मणिपुर में हिंसा के बाद स्थिति तनावपूर्ण, लेकिन काबू में
इंफाल
मणिपुर में एक दिन पहले फिर हिंसा भड़कने के बाद स्थिति तनावपूर्ण रही, लेकिन हालात अभी काबू में हैं।
राज्य में तीन मई के बाद से जातीय हिंसा में कम से कम 70 लोगों की मौत हुई है।
इंफाल पूर्व जिले के न्यू चेकोन इलाके में व्यावसायिक प्रतिष्ठान मंगलवार सुबह बंद रहे और सुरक्षाकर्मियों ने लोगों से घरों में ही रहने की अपील की।
इस जिले में एक पूर्व विधायक समेत हथियारबंद चार लोगों ने सोमवार को लोगों को अपनी दुकानें बंद करने के लिए बाध्य किया, जिसके बाद एक बार फिर हिंसा भड़क उठी थी।
पुलिस ने बताया कि इंफाल पूर्व जिले में फुखाओ और लेइतानपोकपी समेत कुछ जगहों पर लाइसेंसी बंदूकों से लैस स्थानीय लोग अस्थायी 'बंकर' बनाकर किसी भी संभावित हमले के खिलाफ अपने इलाकों की रक्षा करते हुए पाए गए। सोमवार को इंफाल पश्चिम में सिनम खैतोंग गांव में सुरक्षाबलों ने ऐसे पांच 'बंकर' नष्ट कर दिए।
घाटी में स्थित जिलों में धरना प्रदर्शन किए गए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हुईं। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि कुकी उग्रवादियों के साथ सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन (एसओओ) रद्द किया जाए और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
उन्होंने 'म्यांमा के अवैध आव्रजकों' को उनके देश भेजने और पर्वतीय क्षेत्रों में अफीम की खेती बंद करने की भी मांग की। प्रदर्शनकारियों ने पर्वतीय क्षेत्र के विधायकों की राज्य के विभाजन की मांग के खिलाफ भी प्रदर्शन किया।
पर्वतीय क्षेत्रों से सटे इलाकों में रह रहे लोगों ने घाटी में कुकी उग्रवादियों के आने और नागरिकों पर गोलीबारी करने की शिकायत की है। इंफाल पश्चिम जिले के मोइदांगपोक गांव में हाल में ऐसी ही एक घटना में कम से कम तीन लोग घायल हो गए थे।
राज्य में कर्फ्यू में ढील की अवधि दो घंटे कम कर दी गई है, जिससे पाबंदी अब सुबह पांच बजे से दोपहर दो बजे तक लागू है।
मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह ने सोमवार शाम को लोगों से निर्दोष लोगों के मकानों में आग न लगाने की अपील की थी।
उन्होंने बताया कि न्यू चेकोन घटना में एक पूर्व विधायक समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। भीड़ ने हथियार से लैस व्यक्ति की पिटाई की थी, जबकि तीन अन्य लोग घटनास्थल से भाग गए थे।
मकानों को आग लगाने की घटनाओं में कोई हताहत नहीं हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ''हम गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करेंगे… हमने केंद्रीय बलों के सुरक्षाकर्मियों की 20 से अधिक टुकड़ियों को बुलाने का भी फैसला किया है।''
राज्य में वर्तमान में सेना और असम राइफल्स के करीब 10,000 जवान तैनात हैं। सुरक्षा बल ड्रोन और चीता हेलीकॉप्टर की मदद से हवाई निगरानी कर रहे हैं।
बिरेन सिंह ने कहा कि राज्य के अंदर और बाहर सोशल मीडिया पर नफरत एवं दुश्मनी फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
मणिपुर में हिंसा शुरू होने के बाद से इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। आरोप है कि राज्य के बाहर रहने वाले मेइती और कुकी समुदाय के लोग अपने-अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये नफरत फैला रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा, ''हमें स्थिति सामान्य करने और शांति बहाल करने के लिए एक साथ बैठकर बातचीत करने की जरूरत है।''
गौरतलब है कि अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को कई जिलों में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' का आयोजन किया गया था, जिसके बाद मणिपुर में हिंसक झड़पें हुई थीं।