्री शाह से कहा कि अफसर विधानसभा के प्रश्नों को गंभीरता से नहीं लेते हैं। यह विधानसभा के सम्मान की बात है। इसलिए मंत्री इस पर कार्यवाही करें।
आदिवासी मामले पर चर्चा के लिए अड़ी कांग्रेस
कांग्रेस ने बुधवार को भी शू्न्यकाल में आदिवासियों पर अत्याचार के मामले पर स्थगन प्रस्ताव के जरिये चर्चा कराने की मांग की और गर्भगृह में पहुंचकर सरकार के विरुद्ध नारेबाजी की। कांग्रेस नेताओं के हंगामे को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने सदन की कार्यवाही दस मिनट के लिए स्थगित कर दी।
प्रश्नोत्तर काल खत्म होते ही नेता प्रतिपक्ष गोविन्द सिंह समेत कांग्रेस विधायकों ने आदिवासी अत्याचार पर स्थगन प्रस्ताव स्वीकार करने की मांग की। इस पर कोई जवाब नहीं मिला तो कांग्रेस विधायक सरकार को आदिवासी विरोधी बताते हुए नारेबाजी करते गर्भगृह तक पहुंच गए। विधानसभा अध्यक्ष ने समझाईश देकर बैठने को कहा लेकिन कांग्रेसी नहीं माने। इसके पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मीडिया से चर्चा में कहा कि प्रदेश में व्यवस्था चौपट है।
झाबुआ में भी आदिवासी के साथ घटना सामने आ चुकी है। नेता प्रतिपक्ष डॉ सिंह ने मीडिया से चर्चा में सीएम शिवराज को जालिम तानाशाह बताते हुए कहा कि विधानसभा का अंतिम सत्र है जो सौहार्द्रपूर्ण वातावरण में चलना चाहिए। आदिवासी पर स्थगन स्वीकार नहीं किए जाने तक कांग्रेस विरोध जताती रहेगी।