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पाकिस्तान में सांप-छुछुंदर सी लड़ाई: SC बोला- हर हाल में 3 महीने में हो चुनाव, आयोग ने 6 महीने टाला

 नई दिल्ली

पड़ोसी देश पाकिस्तान में संवैधानिक संस्थाओं के बीच भी सांप-छुछुंदर की लड़ाई चल रही है। बुधवार को एक आश्चर्यजनक घटनाक्रम में  पाकिस्तान चुनाव आयोग (ECP) ने पंजाब में 30 अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनावों से जुड़ी अपनी अधिसूचना वापस ले ली और 8 अक्टूबर, 2023 तक प्रांतीय विधानसभा के चुनाव स्थगित कर दिए। पाकिस्तान के मशहूर अखबार 'डॉन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग ने अपने नए आदेश में कहा है कि अनुच्छेद 218(3) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए चुनाव आयोग , 2017 के चुनाव अधिनियम की धारा 58 और धारा 8 (सी) के तहत 8 मार्च को घोषित चुनाव कार्यक्रम को वापस लेता है और 8 अक्टूबर को मतदान की तारीख निर्धारित किया जाता है। आदेश में कहा गया है कि आयोग बाद में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराएगा।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 1 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया था कि पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा विधानसभाओं के चुनाव 90 दिनों की निर्धारित अवधि के भीतर होने चाहिए। हालांकि, इस आदेश में कोर्ट ने चुनाव आयोग को किसी भी व्यावहारिक कठिनाई के मामले में "न्यूनतम 90 दिनों" की समय सीमा में छूट दी थी।

शीर्ष अदालत की पांच-न्यायाधीशों की एक बड़ी खंडपीठ ने दो दिनों तक मामले की सुनवाई करने के बाद दो प्रांतीय विधानसभाओं के चुनाव के बारे में स्वत: संज्ञान मामले पर 3-2 से विभाजित फैसला सुनाया था। मुख्य न्यायाधीश उमर अता बंदियाल, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति मुहम्मद अली मजहर ने फैसले का समर्थन किया, जबकि न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखेल और न्यायमूर्ति सैयद मंसूर अली शाह ने स्वत: संज्ञान लेकर मामले की स्वीकार्यता का विरोध करते हुए असहमति जताई थी। इसके बाद चुनाव आयोग ने 10 मार्च को राष्ट्रपति और खैबर पख्तूनख्वा के राज्यपाल को अलग-अलग पत्र लिखे। राष्ट्रपति डॉ आरिफ अल्वी को लिखे पत्र में, आयोग ने चुनाव के लिए 30 अप्रैल से 7 मई के बीच तारीखों का प्रस्ताव दिया था। अल्वी ने बाद में उसी दिन घोषणा की थी कि पंजाब में 30 अप्रैल को चुनाव होंगे।

आदेश में कहा गया है कि चुनाव आयोग ने "प्रांत में बढ़े सुरक्षा खतरों और हालिया आतंकवादी घटनाओं" के मद्देनजर सेना और रेंजरों की तैनाती के लिए फरवरी में आंतरिक और रक्षा मंत्रालयों से संपर्क किया था। आदेश में कहा गया है कि आंतरिक मंत्रालय ने 8 फरवरी को आयोग को भी बताया था कि "देश भर में आतंकवाद की घटनाओं में बढ़ोत्तरी" और खुफिया एजेंसियों से खतरे के अलर्ट के कारण नागरिक और सशस्त्र बलों की तैनाती संभव नहीं होगी। 14 मार्च को आयोग को बताया गया कि चुनावी ड्यूटी के लिए आर्मी उपलब्ध नहीं हो सकेगी। इसके बाद आयोग ने चुनाव टालने का फैसला किया है।

बता दें कि पीटीआई के अध्यक्ष इमरान खान के निर्देश पर जनवरी में तत्कालीन मुख्यमंत्री चौधरी परवेज इलाही ने पंजाब विधानसभा को भंग कर दिया था। इमरान ने खैबर-पख्तूनख्वा (के-पी) विधानसभा को भंग करने का भी आदेश दिया था, जिसे उसी महीने भंग कर दिया गया था।

 

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