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इंदौर की पिच पर लगे ‘कलंक’ को हटवा सकते हैं सौरव गांगुली, लेकिन क्या ICC में रहकर हो पाएगा?

नई दिल्ली
इंदौर टेस्ट मैच के लिए यूज होने वाले पिच को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल यानी आईसीसी ने Poor कैटेगरी में रखा। मैच रेफरी क्रिस ब्रॉड ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के तीसरे मैच की पिच को बेहद खराब रेट किया था। ऐसे में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई इस पिच की रेटिंग के खिलाफ आईसीसी में अपील दायर करेगा, जिसकी सुनवाई उस कमेटी को करनी है, जिसके हेड सौरव गांगुली हैं।

हालांकि, भारत को इस चीज का फायदा नहीं मिलेगा को सौरव गांगुली किसी चीज का फेवर कर सकें, क्योंकि उन्हें अपने पैर पीछे खींचने पड़ सकते हैं, क्योंकि यहां हितों का टकराव होगा। ऐसे में रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि सौरव गांगुली उस कमेटी का हिस्सा नहीं होंगे, जिसे इंदौर की पिच रेटिंग को लेकर सुनवाई करनी है। इस कमेटी में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के पूर्व सीईओ वसीम खान भी हैं।

अगर हितों का टकराव होता है, तो सौरव गांगुली को मेंस क्रिकेट कमेटी के चेयरमैन के तौर पर इस पैनल की जिम्मेदारी किसी अन्य को सौंपने की जरूरत होगी। वसीम खान और इस कमेटी का कोई और सदस्य इंदौर पिच रेटिंग पर सुनवाई करेगा। सौरव गांगुली टीम इंडिया के पूर्व कप्तान हैं और कुछ ही समय पहले तक वे बीसीसीआई के चेयरमैन थे। ऐसे में हितों के टकराव की संभावना है।

टेलीग्राफ ऑनलाइन की रिपोर्ट की मानें तो सौरव गांगुली और वसीम खान के पैनल ने जनवरी में इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट के लिए रावलपिंडी की पिच पर लगाए गए डिमेरिट प्वाइंट को कैंसिल करने का फैसला किया था। वसीम खान, जो आईसीसी में शामिल होने से पहले पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के मुख्य कार्यकारी थे, लेकिन वे एक ब्रिटिश नागरिक हैं। ऐसे में वे रावलपिंडी विकेट पर फैसला सुनाने वाले पैनल का हिस्सा बने रहे।
 
हालांकि, सौरव गांगुली के मामले में ऐसा नहीं होगा, क्योंकि वे भारतीय नागरिक हैं, टीम के पूर्व कप्तान हैं। आईपीएल की एक टीम के डायरेक्टर ऑफ क्रिकेट ऑपरेशन्स हैं और बीसीसीआई के अध्यक्ष रह चुके हैं। ऐसे में गांगुली की जगह किसी अन्य सदस्य को इंदौर पिच रेटिंग पर सुनवाई करनी पड़ सकती है। ऐसे में भारत को सौरव गांगुली के बड़े पद का कोई लाभ नहीं मिल पाएगा।

इंदौर की पिच पर लगा कलंक
आईसीसी ने न सिर्फ पिच को पूअर कैटेगरी में रखा है, बल्कि 3 डेमेरिट प्वाइंट्स भी होल्कर स्टेडियम के खाते में जोड़ दिए हैं। अगर किसी स्टेडियम की पिच को 5 अंक एक साल में मिल जाते हैं तो उसे एक साल के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट की मेजबानी से हाथ धोना पड़ सकता है। ऐसे में ये रेटिंग किसी कलंक से कम नहीं हैं। मैच रेफरी ने माना था कि पिच में तेज गेंदबाजों के लिए कुछ भी नहीं था।

 

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