शिखर धवन ने खोले अपनी निजी जिंदगी के राज, आयशा मुखर्जी से तलाक को लेकर तोड़ी चुप्पी
नई दिल्ली
भारतीय टीम के स्टार सलामी बल्लेबाज शिखर धवन को हम उनके बेबाक अंदाज के लिए जानते हैं। चाहे क्रिकेट के मैदान पर हो या निजी जिंदगी में वह अपनी जिंदगी को खुलकर जीना पसंद करते हैं। हालांकि इन दोनों ही जगह वह मुश्किल समय से गुजर रहे हैं। एक तरफ वह टीम इंडिया से बाहर चल रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उनका पत्नी आयशा मुखर्जी से तलाक हो रहा है। हाल ही में उन्होंने अपनी निजी जंदगी पर बात करते हुए कई राज खोले हैं। इस दौरान उन्होंने अपने तलाक को लेकर भी चुप्पी तोड़ी है। धवन का कहना है कि वह दूसरों पर उंगली उठाना पसंद नहीं करते, वह इस फील्ड में फेल इसलिए हुए क्योंकि उन्हें इसका अनुभव नहीं था।
इंटरन्यू में अपने तलाक को लेकर बात करते हुए धवन ने कहा 'मैं फेल हुआ क्योंकि कोई भी इंसान जब निर्णय लेता है, तो आखिरी निर्णय उसी का होता है। मैं दूसरों पर उंगलियां उठाना पसंद नहीं करता। मैं फेल इसलिए हुआ क्योंकि मुझे उस फील्ड का अंदाजा नहीं था। क्रिकेट की जो बातें मैं आज कर रहा हूं, यही 20 साल पहले आप मुझसे पूछते तो इन सब बातों का पता नहीं रहता। ये सभी एक्सपीरियंस की बात है। पहले एक-दो साल इंसान के साथ बिताएं, देखें कि दोनों के संस्कार मैच करते हैं या नहीं।'
उन्होंने आगे कहा 'वो भी एक मैच ही था। फिलहाल मेरा तलाक का केस चल रहा है, इसके खत्म होने के बाद जब मुझे शादी करनी होगी तो मैं उस वक्त इस फील्ड में ज्यादा समझदार होउंगा कि मुझे किस तरह की पार्टनर चाहिए, जिसके साथ मैं जिंदगी निभा सकता हूं अगर मैं शादी करना चाहता हूं। जब मैं 26-27 साल का था और खेलता आ रहा था तो उस वक्त मेरे रिलेशनशिप नहीं थे, हालांकि मस्ती करते थे। जब मैं प्यार में पड़ा तो मैं रेड फ्लैग्स देख नहीं पाया, लेकिन अब अगर प्यार में पड़ूंगा तो उन रेड फ्लैग्स को देख सकता हूं। अगर रेड फ्लैग्स होगा तो मैं उससे बाहर आ जाउंगा।
धवन आयशा मुखर्जी के साथ 2012 में शादी के बंधन में बंधे थे, आयशा की यह दूसरी शादी थी। इस शादी से धवन को एक बेटा भी है जो 2014 में हुआ था। धवन के बेटे का नाम जोरावर है। सितंबर 2021 में खबर आई कि इन दोनों ने तलाक लेने का फैसला किया है। फिलहाल इनका तलाक का केस चल रहा है, ऐसे में जोरावर अपनी मां के साथ मेलबर्न में रहता है। धवन अकसर उनसे मिलने वहां जाते हैं। धवन ने कहा 'शादी मेरे लिए एक बाउंसर थी और इसे मैं सर पर खा बैठा। ये चारों खाने चित गई। हारना भी जरूरी है, लेकिन हार को स्वीकार करना सीखें। मुझसे गलती हुई और इंसान गलतियों से ही सीखता है।'