तमिलनाडु केस में सनसनीखेज खुलासा, पटना में बना था फर्जी वीडियो; कई यू-ट्यूबर साजिश में थे शामिल
पटना
तमिलनाडु में बिहारी श्रमिकों समेत हिन्दीभाषियों के साथ दुर्व्यवहार के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। झूठे मामले को भड़काने और इसे हकीकत का रंग देने के लिए फर्जी वीडियो बनाया गया था। इसे पटना के जक्कनपुर मोहल्ले के बंगाली टोला में एक किराए के मकान में 6 मार्च को शूट किया गया था। इस मामले को लेकर आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने एक दूसरी एफआईआर संख्या- 4/23 दर्ज की गई है। इसमें तीन यू-ट्यूब चैनल के तीन मालिक समेत चार को नामजद किया गया है। यह जानकारी एडीजी (मुख्यालय) जितेंद्र सिंह गंगवार ने पुलिस मुख्यालय में शुक्रवार को आयोजित प्रेस वार्ता में दी। एडीजी ने बताया कि तमिलनाडु में हिंसा की झूठी खबरें फैलाने के आरोप में ईओयू में एक एफआईआर (संख्या- 3/23) पहले ही दर्ज की गई है।
इस मामले में एडीजी मुख्यालय जितेंद्र सिंह गंगवार ने बताया कि फेमस यूट्यूब और मनीष कश्यप की इस मामले में बड़ी भूमिका उजागर हुई है। पूर्व के f.i.r. में मनीष कश्यप और युवराज सिंह को नामजद किया गया है। दोनों ई ओ यू के समक्ष उपस्थित नहीं हुए हैं। उन्हें नोटिस भेजा गया था। अब उनकी गिरफ्तारी की कार्रवाई शुरू की जा रही है।
उन्होंने कहा कि मनीष कश्यप के विरुद्ध पहले से भी इस प्रकार के कांड दर्ज हैं। उनके खिलाफ कुल 7 मामले पूर्व से दर्ज हैं। मनीष कश्यप पर पुलवामा की घटना के बाद पटना के लहासा मार्केट में कश्मीरी दुकानदारों की पिटाई का भी आरोप है। उसमें उनकी गिरफ्तारी हुई थी। वह पहले भी कई बार गलत और भड़काऊ पोस्ट कर चुके हैं। एडीजी ने बताया कि इस मामले की जांच के लिए 10 सदस्य टीम बनाई गई है। अभी तक कुल 30 वीडियो चिन्हित किए गए हैं। उनकी जांच चल रही है। तमिलनाडु कांड में अभी तक 26 ट्विटर और फेसबुक अकाउंट को बिहार पुलिस द्वारा चिन्हित किया गया है। इसके अलावा 42 सोशल मीडिया अकाउंट्स के संचालकों को नोटिस दिया गया है कि उन्होंने जो पोस्ट डाला है उसके साक्ष्य प्रस्तुत करें।
एडीजी ने बताया कि तमिलनाडु केस से संबंधित एक और गलत वीडियो सामने आया है। 8 मार्च को यूट्यूब चैनल के संचालक मनीष कश्यप द्वारा बीएनआर न्यूज़ यूट्यूब चैनल पर अपलोड वीडियो को ट्वीट किया गया। ट्वीट के साथ एक वीडियो प्रथम दृष्टया संदिग्ध लगा।उसकी जांच की गई। अनुसंधान के क्रम में वीडियो अपलोड करने वाले राकेश रंजन कुमार को चिन्हित किया गया। बिहार पुलिस ने उसे गोपालगंज से हिरासत में लिया तो पूछताछ में उसने बड़ा खुलासा किया।
एडीजी के मुताबिक यह वीडियो 6 मार्च को पटना के जक्कनपुर स्थित एक मकान में शूट किया गया। राकेश रंजन ने बताया कि दो लोगों के सहयोग से बंगाली कॉलोनी स्थित किराए के मकान में यह वीडियो तैयार किया गया था। वीडियो बनाने का मकसद यह था कि पुलिस के अनुसंधान को ग़लत दिशा दी जा सके। इन सारी बातों का उद्भेदन हो गया है और राकेश रंजन कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया है। वीडियो बनाने के मामले में इओयू पटना के द्वारा एक अलग से फायर 4/2023 दर्ज किया गया है। इसमें मनीष कश्यप, राकेश रंजन के अलावे दो अन्य को अभियुक्त बनाया गया है।
एडीजी ने बताया इस मामले में तमिलनाडु पुलिस द्वारा फर्जी वीडियो बनाने और वायरल करने के आरोप में 13 कांड दर्ज किए गए हैं। उनकी छानबीन की जा रही है। तमिलनाडु पुलिस की टीम बिहार आकर अनुसंधान कर रही है। तमिलनाडु पुलिस यूपी, एमपी, दिल्ली समेत अन्य राज्यों में जाकर भी छानबीन करेगी।