आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया को झटका, न्यायिक हिरासत 14 दिन बढ़ी
नईदिल्ली
दिल्ली के कथित आबकारी नीति घोटाले (Excise Policy Scam) के आरोपी पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को राउज एवेन्यू कोर्ट (Rouse Avenue Court) लाया गया था। ईडी से जुड़े केस में उनकी न्यायिक हिरासत आज खत्म हो गई थी जिसके बाद उन्हें अदालत में पेश किया गया था। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने ईडी केस में मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत 23 मई तक बढ़ दी है। जाहिर है सिसोदिया को अदालत से राहत नहीं मिली है और अब उन्हें न्यायिक हिरासत में आगे भी रहना होगा। कुछ मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि सिसोदिया को आवेदनों के लिए हस्ताक्षर करने की छूट अदालत की तरफ से दी गई है। कोर्ट ने विकास के लिए सिसोदिया को राशि जारी करने की छूट दी है। जिसके बाद अब अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए सिसोदिया राशि जारी कर सकेंगे।
बता दें कि शराब घोटाले में ईडी मनी लॉन्ड्रिंग के एंगल से जांच कर रही है। पहले सीबीआई ने इस मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार किया था औऱ फिर बाद में ईडी ने भी मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया था। मनीष सिसोदिया 23 फरवरी से ही दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद हैं।
शराब घोटाले में सीबीआई और ईडी का शिकंजा मनीष सिसोदिया पर कसा हुआ है। इस मामले में दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की सिफारिश के बाद सीबीआई ने अपनी जांच-पड़ताल शुरू की थी। इस दौरान सीबीआी ने सिसोदिया समेत अन्य कई लोगों को आरोपी बनाते हुए उनके ठिकानों पर ताबड़तोड़ चापेमारी भी की थी। इसी साल फरवरी के महीने में सीबीआई ने सिसोदिया से लंबी पूछताछ की थी और उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद इस मामले में ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत अपनी जांच शुरू की और उसने भी सिसोदिया को गिरफ्तार किया था।
पिछले कुछ समय से मनीष सिसोदिया लगातार अपनी जमानत के लिए अलग-अलग अदालतों में गुहार लगा रहे हैं। सिसोदिया के वकील अदालत में कह चुके हैं सिसोदिया कही बाहर नहीं भागेंगे और इस मामले की जांच पूरी हो चुकी है लिहाजा उन्हें अब हिरासत में रखने की जरूरत नहीं है। इतना ही नहीं सिसोदिया अदालत में अपनी बीमार पत्नी का हवाला देकर भी जमानत की गुहार लगा चुके हैं। हालांकि, अभी तक सिसोदिया को जमानत नहीं मिली है।
जांच एजेंसियां मनीष सिसोदिया को शराब घोटाले के किंगपिन बता चुकी हैं। जांच एजेंसियों ने अदालत के समक्ष सिसोदिया को इस पूरे घोटाले का मुख्य साजिशकर्ता बताया था। प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत में यह भी कहा था कि सिसोदिया ने झूठे ईमेल प्लांट किये थे ताकि जनता को यह दिखाया जा सके कि नई आबकारी नीति को अप्रूवल मिल चुका है। इतना ही नहीं सिसोदिया पर सबूत मिटाने के आरोप भी जांच एजेंसियों ने लगाए थे और कहा था कि कई मोबाइल फोन को सिसोदिया ने नष्ट किया था जो सबूत मिटने के इरादे से किये गये थे। जांच एजेंसी अब तक लगातार सिसोदिया के जमानत का विरोध करती आई है और यह तर्क देती आई है कि इससे जांच प्रभावित हो सकता है।