शाहजहां की कुंडली- मंत्री-विधायक से अधिक रुतबा, ड्राइवर से बना नेता
कोलकता
पश्चिम बंगाल की पुलिस ने आज सुबह उत्तर 24 परगना के संदेशखाली के तृणमूल कांग्रेस के कद्दावर नेता शाहजहां शेख (Shahjahan Sheikh) को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी में हो रही देरी के लिए विपक्षी पार्टी भाजपा ने लगातार ममता सरकार पर अपने नेता को बचाने के आरोप लगाया। सरकार पर बने रहे दबाव के बाद 5 फरवरी से लगातार फरार चल रहे शाहजहां शेख को पुलिस ने आखिरकार गिरफ्तार कर लिया है। आइए टीएमसी के इस दबंग नेता के बारे में जानते हैं।
कुछ स्थानीय टीएमसी नेताओं से बातचीत के बाद संदेशखाली हिंसा के कथित मास्टरमाइंड के बारे में पता चला है। उन्होंने कहा कि 45 साल के शाहजहां का सियासी उत्थान जबरदस्त रहा है। पश्तिम बंगाल में वाम मोर्चा सरकार को हटाकर ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी की सरकार बनने के बाद वह 2013 में पार्टी में शामिल हो गए।
ट्रक ड्राइवर से टीएमसी नेता बनने की कहानी
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि शाहजहां अपने शुरुआती दिनों में संदेशखाली और सरबेरिया में कभी ड्राइवर और कभी-कभी सहायक के रूप में काम करता था। वह अपने मामा मुस्लिम शेख की छत्रछाया में पला-बढ़ा। उसके मामा पंचायत स्तर के सीपीआईएम नेता थे।
मछली के कारोबार में एंट्री
उसके गांव के एक व्यक्ति ने कहा, “शाहजहां ने धीरे-धीरे मछली व्यापार में प्रवेश किया और क्षेत्र में मछली फार्मों को नियंत्रित करना शुरू कर दिया। जैसे-जैसे उनका साम्राज्य बढ़ता गया उन्होंने गांव के युवाओं को शामिल करते हुए अपनी सेना भी बनानी शुरू कर दी। वह स्थानीय पार्टी नेताओं के भी संपर्क में रहते थे और चुनावों के दौरान उनकी मदद करते थे।”
मंत्री-विधायक से अधिक रुतबा
पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री और टीएमसी नेता ज्योति प्रिया मल्लिक ने उनकी लोकप्रियता और उनकी शक्ति को पहचाना। आपको बता दें कि मल्लिक अब करोड़ों रुपये के राशन वितरण घोटाले के आरोप में जेल में बंद हैं। एक ग्रामीण ने बताया, “मल्लिक के करीबी सहयोगी माने जाने वाले शाहजहां 2013 में टीएमसी में शामिल हुए। तब से उन्हें पार्टी में काफी लोकप्रियता मिली। वह कई विधायकों और मंत्रियों से अधिक शक्तिशाली थे।''
उनका दबदबा ऐसा था कि 5 जनवरी को उनके घर की तलाशी लेने आए ईडी अधिकारियों पर 800-1000 लोगों की भीड़ ने हमला कर दिया था। तीन अधिकारी घायल हो गए। इसके बाद से शाहजहां फरार चल रहा था।
पुलिस भी शाहजहां के पास जाने को बोलती
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “उनका प्रभाव इतना था कि अगर कोई भी ग्रामीण टीएमसी के किसी भी व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए पुलिस के पास जाता था, तो पुलिस उसे शाहजहां से संपर्क करने की सलाह देती थी। वह भाई के नाम से मशहूर थे।''
राज्य के महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने इस सप्ताह की शुरुआत में कलकत्ता उच्च न्यायालय को बताया कि पिछले चार वर्षों में उनके खिलाफ 43 एफआईआर दर्ज की गई हैं। पुलिस ने 42 मामलों में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है तो कुछ में उसे फरार दिखाया गया है।
चुनावी हलफनामें से पता चलता है कि शेख शाहजहां की वार्षिक आय लगभग 19.8 लाख रुपये है। बैंक में 1.9 करोड़ से अधिक जमा है। वह तीन बच्चों के पिता हैं। उनके पास लगभग 43 बीघा जमीन और सरबेरिया में एक घर है। घर की कीमत लगभग 1.5 करोड़ रुपये है। उनके पास कम से कम 17 बाइक हैं।
'ईडी अफसरों के मोबाइल तक लूट गए थे शाहजहां के गुर्गे'
इस घटना में आरोपियों के खिलाफ तीन अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई थी. बंगाल पुलिस ने घटना से संबंधित तीन एफआईआर दर्ज की थीं, इनमें से एक शिकायत स्थानीय लोगों के आधार पर दर्ज की गई थी. बाद में कलकत्ता हाई कोर्ट ने दखल दिया और जांच एजेंसी के अधिकारियों के खिलाफ पुलिस की जांच पर 31 मार्च तक रोक लगा दी थी. ईडी का कहना था कि उसके तीन अधिकारी घायल हो गए. उनके मोबाइल फोन, लैपटॉप और वॉलेट उस समय 'लूट' लिए गए. मुख्य आरोपी शाहजहां शेख फरार चल रहा था.
'ज्योतिप्रिय मलिक का करीबी है शाहजहां'
5 जनवरी के हमले के बाद ईडी की टीम ने टीएमसी के पूर्व बोंगगांव नगर पालिका अध्यक्ष शंकर आद्या को गिरफ्तार किया था. आद्या और शाहजहां को पूर्व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक का करीबी माना जाता है. आद्या को भी राशन घोटाले में आरोपी बनाया गया है. इससे पहले केंद्रीय एजेंसी ने आद्या और उनके परिवार के सदस्यों से जुड़ी संपत्तियों की जांच की थी. उन्हें बोनगांव के सिमुलटोला में आवास से गिरफ्तार किया गया था. जांच एजेंसी ने यह भी दावा किया कि पूरा घोटाला 10 हजार करोड़ रुपये का है. इसमें से करीब 2 हजार करोड़ रुपये अवैध रूप से दुबई भेजे गए थे. ईडी ने आरोप लगाया कि शंकर आध्या की कंपनी के जरिए विदेशों में धन की तस्करी की गई थी. शंकर आध्या की संलिप्तता ज्योतिप्रिय मलिक के एक पत्र के जरिए सामने आई.
'बांग्लादेश से आया, बंगाल में मजदूरी की और बन गया नेता'
अब जान लीजिए कि शाहजहां शेख की बांग्लादेश से बंगाल आने और यहां अपना साम्राज्य खड़ा करने की कहानी. स्थानीय सूत्र बताते हैं कि शाहजहां शेख सालों पहले बांग्लादेश से भागकर पश्चिम बंगाल आ गया था. चार भाई-बहनों में सबसे बड़े शाहजहां का आज भी वहां घर है. उत्तर 24 परगना का संदेशखाली इलाका बांग्लादेश की सीमा से सटा है. इसलिए वो यहां रहकर जीवन-यापन करने लगा. शुरुआत में उसने यहां खेतों और ईंट-भट्ठा पर मजदूरी की. इसके अलावा, शाहजहां ने नाव और सवारी गाड़ी भी चलाई. यह सिलसिला कुछ सालों तक चलता रहा. उस समय पश्चिम बंगाल की राजनीति में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी शीर्ष पर थी. स्थानीय लोग बताते हैं कि साल 2002 में शाहजहां ने ईंट-भट्ठा के मजदूरों की यूनियन बनाई और उसका नेता बन गया. यूनियन के नेता होने से इलाके में सक्रियता बढ़ गई और माकपा के करीब आ गया.
'सत्ता का संरक्षण मिलते ही बन गया जमीन माफिया'
साल 2004 में शाहजहां ने राजनीति में एंट्री ली और माकपा में शामिल हो गया. कहते हैं कि सत्ता का संरक्षण मिलते ही शाहजहां ने स्थानीय लोगों के खेतों और जमीनों पर कब्जा करना शुरू कर दिया. उपजाऊ खेतों को लीज पर लिया और उनमें पानी भरकर मछली और झींगा पालने का धंधा शुरू कर दिया. स्थानीय लोग यह भी बताते हैं कि कुछ दिनों में शाहजहां की दबंगई सिर चढ़कर बोलने लगी. जो किसान उसे लीज पर खेत देने से मना करते, उनके साथ दुर्व्यवहार और मारपीट तक की जाती थी. वक्त के साथ उसने पहले किसानों को लीज की रकम देना बंद किया, फिर खेतों पर ही कब्जा जमा लिया. साल 2011 में बंगाल में टीएमसी की सरकार बनी तो शाहजहां ने भी राजनीतिक पाला बदल किया और 2012 में वो टीएमसी से जुड़ गया. लेकिन उसके कारनामे, गुंडई और अत्याचार नहीं बदले. यह सिलसिला वैसे ही चलता रहा, जैसे वो अपने मुताबिक चलाता आ रहा था.
'अकूत संपत्ति का मालिक है शाहजहां शेख'
टीएमसी के दिग्गज नेताओं से शाहजहां की नजदीकियां बढ़ीं और उत्तर 24 परगना के बड़े नेता ज्योतिप्रिय मलिक के करीबियों में गिना जाने लगा. वर्तमान में वह संदेशखाली टीएमसी इकाई का अध्यक्ष है. टीएमसी में उसका राजनीतिक कद तब और बढ़ गया, जब उसने पिछले साल जिला परिषद की सीट हासिल की. शाहजहां शेख का रसूख के साथ-साथ संपत्ति भी बढ़ती गई. एक खबर के मुताबिक. उसके पास 17 कारें, 43 बीघा जमीन, करीब 2 करोड़ के जेवर और करीब 2 करोड़ का बैंक बैलेंस है. स्थानीय लोग बताते हैं कि ये रकम भी बहुत कम बताई गई है. शाहजहां के पास इससे बहुत ज्यादा पैसा और संपत्ति है. शाहजहां के करीबियों में शिबू हजरा और उत्तम सरदार के नाम आते हैं. ये लोग उसके स्थानीय गुर्गे की तरह काम करते हैं.